मॉडल जेसिका लाल हत्याकांड:एक पैग के लिए गोली मारी, 33 गवाह मुकरे; केस लड़ने वाली बहन सबरीना 3 साल पहले नहीं रहीं

ये कहानी है दिल्ली की जानी-मानी मॉडल जेसिका लाल की। वही जेसिका लाल, जिनकी हत्या सिर्फ इसलिए हुई क्योंकि उन्होंने एक रईसजादे को एक पैग शराब परोसने से इनकार कर दिया। वही जेसिका जिनके हत्याकांड पर 2011 में सुपरहिट फिल्म नो वन किल्ड जेसिका बनी थी। इस फिल्म का टाइटल ही जेसिका की कहानी बयां करता है। एक हाईप्रोफाइल क्लब में सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में जेसिका को गोली मारी गई, लोगों ने गोली चलने की आवाज सुनी, हत्यारे को भागते देखा, लेकिन जब मामला कोर्ट तक पहुंचा तो 33 के 33 गवाह इससे मुकर गए। उनका कहना था कि जेसिका को मारा तो गया, लेकिन किसने मारा, ये नहीं पता। अगले दिन अखबार में खबर छपी ‘नो वन किल्ड जेसिका’। ये लड़ाई लंबी चली। अदालत ने सभी को बरी कर दिया, लेकिन जेसिका की बहन सबरीना और देश की जनता ने हार नहीं मानी। आखिरकार 10 साल बाद जेसिका को इंसाफ मिला। कहा जाता है कि अगर जेसिका जिंदा होतीं, तो बॉलीवुड फिल्मों का हिस्सा होतीं, लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हो सका। आज अनसुनी दास्तान के 3 चैप्टर्स में पढ़िए हाईप्रोफाइल जेसिका लाल हत्याकांड की सिलसिलेवार कहानी- 5 जनवरी 1965 को जेसिका लाल का जन्म नई दिल्ली में हुआ था, जिन्हें घरवाले प्यार से शोना बोलते थे। जेसिका घर की बड़ी बेटी थीं। सबरीना उनसे छोटी थीं। बचपन से ही हीरोइन बनने का ख्बाव देखने वालीं जेसिका ने कम उम्र से ही मॉडलिंग की दुनिया में कदम रख दिया था। दिल्ली में मॉडलिंग करते हुए जेसिका ने अच्छी-खासी पहचान बना ली थी। हालांकि जब-जब उन्हें पैसों की जरूरत पड़ती थी, तो वो कोई छोटे-मोटे काम कर कमाई कर लिया करती थीं। मॉडलिंग करते हुए जेसिका की मुलाकात मालिनी रमानी से हुई। मालिनी भी मॉडल थीं, जिनकी मां बीना रमानी का महरौली, दिल्ली की कुतुब कोलोनेट हवेली में टैमरिंड कोर्ट नाम का रेस्टोरेंट था। मालिनी के पिता जॉर्ज मेलहॉट बड़े बिजनेसमैन थे। बीना रमानी, हाईप्रोफाइल सोसाइटी का हिस्सा थीं, जो कभी शोमैन राज कपूर को राखी बांधती थीं और जीनत अमान जैसी कई बड़ी हस्तियां उनके फ्रैंड सर्कल का हिस्सा थीं। मालिनी के पिता जॉर्ज मई 1999 में कनाडा शिफ्ट होने वाले थे, जिसके चलते उनकी मां ने 29 अप्रैल को एक हाईप्रोफाइल फेयरवेल पार्टी रखी थी। मालिनी जानती थीं कि जेसिका को काम की जरूरत है। ऐसे में जब उनकी मां बीना को खास पार्टी के लिए एक सुंदर दिखने वाली बार टेंडर की जरूरत पड़ी, तो मालिनी ने जेसिका को इस काम का ऑफर दे दिया। जेसिका एक्स्ट्रा इनकम के लिए खुशी-खुशी इस काम के लिए राजी हो गईं। जेसिका सुबह अपनी बहन सबरीना के साथ घर से निकलीं। सबरीना ने उन्हें ड्रॉप किया। इस समय जेसिका ने उनसे कहा कि शाम को टैमरिंड आ जाना, दोनों मस्ती करेंगे। उस रोज जेसिका का दोस्त और मॉडल शयान मुंशी भी बार टेंडरिंग के काम के लिए उनके साथ आया था। 