भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिए विश्वसनीय भागीदार हो सकता है ईरान: रूहानी

तेहरान
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को आश्वस्त किया कि उनका देश भारत की ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने में एक विश्वसनीय भागीदार हो सकता है क्योंकि दोनों देशों ने विशेष रूप से तेल एवं गैस क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपने संबंधों को महत्वपूर्ण विस्तार देने का फैसला किया है। विदेश मंत्री ईरान की यात्रा पर शनिवार को तेहरान पहुंचीं। उन्होंने रूहानी से मुलाकात की और ईरान के विदेश मंत्री जावद जारिफ से बातचीत की। उन्होंने सर्वोच्च नेता सैय्यद अली खमेनी के सलाहकार अली अकबर विलायती से भी मुलाकात की और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। रूहानी ने स्वराज से कहा, ‘ईरान भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिए विश्वसनीय भागीदार हो सकता है।’

भारत ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंध के हटाए जाने के बाद ईरान के साथ ऊर्जा क्षेत्र में संबंधों के विस्तार के लिए तेल एवं गैस क्षेत्र समेत पेट्रोरसायन और उर्वरक खंड में 20 अरब डॉलर का निवेश की तैयारी पहले तैयारी कर ली है। भारत ईरान से तेल का आयात बढ़ने को भी इच्छुक है जो फिलहाल 3,50,000 बैरल प्रति दिन है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, ‘रुहानी ने चाबहार बंदरगाह को महत्वपूर्ण पार्टनरशिप करार दिया जिसमें पूरे इलाके के साथ सम्पर्क सुविधा बढ़ाने की संभावना है।’ बातचीत मुख्य रूप से ऊर्जा सहयोग और चाबहार बंदरगाह के विकास पर केंद्रित थी। वार्ता का विषय ज्यादातर आर्थिक था। ईरान की सीमा अफगानिस्तान और पाकिस्तान से लगी हुई है।

रूहानी ने क्षेत्रीय मुद्दों विशेष तौर पर अफगानिस्तान और आतंकवाद की चुनौती पर भारत के साथ निकट परामर्श की भी उम्मीद जताई। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता स्वरूप ने कहा कि स्वराज ने अपनी ओर से रुहानी को जारिफ के साथ हुई चर्चा के बारे में बताया और कहा कि भारत ने ईरान को हमेशा अपने विस्तृत पड़ोस का अंग माना है। उन्होंने ईरान के तेल एवं गैस समेत विभिन्न क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की भारत की इच्छा के बारे में बताया। स्वराज ने ईरान के राष्ट्रपति से कहा, ‘प्राकृतिक रूप से एक दूसरे के पूरक होने के मद्देनजर हमें एक खरीदार-विक्रेता के संबंध से आगे बढ़कर एक परस्पर लाभकारी पार्टनरशिप की ओर बढ़ाना चाहिए।’

प्रवक्ता ने कहा कि रूहानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रूस के उफा में हुई अपनी मुलाकात को याद किया और स्वराज से कहा कि वह मोदी को उनकी ओर से शुभकामनाएं दें। राष्ट्रपति ने भारत के साथ शैक्षणिक, वैज्ञानिक और टेक्नॉलजी सेक्टर में बेहतर संबंध का भी आह्वान किया। उन्होंने स्वराज से कहा, ‘भारत और ईरान के बीच ऐतिहासिक तौर पर बेहद गहरे सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। इससे दोनों देशों के बीच पर्यटन और जनता के बीच संपर्क का बेहतर भागीदारी बढ़ाने का रास्ता बन सकता है।’

इससे पहले जारिफ के साथ बातचीत के दौरान दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि तरजीही व्यापार समझौते, दोहरे कराधान से बचाव की संधि और द्विपक्षीय निवेश संधि जैसे लंबित समझौते प्राथमिकता के आधार पर पूर हों ताकि व्यापार और निवेश बढ़े। स्वरूप ने कहा, ‘यह वार्ता बेहद सफल रही और इससे ईरान के साथ हमारे सदियों पुराने संबंध को नई ऊर्जा मिलेगी। आज की भविष्योन्मुखी वार्ता के नतीजे के तौर पर विशेष तौर पर आर्थिक भागीदारी को उल्लेखनीय गति मिलेगी।’

सूत्रों ने बताया कि ईरानी पक्ष की ओर से कुलभूषण जाधव का मुद्दा नहीं उठाया गया। जाधव को बलूचिस्तान में गिरफ्तार किया गया है। वह ईरान के रास्ते वहां घुसा था। पाकिस्तान ने जाधव पर विध्वंसकारी गतिविधियों की योजना बनाने का आरोप लगाया है। भारत और ईरान ने चाबहार परियोजना की प्रगति की समीक्षा की। दोनों में इस बात पर सहमति बनी कि चाबहार के लिए व्यावसायिक अनुबंध और चाबहार बंदरगाह के लिए 15 करोड़ डॉलर की फंडिंग के तौर तरीके पर जल्द दस्तखत किए जाएंगे। इस लोन सुविधा पर फैसले के अलावा अपने यहां से इस्पात रेल की आपूर्ति के लिए 40 करोड़ डॉलर की लोन सुविधा देने का प्रस्ताव भारत पहले ही कर चुका है।

स्वरूप ने कहा कि दोनों पक्षों ने ऊर्जा भागीदारी पर विचार विमर्श किया और ईरान ने अपने तेल एवं गैस क्षेत्र में भारत की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया। ईरान ने कहा कि वह भारत के रिफाइनरी क्षेत्र में भागीदारी कर काफी खुश होगा। फरजाद बी तेल क्षेत्र परियोजना के बारे में दोनों पक्षों ने पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की हालिया ईरान यात्रा के दौरान हुई रचनात्मक बातचीत का जिक्र किया। व्यापार और निवेश के बारे में दोनों पक्षों में सहमति बनी कि प्रतिबंध हटने के बाद इन रिश्तों को आगे बढ़ाने की व्यापक संभावना है। स्वरूप ने कहा कि दोनों देशों में तरजीही व्यापार करार, दोहरा कराधान बचाव संधि तथा द्विपक्षीय निवेश संधि पर लंबित करारों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने की सहमति बनी है।

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