यूपीः वृद्धाश्रम में रह रहे सैकड़ों वृद्धजनों की उंगलियां घिसने से नहीं बन सका आधार, पेंशन बंद
|उत्तर प्रदेश के वृद्धाश्रम में रह रहे दर्जनों वृद्धजनों को पेंशन नहीं मिल रही है। पेंशन बंद होने का कारण है उनका आधार कार्ड न होना। लंबे समय तक मेहनत मजदूरी करने के कारण वृद्धजनों की उंगलियां सपाट हो गई हैं, जिससे इनका आधार कार्ड नहीं बन सका। मेरठ के वृद्धाश्रम में रहने वाले 49 वृद्धों और बरेली के 40 वृद्धों को पेंशन न मिलने से वे परेशान हैं।
गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले 60 से 79 की उम्र के को 400 रुपये महीने और 80 से ऊपर की उम्र के सीनियर सिटिजन्स को 500 रुपये महीने पेंशन मिलती है। सरकार ने इसके लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया है।
ऐसे वृद्ध जिनके परिवार ने उन्हें छोड़ दिया है वे वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर हैं। उन्हें व्यक्तिगत जरूरतों के लिए पेंशन की आवश्यकता होती है। जब हमारे सहयोगी अखबार के पत्रकार मेरठ के वृद्धाश्रम पहुंचे तो पता चला कि वृद्धाश्रम मार्च 2017 से संचालित हो रहा है। बातचीत में पता चला कि एक साल से वहां रहने वाले किसी भी वृद्ध को पेंशन नहीं मिली।
रमेश चौधरी (68) ने बताया कि वह के रहने वाले हैं। उनका बेटा वहां रहता है लेकिन वह उन्हें नहीं रखना चाहता इसलिए वह वृद्धाश्रम में रह रहे हैं। उन्हें कोई पेंशन नहीं मिलती है। वृद्धाश्रम में उन लोगों को खाना मिल जाता है। बिजली, पानी और कुछ दवाओं की व्यवस्था हो जाती है लेकिन कई दवाएं ऐसी हैं जो वृद्धाश्रम से उपलब्ध नहीं कराई जातीं। उन्हें दवाओं के लिए रुपये की जरूरत होती है तो वह उनकी बेटी से मांगते हैं। उन्हें बेटी से रुपये लेना अच्छा नहीं लगता है लेकिन उनकी मजबूरी है।
दूसरी कैदी शशि बाला (63) ने बताया कि अगर वे लोग उनके परिवार वालों से जाकर मिलते हैं उनके पोते-पोती से मिलते हैं तो उन लोगों को आने-जाने के लिए रुपये चाहिए होते हैं। पोते-पोती को कुछ उपहार देना चाहते हैं लेकिन रुपये न होने से उन्हें निराश होकर बैठ जाना पड़ता है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में को दिए गए शपथ पत्र में कहा था कि प्रदेश में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक कल्याण एवं भरन पोषण अधिनियम 2007 का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। विभिन्न योजनाओं के तहत वरिष्ठजनों को पेंशन उपलब्ध कराई जा रही है।
बरेली के समाज कल्याण अधिकारी अशोक दीक्षित ने बताया कि जिले में कई कैदी ऐसे हैं जिनके पास आधार कार्ड न होने और पहचान पत्र न होने से पेंशन नहीं मिल पा रही है। उन्होंने बताया कि नियम यह है कि वृद्धाश्रम के पते पर या दूसरे संगठनों के पते पर नहीं बनाया जा सकता है। कई सीनियर सिटिजन ऐसे हैं जिनकी उंगलियां लंबे समय तक मजदूरी करने के कारण घिस गई हैं। ऐसे सीनियर सिटिजन्स की बायोमेट्रिक जांच नहीं हो पा रही है। अशोक दीक्षित ने बताया कि नियमतः सिर्फ उन लोगों के पैर की उंगलियों के निशान लिए जा सकते हैं जो हाथ से विकलांग हों।
मेरठ के एक के मैनेजर राज कुमार ने बताया कि उन लोगों को सिर्फ 20 लाख रुपये का बजट फर्निचर के लिए मिलता है। इसके अतिरिक्त खाना, बिजली और पानी एनजीओ की तरफ से वृद्धजनों को मुहैया कराया जाता है। उन लोगों को पेंशन की बहुत आवश्यकता है लेकिन आधार कार्ड न होने से उन्हें पेंशन नहीं मिल पा रही है।
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