मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने की FY19 की दमदार शुरुआत
|मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने भी नए वित्त वर्ष की शानदार शुरुआत की है। वित्त वर्ष 2019 के पहले महीने अप्रैल में कई ऑटो कंपनियों की बिक्री में अच्छी बढ़ोतरी हुई, जिससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ को सपोर्ट मिला। आईएचएस मार्किट का निक्केई मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स अप्रैल में नए ऑर्डर्स और प्रॉडक्शन में बढ़ोतरी से 51.6 पर पहुंच गया, जबकि मार्च में यह 51 पर था। इंडेक्स जब 50 से ऊपर होता है तो उसे ग्रोथ का संकेत माना जाता है, जबकि इसके 50 से नीचे होने का मतलब कॉन्ट्रैक्शन यानी नेगेटिव ग्रोथ है।
आईएचएस मार्किट की इकनॉमिस्ट आशना ढोढ़िया ने बताया, ‘भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की शुरुआत अप्रैल तिमाही में मजबूत रही है, जबकि मार्च में यह 5 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया था। डिमांड बढ़ने से इसकी ग्रोथ तेज हुई है।’ वित्त वर्ष 2019 में जीडीपी ग्रोथ 7.4 पर्सेंट रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2018 में इसके 6.6 पर्सेंट रहने का अनुमान है। कार कंपनियों की बिक्री के आंकड़े मंगलवार को जारी हुए थे। इसके मुताबिक, देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी की बिक्री अप्रैल में 14.4 पर्सेंट बढ़ी थी।
पीएमआई सर्वे से डिमांड बढ़ने का भी संकेत मिला है। मैन्युफैक्चरिंग प्रॉडक्शन बढ़ने से पिछले महीने रोजगार के नए मौके भी बने। इंटरमीडिएट और इनवेस्टमेंट मार्केट ग्रुप में खासतौर पर रोजगार में बढ़ोतरी देखी गई। डिमांड बढ़ने की उम्मीद के चलते बिजनेस सेंटीमेंट जुलाई 2017 में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद सबसे ऊपरी स्तर पर पहुंच गया है।
पीएमआई सर्वे में यह भी कहा गया है कि आने वाले साल में नए बिजनस और डिमांड कंडीशन में और सुधार होगा। कंज्यूमर गुड्स सेगमेंट का प्रदर्शन एक बार फिर अप्रैल में बढ़िया रहा है। तीन मार्केट ग्रुप में इसकी ग्रोथ सबसे तेज रही है। इनवेस्टमेंट गुड्स का परफॉर्मेंस सबसे कमजोर रहा। अप्रैल में इसके प्रॉडक्शन और नए ऑर्डर्स दोनों में गिरावट आई। अप्रैल में लगातार दूसरे महीने महंगाई का दबाव कम हुआ। मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों की इनपुट कॉस्ट और आउटपुट चार्जेज में सितंबर 2017 और जुलाई 2017 के बाद क्रमश: सबसे कम बढ़ोतरी हुई।
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