मेक इन इंडिया के लिए आयातित दवाओं पर ड्यूटी बढ़ी, महंगी हुईं जीवनरक्षक दवाएं
|कैंसर, एचआईवी और हृदयाघात जैसी बीमारियों के लिए जीवनरक्षक दवाएं अब महंगी हो गई हैं।
एक नोटिफिकेशन जारी कर सरकार ने इन दवाओं की कस्टम ड्यूटी पर लागू छूट को वापस लेने की जानकारी दी है। इस फैसले के बाद इन दवाओं पर 5 से 35 फीसदी तक ड्यूटी चार्ज में इजाफा हो जाएगा।
सिफॉपिराज़ोन, कार्बिडोपा और केटामाइन जैसे बल्क ड्रग्स पार्किन्सन रोग, हृदयाघात और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के लिए जीवनरक्षक दवाओं के उत्पादन में इस्तेमाल किए जाते हैं। इन पर अब 5 फीसदी की बजाय कस्टम ड्यूटी 10 फीसदी हो जाएगी। वहीं ऐंटी रेबीज़ इम्यूनोग्लोबिन और प्रोकार्बाज़ीन जैसी दवाओं पर पहले कोई कस्टम ड्यूटी नहीं थी लेकिन अब इन पर 35 फीसदी तक की ड्यूटी लगा दी गई है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने यह कदम मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही बल्क ड्रग्स के उत्पादन को बढ़ावा देने और इनके आयात को न्यूनतम स्तर पर लाने के मकसद से यह कदम उठाया है।
डीलॉयट कंसल्टेंसी के सीनियर डायरेक्टर एमएस मणि का कहना है, ‘सरकार के इस फैसले से उपभोक्ताओं पर खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि कंपनियां अब आयातित बल्क ड्रग्स का इस्तेमाल कम करेंगी और या तो वह इसका उत्पादन खुद करेंगी या फिर घरेलू कच्चे माल का इस्तेमाल करेंगी ताकि बढ़ी हुई लागत से बच सकें।’
वहीं इंडस्ट्री सरकार के इस फैसले से खुश नज़र नहीं आ रही है।
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