यहां प्यार है गुनाह: प्यार किया तो जाएंगे जेल
| एक महिला टीचर (कंचन वर्मा) को जबरदस्ती डिटेन करके उसे शेल्टर होम में डाल दिया गया। उनके बाहर निकलने, लोगों से मिलने और काम करने पर रोक लगा दी गई। यह सब पुलिस के इशारों पर हुआ। कंचन का ‘अपराध’ था कि वह अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ अपने मुस्लिम बॉयफ्रेंड के साथ रहना चाहती थीं। न्यूज वेबसाइट स्क्रोल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 26 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कंचन की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने महिला के अधिकारों के हनन (स्वतंत्रता और जीने का अधिकार) के लिए पुलिस की आलोचना की और उसे शेल्टर होम से तुरंत रिहा करने को कहा। हालांकि विमिन राइट्स लॉयर्स का कहना है कि कोर्ट ने पूरी तरह से इंसाफ नहीं किया। ऐसे मामले पूरे देश में होते हैं। कानून के जानकारों का कहना है इस मामले में एसडीम पर भी कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि उन्हीं के आदेश पर पुलिस ने महिला को विमिन शेल्टर में रखा था। कंचन बालिग हैं और उन्हें पूरा हक है कि वह अपनी मर्जी के मुताबिक अपने बॉयफ्रेंड के साथ रहें। कंचन को पुलिस ने इसलिए डिटेन करके विमिन शेल्टर में इसलिए भेज दिया। पुलिस और एसडीएम को डर था कि उनकी प्यार की वजह से इलाके की ‘शांति भंग’ हो सकती है। कंचन अपने बॉयफ्रेंड नासिर अली को 12 सालों से जानती हैं, वह उनसे कॉलेज में मिलीं थीं। कंचन के पैरंट्स उनके रिश्ते के खिलाफ थे। नासिर एक शादीशुदा मुस्लिम थे। जब कंचन और नासिर ने साथ रहने का फैसला किया तो उनके माता-पिता ने उन्हें रोक लिया। वहां भीड़ भी इकट्ठी हुई तो पुलिस उनके परिवार को अमरोहा के एसडीएम के पास ले गई। पुलिस ने दावा किया कि चूंकि कंचन और नासिर अलग-अलग धर्मों से थे इसलिए उनके साथ रहने के फैसले से शांति भंग हो सकती है। पुलिस ने कपल पर आईपीसी के सेक्शन 151 के तहत शिकायत दर्ज की। सेक्शन 151 के मुताबिक पुलिस को मैजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना किसी को भी अरेस्ट करने का अधिकार है। हालांकि, गिरफ्तार किए गए शख्स को कोर्ट के ऑर्डर के बिना 24 घंटे से ज्यादा समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता। इस मामले में इस नियम को भी तोड़ा गया। एसडीएम ने नासिर को जुडिशल कस्टडी में भेजा और कंचन को दूसरे तरह की जेल यानी विमिन शेल्टर में भेज दिया गया। नासिर तो जमानत पर रिहा हो गए लेकिन कंचन को शेल्टर में ही घुटते रहना पड़ा। मशहूर वरील वृंदा ग्रोवर का कहना है कि पुलिस अक्सर महिलाओं को उनकी मर्जी के खिलाफ ऐसी ‘प्रोटेक्टिव कस्टडी’ में रखती है लेकिन उसके खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं लिया जाता। वृंदा ने कहा,’स्टेट खुद ही महिलाओँ के संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है। सरकार बालिग युवकों और युवतियों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं कर सकती। ऐसा करके सरकार मुस्लिम पुरुषों को भक्षक की तरह पेश कर रही है।’
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