मां ट्यूशन पढ़ाकर पैसे भेजती थी:मुंबई में पहली रात स्टेशन पर गुजरी, फिल्म की कहानी लेकर दर-दर भटके; आपबीती बताते हुए रोए एक्टर आकाश

इस बार की स्ट्रगल स्टोरी में कहानी है एक्टर आकाश प्रताप सिंह की। आकाश को फिल्म बेबी में भी देखा गया था। इस फिल्म में अक्षय कुमार भी थे। वहीं हाल में आकाश की फिल्म मैं लड़ेगा रिलीज हुई है। फिल्म के राइटर भी आकाश ही हैं। इस फिल्म की मेकिंग के दौरान आकाश को बहुत मशक्कत करनी पड़ी थी। कोई भी उनकी कहानी पर फिल्म नहीं बनाना चाहता था। अगर चाहता भी था तो उसमें आकाश को लीड रोल नहीं ऑफर कर रहा था। इसी उथल-पुथल के बीच उन्हें तंगी का सामना भी करना पड़ा। ये सारी बातें आकाश खुद मुंबई स्थित दैनिक भास्कर के ऑफिस में बैठकर मुझे बता रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वे एक्टर नहीं बल्कि फौजी बनना चाहते थे। वहीं, जब बाद में उन्होंने पिता के सामने एक्टर बनने की इच्छा जताई तो पिता नाराज भी हो गए। पढ़िए आकाश के संघर्ष की कहानी, उन्हीं की जुबानी… फौजी बनना चाहते थे आकाश, लेकिन बाद में एक्टर बनने का फैसला किया आकाश कानपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने बचपन के दिनों के बारे में बताया, ‘पिता फौज में थे और मां स्कूल टीचर थीं, लेकिन बाद में उन्होंने परिवार के लिए यह नौकरी छोड़ दी। पिता के जैसे मैंने भी फौज में जाने का सपना देखा था, लेकिन बाद में फिल्मों में दिलचस्पी बनी। जब यह बात पिता को पता चली तो उन्होंने बिल्कुल भी सपोर्ट नहीं किया। एक पिता के तौर पर उनकी भी सोच सही थी। आज भी पिता से मेरी बातचीत बहुत कम होती है। अगर मां और नानी ना होतीं तो मेरा एक्टर बनने का सपना अधूरा रह जाता। उन दोनों ने मुझे मुंबई भेजा था।’ एक्टर बनने की बात सुन लोग हंसने लगे थे मुंबई के सफर के बारे में आकाश ने बताया, ‘मैं 2011 में मुंबई आया था। यहां आने से पहले ही अंधेरी के एक PG वाले से बात कर रखी थी, लेकिन जब एक रात मुंबई पहुंचा तो उस PG वाले ने फोन ही नहीं उठाया। नतीजतन, पूरी रात रेलवे स्टेशन पर बितानी पड़ी। इस स्टेशन पर एक वाकया भी हुआ था। दरअसल, उसी रात मेरे साथ 2-3 लोग और बैठे हुए थे। उन्होंने पूछा कि किस काम के सिलसिले में मुंबई आए हो? मैंने जवाब दिया कि एक्टर बनने की चाहत में यहां आया हूं। यह बात सुनकर वे हंसने लगे। उस समय तो उनकी हंसी की वजह समझ नहीं आई, लेकिन यहां संघर्ष के बाद उसका कारण जान गया हूं। अंधेरी के उसी PG में मेरी मुलाकात अक्षय भगवानजी से हुई। तभी से हम दोनों दोस्त हैं। हर कदम पर वही एक शख्स है, जिसने मुझे सपोर्ट किया है।’ मां ट्यूशन पढ़ा कर खर्च के लिए पैसे भेजती थीं मुंबई के संघर्ष के बारे में आकाश ने बताया, ‘यहां आने पर शुरुआती 6 महीने घर से 10 हजार रुपए पॉकेट मनी के तौर पर मिलते थे। हालांकि, घरवालों के लिए यह पैसा भेजना आसान नहीं था। इसी वक्त पिता की तबीयत खराब हो गई। तब मां कई जगह ट्यूशन पढ़ा कर मुझे पैसे भेजती थीं। मेरी वजह से वे लोग भी संघर्ष कर रहे थे। मैं यह नहीं चाहता था कि घरवाले कॉल करके यह पूछें कि क्या चल रहा है। दरअसल, मुझे भी पता नहीं था कि क्या चल रहा है। घरवालों को कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं था। फिल्मों में काम नहीं मिल रहा था, यह बात घरवालों को कैसे बताऊं, समझ नहीं आ रहा था। घरवाले और आस-पड़ोस के लोगों को तो यही पता था कि मैं एक्टर बनने मुंबई गया हूं। जब लंबे समय तक उन्होंने मुझे कहीं देखा नहीं तो बातें बनाने लगे। पड़ोसियों को लगा कि मैं घर से भाग गया हूं। कई लोग तो मां से पूछते थे कि मैं कहां हूं और क्या कर रहा हूं, भाग तो नहीं गया हूं। हां, मुझे कभी खाने के लिए ज्यादा स्ट्रगल नहीं करना पड़ा। ऐसा इसलिए क्योंकि सभी दोस्त मिलजुल कर पैसे मैनेज कर खाना बना लेते थे। जब कभी पैसे कम होते, तब खर्च कम कर देता था। ऐसे ही जैसे-तैसे गुजारा होता गया।’ तमाम कठिनाइयों को पार कर बनी फिल्म ‘मैं लड़ेगा’ आकाश की हाल ही में फिल्म मैं लड़ेगा रिलीज हुई है। फिल्म की कहानी आकाश ने ही लिखी है। इस फिल्म को अंजाम तक पहुंचाने के लिए उन्हें बहुत पापड़ बेलने पड़े। उन्होंने कहा, ‘इस फिल्म की पूरी मेकिंग को भी हम मैं लड़ेगा का टाइटल दे सकते हैं। फिल्म की कहानी तो मैंने लिख दी, लेकिन इसके प्रोडक्शन से रिलीज तक का सफर बहुत कठिन था। 25 साल की उम्र में मुझे एहसास हुआ कि जो मैं कर रहा हूं, वो बस रूटीन सा बन कर रह गया है। उस वक्त तक मैं सिर्फ पैसे कमाने के लिए एक्टिंग कर रहा था। ऐसा इसलिए भी क्योंकि एक फिक्स्ड समय पर रेंट देना और खुद की जरूरतों को पूरा भी करना था। जब करियर में कोई बड़ी ग्रोथ नहीं हुई तो कुछ समय के लिए ब्रेक लेने का फैसला किया। इस ब्रेक के दौरान कुछ बड़ा करने का ख्याल आया। जब मैंने यह फैसला किया था, तब पास में सेविंग्स अच्छी-खासी हो गई थी। बिना सेविंग्स के ब्रेक लेना मुमकिन नहीं हो पाता। इसके बाद ही असल संघर्ष शुरू हुआ। इससे पहले मैंने अक्षय कुमार की फिल्म बेबी में काम कर लिया था। इस वजह से इंडस्ट्री के कुछ लोगों को जानता था। फिर उनसे जाकर मिलने लगा। सबका यही कहना था कि तुम्हारे लिए क्यों कोई फिल्म की कहानी लिखेगा। इंडस्ट्री में बहुत ज्यादा फेमस भी नहीं हो। लोगों की ये बात मुझे भी सही ही लगी। लोगों की इन्हीं बातों ने मुझे प्रेरित किया और मैंने 2-3 कहानियां लिख दीं। हालांकि, ये कहानियां कुछ खास अच्छी नहीं थीं। इसके बाद मैंने तीसरी स्क्रिप्ट लिखी, जिस पर ये फिल्म बनी है। मैंने ये कहानी लिख अपने दोस्त अक्षय भगवानजी को सुनाई और उन्हें भी बहुत पसंद आई। अक्षय इस फिल्म के प्रोड्यूसर भी हैं। एक पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिलने के बाद मैं कहानी लेकर कई लोगों के पास गया। कई लोगों को कहानी पसंद भी आ जाती थी। 1-2 महीने बातचीत का सिलसिला जारी रहता था, लेकिन फिर एक जगह बात आकर अटक जाती थी। दरअसल, मेरी दिली चाहत थी कि इस कहानी पर बनी फिल्म में मैं लीड रोल प्ले करूं, लेकिन इसके लिए कोई तैयार नहीं हो रहा था। मैं भी अपनी शर्त से पीछे नहीं हट सकता था। मैंने यह तर्क भी दिया था कि कहानी लिखते वक्त मैंने इस किरदार को जिया है। दूसरी बात यह भी थी कि यह रोल 18 साल के लड़के का था। भला दूसरा कौन एक्टर इस 18 साल के लड़के का रोल निभा पाता। इस रोल में ढलने के लिए मैंने 28 साल की उम्र में 11 किलो वजन भी कम कर लिया था, लेकिन फिर भी लोग नहीं मान रहे थे। फिर एक प्रोडक्शन कंपनी इसके लिए राजी हो गई। कंपनी इस कहानी पर सीरीज बनाना चाहती थी। उनका कहना था कि मैं उन्हें अपनी यह कहानी दे दूं, जिसके बदले वो बहुत पैसा भी दे रहे थे, लेकिन मैं इसके लिए तैयार नहीं हुआ। तभी कोविड आ गया। हालत बद से बदतर हो गई। पिछले डेढ़ साल काम नहीं किया था, तो चीजें आर्थिक रूप से भी थोड़ी कमजोर हो गईं। कोविड के बाद अक्षय ने कहा- चिंता मत कर हम खुद इस फिल्म को बनाएंगे। अक्षय का कहना भी सही था, लेकिन सफर आसान नहीं था। राजस्थान, सूरत तक जाकर लोगों से मिलता था कि कोई इनवेस्ट कर दे, लेकिन जवाब में निराशा ही मिलती थी। हालांकि कुछ समय बाद सोचा हुआ सपना सच हो गया। पिनाकिन भक्त ने अक्षय के साथ मिलकर इस फिल्म को प्रोड्यूस करने का फैसला किया।’ शुरुआत के 1 हफ्ते बाद ही फिल्म की शूटिंग बंद करनी पड़ी आकाश ने आगे कहा, ‘फिल्म मैं लड़ेगा की शूटिंग हरिद्वार में शुरू हुई थी, लेकिन 1 हफ्ते बाद ही बंद हो गई थी। बंद होने की वजह ये थी कि बजट ही कम पड़ गया था। शूटिंग के आखिरी दिन ऐसा लग रहा था कि होटल वाले भी पैसे ना देने की वजह से हमारा सामान रख लेंगे, लेकिन हम उसके लिए तैयार थे। एक-डेढ़ महीने फिल्म की शूटिंग बंद रही। इसके बाद प्रोड्यूसर ने पैसा फिर से लगाया और शूटिंग दोबारा शुरू हुई। बाकी की शूटिंग नैनीताल और लद्दाख जैसी जगहों पर हुई थी। कुल 46 दिन में फिल्म की शूटिंग खत्म हो गई थी।’

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