मोबाइन नंबर पोर्टेबिलिटी और वाई-फाई पर जियो और दूसरी टेलिकॉम फर्मों में ठनी
|रिलायंस जियो इन्फोकॉम और दूसरी टेलिकॉम कंपनियों में फिर ठन गई है। इस बार मुद्दे हैं सार्वजनिक जगहों पर कम लागत में वाई-फाई सुविधा देकर ब्रॉडबैंड की पहुंच बढ़ाने की सेक्टर रेग्युलेटर ट्राई की अपील और मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी)।
रिलायंस जियो ने भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर की आलोचना करते हुए ट्राई के चेयरमैन आर एस शर्मा के नाम 14 सितंबर को भेजे गए पत्र में कहा है कि ये कंपनियां उन्हें छोड़कर जियो से जुड़ने के बारे में सब्सक्राइबर्स के लगभग हर एमएनपी अनुरोध को खारिज कर रही हैं और ऐसी हरकत के लिए इन पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए। यही नहीं, जियो ने कहा है कि अगर ऐसी हरकत बंद नहीं होती तो इन कंपनियों के टेलिकॉम परमिट वापस ले लिए जाने चाहिए।
इसके साथ ही, मुकेश अंबानी की जियो ने जहां शहरों में वाई-फाई नेटवर्क पर ट्राई की अपील का समर्थन किया है, वहीं सेल्युलर ऑपरेटर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया का कहना है कि वाई-फाई टेक्नॉलजी का अधिक-से-अधिक इस्तेमाल यह हो सकता है कि इंटरनेट एक्सेस के लिए इससे वाई-फाई हॉटस्पॉट्स मुहैया कराए जाएं। इस असोसिएशन में भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर प्रमुख सदस्य हैं।
असोसिएशन ने ट्राई से कहा है, ‘वाई-फाई टेक्नॉलजी बिना लाइसेंस वाले बैंड पर शॉर्ट रेंज कम्युनिकेशंस मुहैया कराने के लिए थी और शहरों में कमर्शल बेसिस पर नेटवर्क मुहैया कराने में इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।’ उसने कहा है कि शहरों में कवरेज के लिए पब्लिक वाई-फाई नेटवर्क की धारणा ही ‘गलत’ है। उधर, जियो ने ट्राई से कहा है कि वह सेल्युलर/LTE और वाई-फाई नेटवर्क्स के बीच इंटर-ऑपरेबिलिटी बढ़ाए। उसने कहा है कि भविष्य में आने वाले नेटवर्क आईपी बेस्ड होंगे, जिनसे इंटर-ऑपरेबिलिटी में सहूलियत होगी और उनकी मदद से मोबाइल डिवाइसेज कई नेटवर्क इंटरफेसेज का यूज कर सकेंगी।
जियो ने कहा है कि चूंकि ‘वाई-फाई एक प्रमुख वायरलेस इंटरनेट एक्सेस टेक्नॉलजी है, लिहाजा इसकी एक्सेसेबिलिटी यूजर्स को बेहतर VoLTE एक्सपीरियंस देने की किसी भी मोबाइल ऑपरेटर की रणनीति का अहम हिस्सा होगी, खासतौर से उन इलाकों में, जहां सेल्युलर कवरेज बेहद खराब है या कैपेसिटी लिमिटेड है।’ जियो देशभर में VoLTE बेस्ड 4जी नेटवर्क पर काम कर रहा है जिसमें वॉइस कॉल्स आमतौर पर 4जी एलटीई डेटा नेटवर्क पर मुहैया कराई जाती हैं, न कि सर्किट स्विच्ड 2जी या 3जी नेटवर्क पर।
चूंकि एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया VoLTE नेटवर्क पर काम नहीं करती हैं, लिहाजा असोसिएशन ने कहा है कि सेल्युलर और वाई-फाई नेटवर्क्स के बीच ऐसी इंटर-ऑपरेबिलिटी के लिए ‘किसी रेगुलेटरी दखल की जरूरत नहीं है।’ जियो ने ट्राई से कम फ्रीक्वेंसी वाले अतिरिक्त वाई-फाई बैंड्स की पहचान करने को भी कहा है ताकि कम लागत में बड़े इलाकों को कवर किया जा सके, हालांकि असोसिएशन का मानना है कि वाई-फाई के लिए किसी अतिरिक्त स्पेक्ट्रम का लाइसेंस के दायरे से बाहर रखने की तत्काल कोई जरूरत नहीं है।
जियो और सीओएआई में इंटरकनेक्ट चार्जेज सहित कई नीतिगत मुद्दों पर टकराव हो चुका है। पब्लिक वाई-फाई के मुद्दे पर जियो ने कहा है कि ट्राई का डिस्कशन पेपर वाई-फाई नेटवर्क्स से जुड़े सभी प्रासंगिक मुद्दों को कवर करता है और सरकार को ‘वाई-फाई नेटवर्क्स को सहूलियत देने वाली नीतियां यथाशीघ्र बनानी चाहिए।’ हालांकि, असोसिएशन का कहना है कि वाई-फाई की सीमित उपयोगिता है और यह टेक्नॉलजी लोकल लेवल पर हॉटस्पॉट्स बनाने के लिए थी क्योंकि यह बिना लाइसेंस वाले बैंड पर काम करती है और कम बिजली से चलती है।
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