29 अप्रैल को टैमरिंड कोर्ट रेस्टोरेंट में रखी गई उस पार्टी में जेसिका का काम हाईप्रोफाइल गेस्ट्स को शराब सर्व करने का था, जबकि उस रेस्टोरेंट के पास शराब का लाइसेंस तक नहीं था। वैसे तो नाम के लिए उस रोज टैमरिंड कोर्ट रेस्टोरेंट में प्राइवेट हाईप्रोफाइल पार्टी रखी गई थी, लेकिन कुछ गेस्ट ऐसे भी थे जो बिना इनविटेशन के वहां पहुंचे थे। बस शर्त ये थी कि उन्हें हाईप्रोफाइल होना चाहिए था। इत्तफाक से उस रेस्टोरेंट में पहुंचा था हत्यारा सिद्धार्थ सिद्धार्थ शर्मा, हरियाणा के मशहूर नेता विनोद शर्मा का बेटा है। विनोद शर्मा सांसद और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। उनका बेटा सिद्धार्थ उर्फ मनु, पिता के पैसे और पावर से वाकिफ था। 29 मई को सिद्धार्थ को अपनी मां के साथ चंडीगढ़ निकलना था, लेकिन उसने चंडीगढ़ न जाकर दिल्ली में ही रुकने का फैसला किया। वो अपने दोस्तों के साथ दिल्ली की न्यू फ्रैंड्स कॉलोनी की एक कोठी में रुका हुआ था। सभी ने जमकर शराब पी। अचानक देर रात उसे याद आया कि बुधवार को टैमरिंड कोर्ट रेस्टोरेंट में स्पेशल पार्टी होती है। उसने कार उठाई और 3 दोस्तों विकास यादव, अमरदीप गिल और आलोक खन्ना के साथ रात करीब 2 बजे पार्टी में पहुंच गया। वैसे तो ये एक प्राइवेट पार्टी थी, लेकिन सिद्धार्थ फिर भी इसमें दाखिल हो गया। उसने बार टेंडर जेसिका लाल से शराब मांगी। पार्टी लगभग खत्म हो चुकी थी, तो जेसिका ने उसे शराब देने से इनकार कर दिया। ये देखकर उसने जेब से 1000 रुपए निकाले और जेसिका को देते हुए फिर शराब मांगी। जेसिका ने दोबारा भी इनकार कर दिया। दोस्तों के सामने बेइज्जती होते देख सिद्धार्थ ने जेब से 22 कैलिबर की पिस्तौल निकाली और 3 हवाई फायरिंग की। पार्टी में शोरगुल इस कदर था कि वहां मौजूद गेस्ट चौकन्ने नहीं हुए। सिद्धार्थ ने फिर जेसिका को धमकाते हुए शराब मांगी। हौंसले से मजबूत जेसिका ने गोलियां चलाए जाने के बाद भी शराब नहीं दी। जैसे ही उन्होंने तीसरी बार इनकार किया, सिद्धार्थ ने जेसिका के सिर पर गोली चला दी। जेसिका गोली लगते ही गिर पड़ीं, जिसे देखते ही उनके साथ मौजूद दोस्त शयान मुंशी ने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया। पार्टी में एकदम से सन्नाटा छा गया। खून से लथपथ जेसिका फर्श पर बेसुध पड़ी थीं। ये देखकर रेस्टोरेंट की मालकिन बीना रमानी पहुंचीं और उन्होंने सिद्धार्थ से चिल्लाते हुए पूछा, तुम कौन हो? पार्टी में बंदूक लेकर कैसे आए? जवाब में उसने कहा, मैंने गोली नहीं चलाई। ये कहते ही वो अपने तीन दोस्तों के साथ भाग निकला। जेसिका को तुरंत नजदीकी अशलोक अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां से उन्हें