यहां से निकल सकता है साल में 10 करोड़ टन कोयला!
| देबजॉय सेनगुप्ता, कोलकाता कोल इंडिया की सब्सिडियरी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) झारखंड में झरिया क्षेत्र से हर साल 10 करोड़ टन प्राइम कोकिंग कोल का प्रॉडक्शन कर सकती है, बशर्ते मोदी सरकार यहां के 1 लाख परिवारों के पुनर्वास का वादा पूरा करे। मेटल सेक्टर कोकिंग कोल का इस्तेमाल करता है। खासतौर पर इसकी मांग स्टील सेक्टर की ओर से होती है। इस समय सभी स्टील कंपनियां कोकिंग कोल का आयात करती हैं। अगर बीसीसीएल इस क्षेत्र से 10 करोड़ टन कोयले का प्रॉडक्शन कर पाती है तो देश को इसका बिल्कुल भी इंपोर्ट नहीं करना पड़ेगा। भारत कोकिंग कोल लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर तापस कुमार लाहिड़ी ने बताया, ‘2014-15 में हमने इस क्षेत्र से 3.6 करोड़ टन कोयले का प्रॉडक्शन किया था। 2020 तक इसे बढ़कर 5 करोड़ टन पहुंचने की उम्मीद है, भले ही सरकार यहां के परिवारों का पुनर्वास करे या नहीं। हालांकि, अगर सभी परिवारों का पुनर्वास किया जाता है तो भारत कोकिंग कोल हर साल इस क्षेत्र से कम से कम 10 करोड़ टन कोयले का प्रॉडक्शन कर सकती है।’ झरिया क्षेत्र का कोल एरिया भारत कोकिंग कोल के पास है। कोल इंडिया को कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के वक्त झरिया कोलफील्ड में करीब 70 माइंस मिली थीं। अभी यहां की रानीगंज कोलफील्ड में 67 माइंस में आग लगी हुई है। इस आग को बुझाना खतरनाक है और इस पर काफी पैसा खर्च करना पड़ेगा। जियोलॉजिकल एस्टिमेट्स के मुताबिक, इस क्षेत्र में 17 अरब टन कोयले का भंडार है। इसमें से 12 अरब टन कोयला निकाला जा सकता है। यह कोयला जमीन से 300 मीटर के लेवल तक है। बाकी कोयले को निकालने के लिए अंडरग्राउंड तकनीक का इस्तेमाल करना पड़ेगा। अंडरग्राउंड लेवल पर पूरे झरिया में कोयला है। यहां कई साल से माइंस में आग लगी है और इल्लीगल माइनिंग भी होती रही है। इसके बावजूद 2008 में ऐक्शन प्लान को फाइनल किया गया था। लाहिड़ी ने बताया, ‘हम ज्यादातर क्षेत्रों में आग बुझा चुके हैं। अभी सिर्फ 1.85 वर्ग किलोमीटर एरिया ऐसा है, जहां आग लगी हुई है। इस एरिया में रहने वाले परिवारों को अगर राज्य सरकार हटाती है तो यह आग भी बुझाई जा सकती है।’ 2008 में अनुमान लगाया गया था कि यहां बीसीसीएल के 25,000 एंप्लॉयीज का परिवार रहता है। कंपनी ने उनके लिए नए घर बनाए हैं और उसके बाद से उन्हें वहां शिफ्ट किया जा रहा है। हालांकि, इसी साल यह भी अनुमान लगाया गया था कि इस क्षेत्र में 53,000 अवैध घर हैं।
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