यहां हुआ था दुनिया का सबसे बड़ा नरसंहार,100 दिन में बिछ गई थीं लाखों लाशें

रवांडा में शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जो 1994 के उस भयानक मंजर को याद करना चाहेगा । 6 अप्रैल 1994 को रवांडा में तुत्सी और हुतु समुदाय के लोगों के बीच नरसंहार शुरू हुआ.. हर तरफ लाशें ही लाशें….हर रोज रेप और हत्या की चीखें सुनाई देतीं..100 दिनों में 5 से 10 लाख लोग मारे गए… रवांडा के किगली में 6 अप्रैल को हवाई जहाज पर बोर्डिंग के दौरान रवांडा के राष्ट्रपति हेबिअरिमाना और बुरुंडी के राष्ट्रपति सिप्रेन की हत्या कर दी गई । जिसके बाद हिंसा भड़क गई । उस वक्त देश की 20 प्रतिशत आबादी नरसंहार में मारी गई । वैसे इस संघर्ष की नींव खुद नहीं पड़ी थी, बल्कि ये रवांडा की प्रभावशाली सरकार ही इसे करवा रही थी। इस सरकार का मकसद विरोधी तुत्सी आबादी का देश से सफाया था… नरसंहार को सफल बनाने वालों में रवांडा सेना के अधिकारी, पुलिस विभाग, सरकार समर्थित लोग, उग्रवादी संगठन और हुतु समुदाय के लोग शामिल थे…   इस संहार के बाद यूएन और अमेरिका, ब्रिटेन समेत तमाम देशों को उनकी निष्क्रियता के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा..संयुक्त राष्ट्र यहां शांति कायम करने में नाकाम रहा..

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