अपोलो हॉस्पिटल रेफर किया गया। इसी दौरान जेसिका की बहन सबरीना को कॉल कर इत्तला दी गई कि उनकी बहन को अस्पताल ले जाया गया है। कुछ देर बाद कॉल पर कहा गया कि जेसिका को गोली लगी है। अपोलो हॉस्पिटल में डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जब इसकी खबर उनकी बहन सबरीना को मिली तो वो कुछ समझ ही नहीं सकीं। वहीं दूसरी तरफ सिद्धार्थ शर्मा ने महरौली में ही हथियार को जमीन में गाड़ दिया और फिर सभी गाजियाबाद स्थित विकास यादव के घर पहुंचे। घटना की जानकारी मिलते ही दिल्ली पुलिस ने जांच शुरू कर दी। पार्टी में मौजूद लगभग हर शख्स का बयान लिया गया। कई लोगों ने पुलिस पूछताछ में कहा कि उन्होंने सिद्धार्थ शर्मा को गोली चलाते और भागते देखा था। इस केस में अहम गवाही थी, जेसिका के दोस्त शयान मुंशी की, जो घटना के वक्त जेसिका के साथ खड़ा था। उसने पुलिस बयान में सिद्धार्थ द्वारा गोली चलाए जाने की बात कही। पुलिस ने बयान दर्ज किया, जिस पर शयान ने हस्ताक्षर भी किए। जेसिका के दोस्त ने पुलिस से कहा कि उसने गोली चलते देखी जेसिका का करीबी दोस्त और पार्टी में उनके साथ मौजूद शयान मुंशी ने रिपोर्ट दर्ज होने के दौरान बयान दर्ज करवाया था, वो केस में अहम चश्मदीद था। पुलिस बयान में उसने कहा कि सिद्धार्थ ने ही जेसिका को गोली मारी। पुलिस ने उसके बयान को लिखकर उसके हस्ताक्षर भी लिए। जांच में मुख्य आरोपी सिद्धार्थ शर्मा और उसका परिवार फरार हो गया, जबकि उसके दो साथियों आलोक खन्ना और अमरदीप गिल को 4 मई को गिरफ्तार कर लिया गया। इसी दिन रेस्टोरेंट की मालिक बीना रमानी, पति जॉर्ज मेलहॉट और उनकी बेटी मालिनी रमानी की गिरफ्तारी हुई। उन पर आरोप थे कि उन्होंने बिना लाइसेंस रेस्टोरेंट में शराब रखी और साथ ही जेसिका की हत्या के बाद फर्श से खून के दाग साफ करवाए। इन आरोपों पर बीना रमानी ने टीवी शो आप की अदालत में कहा- जिस वक्त गोलियां चलीं मैंने आवाज सुनी और भागकर बाहर आई। जेसिका फर्श पर पड़ी थी और वहां मौजूद लोग एक शख्स की तरफ इशारा कर कह रहे थे कि उसने गोली चलाई है। सफेद टी-शर्ट और जींस पहना हुआ वो लड़का भाग रहा था। मैंने सबसे पुलिस को इत्तला देने को कहा और उसे भागने से रोका। वो लड़का मुझे धक्का देकर भाग गया तो मैंने पति जॉर्ज से उसका पीछा करने को कहा। फिर हमने अशलोक अस्पताल में कॉल कर इसकी जानकारी दी। जब मैं घटना वाली जगह पहुंची तो स्टाफ ने जेसिका को टेबल क्लॉथ से लपेट दिया था। हम स्टाफ की मदद से उसे लेकर अस्पताल पहुंचे। ऐसे में मैं खून क्यों साफ करवाती। जो लड़का जेसिका को अस्पताल ले गया था उसकी शर्ट पर भी खून के धब्बे लग गए थे। वो शर्ट भी हमने पुलिस के हवाले कर दी थी। दिल्ली की अदालत ने बयानों के आधार पर और बीना के ब्रिटिश नागरिक होने, उनके पति को कनाडाई नागरिक होने और बेटी मालिनी रमानी को अमेरिकी होने पर जमानत दे दी, हालांकि उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए। 