मंगोलिया में भारत कर रहा है अब तक का सबसे भारी निवेश, चीन पर निर्भरता कम करने की कोशिश
|इतिहास खुद को किस तरह बदलता है,उसकी अनूठी और दिलचस्प मिसाल भारत-मंगाेलिया के बीच हाल में बनते रिश्ते से मिल रही है। हम इतिहास में मंगोलिया के क्रूर-सनकी राजा चंगेज खां के लूट-जुल्म और भारत की ओर बढ़ते कदम की कहानियां पहले ही सुन चुके हैं।अब हम उस दौर को देख रहे हैं जब मंगोलिया को मुख्यधारा में लाने में भारत की बड़ी भूमिका सामने आ रही है। दरअसल, भारत ने हाल के दिनों का सबसे बड़ा विदेशी निवेश मंगोलिया में करने का फैसला लिया है। लगभग 64 अरब रुपये से अधिक के इस निवेश से मंगोलिया की अपनी पहली रिफाइनरी तैयार होगी। इसके अलावा करोड़ों रुपये के अन्य निवेश का रास्ता भी साफ हो गया है।
खुद मंगोलिया ने भारत के इस निवेश को गेम चेंजर बताते हुए उम्मीद जताई है कि आने वाले सालों में इससे इस देश की सूरत बदल जाएगी। भारत भी मंगोलिया से बेहतर होते संबंधों को मौजूदा कूटनीति में अहम मान रहा है। कुछ दिन पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मंगोलिया यात्रा के बाद भारत मंगोलिया को उसकी पहली तेल रिफाइनरी के निर्माण में लगभग 64 अरब रुपये की मदद कर रहा है। इसके अलावा वहां के इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी भारी निवेश करने का ऐलान किया गया है।
विदेश मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक मंगोलिया की ब्यूरोक्रेसी के साथ आइडिया एक्सचेंज जैसी बातों से लेकर वहां के बड़े प्रॉजेक्ट्स तक में अाने वाले सालों में भारत की छाप दिखेगी। भारत का दावा है कि इससे अगले कुछ सालों में मंगोलिया चीन और रूस पर निर्भरता से खुद को अलग कर सकेगा और भारत यहां बड़ी भूमिका निभाएगा। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार भले ही विश्व मानचित्र पर मंगोलिया एक छोटा देश लगे, लेकिन चीन और रूस से सटा यह देश भी डिमॉक्रेसी बहाल होने के बाद इन दोनों देशों के इतर अपनी संभावनाएं तलाश रहा था। इधर भारत भी इस इलाके में चीन की विस्तारवादी नीति को चेक-मेट करने की कोशिश कर रहा था। जाहिर है कि दोनों देशों को हालात और परिस्थिति ने नजदीक लाकर खड़ा कर दिया।
इसी मौके का लाभ उठाते हुए 2015 में पीएम मोदी जब इस देश की यात्रा पर गए तो वहां की यात्रा करने वाले वह पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे। सुषमा स्वराज के रूप में 40 साल बाद कोई भारतीय विदेश मंत्री वहां के दौरे पर गया। अब इसी महीने के अंत तक गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी मंगोलिया के दौरे पर जाएंगे। जानकारों के अनुसार मंगोलिया की भारत से करीबी चीन को अखर सकती है, लेकिन संकेत साफ है कि अभी भारत मंगोलिया से अपने संबंध को और बेहतर करने की दिशा में ही आगे बढ़ेगा।
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