राजधानी में बिखरता राजनीति का रायता!

रामेश्वर दयाल, नई दिल्ली

देश की राजधानी दिल्ली में आजकल अजीब तरह की राजनीति हो रही है। आरोप लग रहे हैं कि दिल्ली सरकारी बिजली-पानी जैसी बड़ी समस्याओं से बचने के लिए ऐसे मसले उठा रही है जो सनसनी तो फैला रहे हैं लेकिन हल कुछ नहीं निकाल रहे है। विपक्ष के अलावा आप के बागी नेता भी आरोप लगा रहे हैं कि सरकार मूल समस्याओं से लोगों को भटकाने के लिए ऐसे मसले उछाल रही है। दिल्ली की राजनीति पर नजर रखने वाले लोग कह रहे हैं कि आरोप-प्रत्यारोप के बीच राजधानी में राजनीति का रायता जानबूझकर बिखेरा जा रहा है।

दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया था कि साउथ दिल्ली में कटने वाले हजारों पेड़ों की इजाजत केंद्र सरकार ने दी है। उन्होंने इसे बड़ा मुद्दा बताया लेकिन विपक्ष ने उसकी पोल खोल दी। नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता व आप के बागी विधायक कपिल मिश्रा ने दस्तावेजों संग जानकारी दी कि पेड़ काटने की इजाजत तो खुद दिल्ली सरकार ने ली और इसके लिए केंद्र से 21 करोड़ रुपये से अधिक की राशि भी ले ली। कपिल मिश्रा ने तो यह भी आरोप लगाया है कि आप से जुड़े एनजीओ इस अभियान को तूल दे रहे हैं। इसके अलावा आप एमएलए और नेता जो पेड़ों से चिपककर फोटो खिंचवा रहे हैं, वो कमिशन एंजेट से कुछ नहीं। इस आरोप पर रायता बिखरता देख पार्टी प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज को कहना पड़ा कि हम ये पैसा वापस कर देंगे लेकिन पेड़ों को नहीं कटने देंगे।

इस मसले पर विपक्ष की ओर से लगातार आरोप लगाए जा रहे हैं कि सरकार ऐसे मसले उठाती है जो मीडिया में तो सुर्खी बनते हैं लेकिन उनका आम जन से कोई वास्ता नहीं होता। अगर वास्ता होता भी है तो सरकार खुद उन मसलों को उठाकर भूल जाती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन का कहना है कि सरकार ने राशन की डोर स्टेप डिलीवरी और अफसरों की हड़ताल को लेकर राजनिवास पर धरना-अनशन तक कर दिया, लेकिन हुआ क्या। अफसर पहले की तरह काम कर रहे हैं और राशन वाला मसला पीछे चला गया। उनका यह भी आरोप है कि ऐसे मसलों को उठाने में आप और बीजेपी दोननों की मिलीभगत है, जिनके चलते लोगों को बिजली पानी की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।

दिल्ली की राजनीति पर नजर रखने वाले लोग भी कहते हैं कि सरकार मसलों को लेकर अजीब रवैया अपनाती नजर आ रही है। मोहल्ला क्लिनिक पर सरकार ने केंद्र से लेकर राजनिवास तक आरोप लगाए तो सीसीटीवी मसले पर भी उसका यही रवैया रहा। इन मसलों को अचानक भूला दिया गया और पूर्ण राज्य का मसला सामने आ गया, जिसको लेकर राजनिवास पर सीएम समेत मंत्रियों ने राजनिवास पर धरना-अनशन किया। लेकिन अचानक ये मसला भी गायब कर दिया गया और पेड़ कटाई का मसला आगे आ गया। राजनैतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि वाकई सरकार दिल्ली के लोगों का ध्यान मूल समस्याओं से भटका रही है। इसलिए अचानक मसले उठाती है और भूल जाती है। उनका कहना है कि सरकार जल्द नही नया मसला लेकर आ जाएगी।

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