3 अगस्त 1999 को पुलिस ने मामले की चार्जशीट दाखिल की। जब मामला कोर्ट में पहुंचा तो करीब 100 लोगों ने कोर्ट में गवाही दी, लेकिन किसी ने भी कोर्ट में सिद्धार्थ के खिलाफ बयान नहीं दिया। इस केस का अहम चश्मदीद और जेसिका का दोस्त शयान मुंशी भी बयान से मुकर गया। जब उससे कहा गया कि पूछताछ के दौरान उसने सिद्धार्थ के खिलाफ बयान दिया था, तो उसने जवाब में कहा कि उसे हिंदी नहीं आती। पुलिस ने बयान हिंदी में लिखकर साइन लिए थे, उसे नहीं पता कि बयान में क्या लिखा था। साथ ही उसने कहा कि सिद्धार्थ ने गोली हवा में चलाई, जेसिका पर किसी और ने गोली चलाई। फोरेंसिक रिपोर्ट में भी सामने आया कि गोलियां दो अलग-अलग रिवॉल्वर से चली थीं। 6 साल चला केस, कोर्ट ने सभी आरोपियों को रिहा किया 21 फरवरी 2006 दिल्ली ट्रायल कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा- दिल्ली पुलिस जेसिका लाल की हत्या में इस्तेमाल हथियार को ढूंढने में नाकाम रही। वो सिद्धार्थ के खिलाफ आरोप साबित नहीं कर पाई। गवाहों और सबूतों की कमी के चलते अदालत सभी अभियुक्तों को बरी करती है। कोर्ट से नतीजा आने के अगले दिन अखबारों में खबर छपी- नो वन किल्ड जेसिका। जनता में आक्रोश था कि कैसे ओपन एंड शट केस होने के बावजूद सभी को बरी कर दिया गया। पूरे देश में फैसले के खिलाफ प्रदर्शन हुए, लोग सड़कों पर उतर आए और कई जगह न्याय न मिलने पर धरना दिया गया। इस केस में इंडियन मीडिया का भी अहम योगदान रहा। एनडीटीवी, हिंदुस्तान टाइम्स जैसे कई चैनल्स ने पब्लिक पोल किए और केस री-ओपन कराने के लिए पब्लिक ओपिनियन और पोल को बढ़ावा दिया। ज्यादातर पोल्स में जनता ने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए और केस दोबारा शुरू करने की मांग की। चैनल्स के पास इस तरह के 2 लाख से ज्यादा मैसेज थे। चैनल्स ने इन्हें राष्ट्रपति तक पहुंचाया। जनता के आक्रोश के बाद 18 अप्रैल 2006 को न्यायमूर्ति मनमोहन सरीन और न्यायमूर्ति जे.एम. मलिक की बेंच ने मनु शर्मा को 1 लाख रुपए की जमानत पर रिहा कर दिया। साथ ही उन्होंने दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाते हुए आग्रह किया कि केस रीओपन कर कम से कम समय में फैसला दिया जाए। स्टिंग ऑपरेशन में सामने आया, गवाहों ने पैसे लेकर बयान बदले 9 सितंबर 2006 को समाचार पत्रिका तहलका ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया, जिसे स्टार न्यूज में दिखाया गया। इसमें कई गवाहों को ये कहते सुना गया कि उन्हें पैसे देकर और दबाव बनाकर बयान बदलने को कहा गया था। गवाहों को लाखों रुपए मिले थे। सामने आया कि नेता विनोद शर्मा ने बेटे को बचाने के लिए सभी को पैसे दिए। स्टिंग सामने आते ही विनोद शर्मा ने हरियाणा मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। तहलका