मोटापे के लिए जंक फूड जिम्मेदार नहीं!
|[ सागर मालवीय | मुंबई ] देश में तेजी से बढ़ती डायबिटीज और मोटापे की समस्या के लिए केवल जंक या प्रोसेस्ड फूड को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। 2014 में इंडियन कंज्यूमर्स ने पैकेज्ड फूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स से रोजाना औसतन 151 कैलोरी ली जबकि वैश्विक स्तर पर यह औसत 765 कैलोरी का रहा। इस लिहाज से भारत के लोगों का डेली कैलोरी इनटेक ग्लोबल लेवल का लगभग 20 पर्सेंट रहा। वास्तव में भारत शुगर, फैट, कार्बोहाइड्रेट्स और सॉल्ट कंटेंट्स की खरीदारी की रैकिंग में सबसे नीचे है जबकि अमेरिका और यूरोप के कंज्यूमर्स ने भारतीय उपभोक्ताओं के मुकाबले 10 गुना ज्यादा खपत की। मार्केट रिसर्च कंपनी यूरोमॉनिटर इंटरनेशनल की हालिया रिसर्च में यह बात सामने आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में स्मॉल पैकेज्ड फूड और बेवरेज इंडस्ट्री और बड़ी आबादी के बीच एक किस्म का अंसतुलन है, जहां अभी भी सभी लोग पैकेज्ड प्रॉडक्ट्स नहीं खरीदते हैं। फ्यूचर ग्रुप में फूड एंड एफएमसीजी बिजनेस के प्रेसिडेंट देवेंदर चावला ने कहा, ‘भारतीय कंज्यूमर्स घर के बने खाने से सबसे ज्यादा कैलोरी लेते हैं, जो पश्चिमी देशों के होम मेड खाने के मुकाबले ज्यादा कैलोरी वाला होता है। पश्चिमी देशों में होम मेड फूड प्रोटीन रिच और अपेक्षाकृत ज्यादा स्वास्थ्यवर्द्धक होता है। हालांकि वहां प्रोसेस्ड प्रॉडक्ट्स की खपत बहुत ज्यादा होती है।’ उन्होंने कहा, ‘भारतीय कंज्यूमर्स स्ट्रीट फूड्स को ज्यादा तरजीह देते हैं, जो ज्यादा तला-भुना और अधिक कैलोरी वाला होता है।’ भारत को दुनिया का डायबिटीज कैपिटल कहा जाने लगा है। हालांकि भारतीय लोग धीरे-धीरे हेल्थ को लेकर जागरूक हो रहे हैं और यहां तक कि सरकार भी स्कूलों में जंक फूड्स पर प्रतिबंध लगाने के बारे में विचार कर रही है। दूसरी तरफ भारत में काम करने वाली फास्ट फूड कंपनियां ज्यादा कैलोरी वाले फूड आइटम्स सर्व करने के आरोपों से पीछा छुड़ाना चाहती हैं। मसलन, मैकडॉनल्ड्स ने हाल में अपने सभी बर्गर में 50-60 कैलोरी की कटौती की है। कंपनी ने सभी सॉसेज से फैट की मात्रा को भी 40 पर्सेंट कम करने के साथ फ्राइज में करीब 20 पर्सेंट सोडियम कंटेंट घटाया है। पश्चिम और दक्षिण भारत में मैकडी आउटलेट्स को ऑपरेट करने वाली कंपनी वेस्टलाइफ डिवेलपमेंट के वाइस चेयरमैन अमित जाटिया ने इस महीने की शुरुआत में ईटी से बातचीत में कहा था, ‘हमें कंज्यूमर्स की जरूरतें पूरी करनी हैं। अगर कंज्यूमर्स इस दिशा में जा रहे हैं तो हम उल्टी दिशा में जाने का जोखिम नहीं उठा सकते।’ अन्य कंपनियों में कोका कोला से लेकर पेप्सी तक लो-कैलोरी डाइट की दिशा में बढ़ रही हैं। इसके अलावा केलॉग्स और नेस्ले जैसी फूड कंपनियां भी ओट्स से बने प्रॉडक्ट्स को तरजीह दे रही हैं। हालांकि स्नैक्स और बिस्किट्स को लेकर अभी कोई बड़ा बदलाव नजर नहीं आया है। अपेक्षाकृत अधिक कैलोरी होने के बावजूद भी इन दोनों प्रॉडक्ट्स की बिक्री पर कोई असर नहीं हुआ है।
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