भारत ने जैवविविधता संरक्षण के लिए एक अलग फंड बनाने की मांग की
|भारत ने कनाडा के मॉन्ट्रियल में जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र के शिखर सम्मेलन में कहा है कि विकासशील देशों को जैवविविधता को हुए नुकसान को रोकने और उसकी भरपाई करने के वास्ते 2020 के बाद की वैश्विक रूपरेखा को सफलतापूर्वक लागू करने में मदद देने के लिए एक नया एवं समर्पित कोष बनाने की तत्काल आवश्यकता है। भारत ने यह भी कहा कि जैवविविधता का संरक्षण ‘साझा लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं’ (सीबीडीआर) पर आधारित होना चाहिए, क्योंकि जलवायु परिवर्तन प्रकृति पर भी असर डालता है।
जैविक विविधता पर संधि (सीबीडी) में शामिल 196 देशों के 2020 के बाद की वैश्विक जैवविविधता रूपरेखा (जीबीएफ) पर बातचीत को अंतिम रूप देने के लिए एकत्रित होने के बीच वित्त संबंधित लक्ष्यों में सीबीडीआर सिद्धांत को शामिल करने की मांग की जा रही है। जीबीएफ में जैवविविधता को हुए नुकसान को रोकने और उसकी भरपाई करने के लिए निर्धारित नए लक्ष्य शामिल हैं। भारत सहित 196 देशों के प्रतिनिधि सात दिसंबर से शुरू हुए संयुक्त राष्ट्र के जैवविविधता शिखर सम्मेलन (सीओपी15) में नयी वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा (जीबीएफ) पर वार्ता को अंतिम रूप देने की उम्मीद से एकत्रित हुए हैं।
विकासशील देशों को मिले फंड और प्रौद्योगिकी की सहायता
इस सम्मेलन में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, ‘विकासशील देशों को वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने के लिए एक नया और समर्पित तंत्र बनाने की आवश्यकता है। ऐसी निधि जल्द से जल्द बनाई जानी चाहिए, ताकि सभी देश 2020 के बाद जीबीएफ का प्रभावी रूप से क्रियान्वयन कर सकें।’ भारत ने कहा कि जैवविविधता के संरक्षण के लिए लक्ष्यों को लागू करने का सबसे ज्यादा बोझ विकासशील देशों पर पड़ता है और इसलिए इस उद्देश्य के लिए उन्हें पर्याप्त निधि तथा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण की आवश्यकता है।
सीबीडी सीओपी15 में हिस्सा ले रहे देश पर्यावरण के लिए हानिकारक सब्सिडी को खत्म करने पर आम सहमति बनाने की कोशिश भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि जीवाश्म ईंधन के उत्पादन, कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन के लिए दी जाने वाली सब्सिडी को हर साल कम से कम 500 अरब डॉलर तक कम करना और इस पैसे का इस्तेमाल जैवविविधता संरक्षण के लिए किया जाना बेहद फायदेमंद होगा।
बहरहाल, यादव ने कहा कि भारत कृषि संबंधित सब्सिडी को कम करने और इससे बचने वाले पैसे का इस्तेमाल जैवविविधता के संरक्षण के लिए करने पर राजी नहीं है, क्योंकि देश की कई अन्य प्राथमिकताएं भी हैं। यादव ने कहा कि विकासशील देशों में कृषि ग्रामीण समुदायों के लिए आर्थिक विकास सुनिश्चित करने का सर्वोपरि साधन है। उन्होंने कहा कि भारत में ज्यादातर ग्रामीण आबादी कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों पर आश्रित है तथा सरकार इन क्षेत्रों में कई तरह की सब्सिडी उपलब्ध कराती है।
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