मैगजीन ने ही अहम चश्मदीद शयान मुंशी का भी स्टिंग किया। इस दौरान स्टिंग करने वाला पत्रकार फिल्म इंडस्ट्री का कास्टिंग मैनेजर बनकर उनके पास पहुंचा। जब पत्रकार ने कहा कि ये हिंदी फिल्म होगी, लेकिन आपको हिंदी नहीं आती, तो शयान ने फटाफट हिंदी के कई डायलॉग सुना दिए, जबकि कोर्ट में उसने कहा था कि उसे हिंदी नहीं आती। जनता और मीडिया के दबाव में केस को दोबारा ओपन किया गया। आखिरकार 15 दिसंबर 2006 को न्यायमूर्ति आर.एस.सोढ़ी और न्यायमूर्ति पी.के.भसीन की उच्च न्यायालय की बेंच ने 61 पन्नों का फैसला सुनाया, जिसमें सिद्धार्थ शर्मा उर्फ मनु को दोषी करार दिया गया। 20 दिसंबर 2006 को सिद्धार्थ को जेसिका की हत्या करने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई गई। वहीं उसके साथ मौजूद दोस्तों को 4-4 साल की सजा दी गई। बयान से मुकरने वाले शयान मुंशी पर झूठी गवाही का मुकदमा चलाया गया। 19 अप्रैल 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने भी दोषी सिद्धार्थ की उम्रकैद की सजा पर मुहर लगा दी। अब कहां हैं जेसिका हत्याकांड से जुड़े लोग? सिद्धार्थ शर्मा- साल 2020 में अच्छे बर्ताव के चलते सिद्धार्थ शर्मा को रिहाई मिल गई। वो अपना फैमिली बिजनेस चला रहा है। सबरीना- जेसिका की बहन सबरीना का 2021 में लिवर की बीमारी के चलते निधन हो गया। ट्रायल के दौरान ही उनके पेरेंट्स का भी निधन हो चुका था। शयान मुंशी- जेसिका का दोस्त और केस का मुख्य गवाह शयान मुंशी एक एक्टर है। उसने आर्यन बैंड के म्यूजिक एल्बम ‘ये हवा कहती है क्या’ से एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद वो झनकार बीट्स, मौसम, माय ब्रदर निखिल, आहिस्ता आहिस्ता, शेफ जैसी बड़ी फिल्मों का हिस्सा भी रहा। बीना रमानी- इस मामले के बाद उनका रेस्टोरेंट बंद हो गया। वो अब फैशन डिजाइनर, राइटर और सोशल एक्टिविस्ट के तौर पर एक्टिव हैं। मालिनी रमानी- जेसिका की दोस्त और बीना रमानी की बेटी मालिनी एक फैशन-इंटीरियर डिजाइनर और योगा इंस्ट्रक्टर के तौर पर काम कर रही हैं। विकास यादव- हत्या के समय सिद्धार्थ शर्मा के साथ मौजूद उनका दोस्त विकास यादव, बहन के प्रेमी नीतीश कटारा की हत्या करने के आरोप में अब भी जेल में है। फिल्मी सितारों और मनोरंजन से जुड़ी शख्सियतों की ये अनसुनी दास्तानें भी पढ़िए- पाकिस्तानी मॉडल नायाब नदीम, जिनकी बिना कपड़ों के लाश मिली:नाजायज संबंधों और पेशे से नाराज था सौतेला भाई, नशीली दवा खिलाई फिर बेहोश कर गला घोंटा नायाब नदीम, जो पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री की एक उभरती कलाकार थीं, लेकिन उन्हें सिर्फ इस बात पर जान गंवानी पड़ी क्योंकि उनके आसपास के लोगों को लगा कि वो उनकी इज्जत पर खतरा हैं। पढ़ें पूरी खबर..

बॉलीवुड | दैनिक भास्कर

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *