मोबाइल कॉल टैरिफ में 15% बढ़ोतरी के आसार
| आने वाले महीनों में मोबाइल यूजर्स के फोन बिल में 10-15 पर्सेंट तक की बढ़ोतरी हो सकती है। स्पेक्ट्रम नीलामी में टेलिकॉम कंपनियों ने करीब 1.10 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया है और ऐनालिस्ट्स का कहना है कि कंपनियां इस कॉस्ट की भरपाई के लिए कॉल रेट्स में बढ़ोतरी का फैसला कर सकती हैं। बिजनस की काम की खबरें तुरंत पाने के लिए ET हिंदी का Facebook पेज लाइक करें और @ETHindi को Twitter पर फॉलो करें। जीएसएम ऑपरेटर्स की इंडस्ट्री बॉडी सीओएआई के डायरेक्टर जनरल राजन मैथ्यूज ने कहा, ‘मैं टैरिफ में कम से कम 10 पर्सेंट बढ़ोतरी किए जाने की संभावना से इनकार नहीं कर रहा हूं।’ उन्होंने कहा कि स्पेक्ट्रम की नीलामी का मकसद अधिक से अधिक रेवेन्यू हासिल करना था। उन्होंने कहा, ‘इससे निश्चित तौर पर कॉल और डेटा टैरिफ में बढ़ोतरी करने का दबाव बनेगा।’ कुछ एक्सपर्ट्स की मानें तो टैरिफ में 15 पर्सेंट तक बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसा होने पर टेलिकॉम इंडस्ट्री का सालाना रेवेन्यू 30 अरब डॉलर से बढ़कर 34.5 अरब डॉलर होने की उम्मीद है। प्रफेशनल सर्विसेज फर्म अर्न्स्ट ऐंड यंग में टेलिकॉम के ग्लोबल हेड प्रशांत सिंघल ने कहा, ‘इसमें और छह महीनों का समय लगता है, लेकिन टेलिकॉम कंपनियों को कर्ज संबंधी जरूरतें पूरी करने के लिए टैरिफ बढ़ाना होगा।’ उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा टैरिफ में बढ़ोतरी वॉइस कॉल में की जाएगी। सिंघल ने कहा कि अभी भी टेलिकॉम सेक्टर के टोटल रेवेन्यू में वॉइस कॉल की हिस्सेदारी 75 पर्सेंट से अधिक है। टेलिकॉम कंपनियां फिलहाल डेटा टैरिफ में बढ़ोतरी करने के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि भारत में अभी भी मोबाइल इंटरनेट शुरुआती अवस्था में है। ऐनालिस्ट्स के मुताबिक, इंडस्ट्री में मौजूद प्रतिस्पर्धा और रिलायंस जियो इंफोकॉम की तरफ से टेलिकॉम सर्विसेज की लॉन्चिंग में हो रही देरी से कॉल रेट्स में एकसाथ बढ़ोतरी नहीं होगी और इसके बजाय कंपनियां चरणबद्ध तरीके से कॉल रेट्स बढ़ाएंगी। विशेषज्ञों का कहना है कि कर्ज की लागत में बढ़ोतरी से टेलिकॉम कंपनियों को मजबूरन टैरिफ में बढ़ोतरी करनी होगी। चारों बड़ी कंपनियां मसलन आइडिया सेल्युलर, वोडाफोन, भारती एयरटेल और रिलायंस कम्यूनिकेशंस पहले ही अपने नेटवर्क्स पर डिस्काउंट खत्म कर चुकी हैं। केपीएमजी में टेलिकॉम हेड रोमल शेट्टी ने कहा, ‘टैरिफ में बढ़ोतरी किए बगैर रेवेन्यू बढ़ाने की गुंजाइश बेहद कम है।’ डेलॉयट हास्किंस ऐंड सेल्स के हेमंत जोशी ने कहा कि नीलामी से टेलिकॉम इंडस्ट्री पर कर्ज के बोझ में 70-80 पर्सेंट बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा, ‘बैलेंट शीट्स पर असर पड़ेगा और मुनाफे के साथ प्रॉफिट में कमी आएगी।’ सिंघल ने कहा कि इंडस्ट्री को फाइनैंसिंग कॉस्ट की भरपाई के लिए टैरिफ में कम से कम 15 पर्सेंट बढ़ोतरी करनी होगी। इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक, वोडाफोन ने करीब 30,000 रुपये की स्पेक्ट्रम कॉस्ट चुकाई है, जो भारती एयरटेल और आइडिया सेल्युलर के बराबर है। वहीं, रिलायंस कम्यूनिकेशंस की स्पेक्ट्रम कॉस्ट करीब 5,000 करोड़ रुपये है।
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