यहां पर रात ही नहीं दिन में भी अकेले निकलने का मतलब था ‘मौत’, फिर एक दिन…
|शिकार बनने से पहले तेंदुआ 125 लोगों को अपना निवाला बना चुका था। वह शिकारी की सोच से भी ज्यादा चालाक था।
शिकार बनने से पहले तेंदुआ 125 लोगों को अपना निवाला बना चुका था। वह शिकारी की सोच से भी ज्यादा चालाक था।