मूवी रिव्यू- कल्कि:बोरिंग फर्स्ट हाफ और ढीले स्क्रीनप्ले को हॉलीवुड लेवल के VFX ने बचाया; बिग बी और प्रभास का एक्शन सीक्वेंस जबरदस्त
|अमिताभ बच्चन, प्रभास, कमल हासन और दीपिका पादुकोण स्टारर फिल्म कल्कि 2898 AD रिलीज हो गई है। साइंस फिक्शन माइथोड्रामा इस फिल्म की लेंथ 3 घंटे है। दैनिक भास्कर ने फिल्म को 5 में से 3.5 स्टार रेटिंग दी है। फिल्म की कहानी क्या है? फिल्म की शुरुआत महाभारत के बैकड्रॉप से होती है। युद्ध के मैदान में श्रीकृष्ण, अश्वत्थामा (अमिताभ बच्चन) को कभी न मरने का श्राप देते हैं। हालांकि, इस श्राप के साथ वो अश्वत्थामा को प्रायश्चित करने का एक मौका भी देते हैं। श्रीकृष्ण, अश्वत्थामा से कहते हैं कि हजारों साल बाद जब दुनिया के हर कोने में सिर्फ बुराई होगी, जब लोगों पर अत्याचार बढ़ने लगेगा, तब भगवान के एक अवतार कल्कि का जन्म होगा। हालांकि, उनका जन्म आसान नहीं होगा। वो धरती पर न आएं इसके लिए आसुरी शक्तियां पूरा जोर लगाएंगी। इस स्थिति में अश्वत्थामा को भगवान की सुरक्षा कर अपने पाप धोने का अवसर मिलेगा। अब यहां से कहानी 6 हजार साल बाद आगे बढ़कर दुनिया के आखिरी शहर काशी की तरफ पहुंचती है। इसी शहर के अंदर ‘कॉम्प्लेक्स’ नाम का एक अलग एम्पायर है। इसका शासक सुप्रीम यास्किन (कमल हासन) अपने आप को सर्वशक्तिमान बनाने के लिए एक अलग तरह का एक्सपेरिमेंट करता है। वो इसके लिए लड़कियों की कोख से निकलने वाले सीरम को अपने अंदर इंजेक्ट करता है। इसके जरिए वो अपने लैब में कई लड़कियों की जिंदगी खराब कर चुका है। काफी एक्सपेरिमेंट के बाद उसकी लैब से एक लड़की सुमति (दीपिका पादुकोण) प्रेग्नेंट हो जाती है। सुमति के प्रेग्नेंट होते ही दूर बैठे अश्वत्थामा को एहसास हो जाता है कि भगवान अब उसी बच्चे के रूप में दुनिया में कदम रखने वाले हैं। सुमति वहां से भाग जाती है, रास्ते में उसकी सुरक्षा के लिए अश्वत्थामा मिलते हैं। दूसरी तरफ भैरवा (प्रभास) एक मस्तमौला पैसे का लालची इंसान कैसे भी करके यास्किन के कॉम्प्लेक्स में घुसने की सोचता है। इसके लिए वो कॉम्प्लेक्स के बुरे लोगों को इम्प्रेस करने में लगा रहता है। वो कॉम्प्लेक्स के लोगों को यकीन दिलाता है कि वो सुमति को खोज लाएगा। सुमति के लिए फिर भैरवा और अश्वत्थामा में भीषण लड़ाई होती है। हालांकि बीच में कुछ ऐसा होता है कि भैरवा और अश्वत्थामा साथ मिलकर सुमति की सुरक्षा के लिए लड़ने लगते हैं। क्या भैरवा और अश्वत्थामा के बीच कोई संबंध है। यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी। स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है? वैसे तो आप इसे प्रभास की फिल्म मान देखने जाएंगे, लेकिन जब थिएटर से निकलेंगे तो अमिताभ बच्चन की चर्चा ज्यादा करेंगे। 81 साल की उम्र में भी उन्होंने कमाल का काम किया है। उनकी बॉडी में फ्लेक्सिबिलिटी दिखाई देती है। प्रभास का भी एक्शन सीक्वेंस दमदार है। खास तौर से आखिरी के 20 मिनट में उन्होंने पूरी लाइमलाइट लूट ली है। फर्स्ट हाफ में प्रभास का थोड़ा अलग और मस्ती भरा अंदाज देखने को मिला है। दीपिका पादुकोण को जितना भी स्क्रीन टाइम मिला है, उसमें वो निराश नहीं करती हैं। फिल्म में दिशा पाटनी का भी छोटा सा रोल है, जो उतना इंपैक्टफुल नहीं है। विलेन बने कमल हासन का स्क्रीन टाइम भी कम ही रखा गया है। उनके राइट हैंड बने शाश्वत चटर्जी भी अपने रोल के साथ न्याय करते दिखे हैं। इस फिल्म में आधा दर्जन बड़े एक्टर्स और फिल्म मेकर्स ने कैमियो किया है, जो कि फिल्म का सबसे सरप्राइजिंग पार्ट है। कैसा है फिल्म का डायरेक्शन? नाग अश्विन ने फिल्म का डायरेक्शन किया है। फर्स्ट हाफ में फिल्म बोरिंग है। बहुत सारे सीन्स खींचे हुए लग सकते हैं। गानों की प्लेसिंग भी ठीक नहीं है। स्क्रीनप्ले काफी ढीला दिखता है, समझ नहीं आता है कि कड़ियों को कहां से कहां जोड़ा जा रहा है। फिल्म को आराम से आधे घंटे कम किया जा सकता था। सेकेंड हाफ में फिल्म की असल शुरुआत होती है। स्टार्स का लार्जर दैन लाइफ स्क्रीन प्रेजेंस, हाई ऑक्टेन एक्शन सीक्वेंस, VFX और 3D एक्सपीरिएंस कमाल है। प्रभास और अमिताभ बच्चन के बीच एक्शन सीक्वेंस अद्भुत हैं। फिल्म का म्यूजिक कैसा है? हम पिछले कई सालों से देखते आ रहे हैं कि साउथ की बड़ी फिल्मों का बैकग्राउंड म्यूजिक काफी प्रभावशाली होता है। प्रभास की पिछली रिलीज फिल्म सलार का म्यूजिक भी अच्छा था। कल्कि इस मामले में थोड़ी पीछे रह गई। बैकग्राउंड म्यूजिक तो ठीक-ठाक है, लेकिन गाने बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं। फिल्म का फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं? यह एक हॉलीवुड लेवल की फिल्म है, इसमें कोई संदेह नहीं है। फिल्म में पैसा लगाया गया है तो वो स्क्रीन पर दिखता भी है। सिनेमैटोग्राफी, विजुअल और साउंड इफेक्ट्स की तारीफ बनती है। ऐसी फिल्में सिर्फ थिएटर में ही देखने लायक होती हैं। अगर आप पर्दे पर कुछ लार्जर दैन लाइफ वाला फील एक्सपीरिएंस करना चाहते हैं तो इस फिल्म के लिए जरूर जा सकते हैं। चूंकि फर्स्ट हाफ कमजोर है, इसलिए थोड़ा धैर्य रखना भी पड़ सकता है।