भारत और अफगानिस्‍तान की बढ़ती दोस्‍ती को सहन नहीं कर सकता पाकिस्‍तान: करजई

काबुल
अफगानिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति हा‍मिद करजई का कहना है कि पाकिस्‍तान नहीं चाहता है कि भारत और अफगानिस्‍तान के बीच अच्‍छे रिश्‍ते कायम हों। करजई ने कहा कि पाकिस्‍तान की मंशा है कि मध्य एशिया तक ना तो भारत की पहुंच हो और ना ही इस हिस्‍से के देशों के साथ उसका किसी तरह का द्विपक्षीय व्‍यापार हो।

द डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को बीबीसी उर्दू को दिए गए एक इंटरव्‍यू में करजई ने दावा किया कि अफगानिस्‍तान में इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर और हेल्‍थ सुविधाओं को खड़ा करने में भारत भरपूर मदद कर रहा है और एक गरीब देश होने के बावजूद वह अफगानिस्‍तान को वित्‍तीय मदद दे रहा है।

करजई ने कहा, ‘भारत, अफगानिस्‍तान को पूरी तरह अपना दोस्‍त मानता है और हम चाहते हैं कि पाकिस्‍तान भी ऐसा ही करे।’ उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान को अफगानिस्‍तान, भारत और ईरान के गठबंधन का हिस्‍सा बनना चाहिए लेकिन पाकिस्‍तान की शर्त यह है कि अफगानिस्‍तान का भारत के साथ संपर्क नहीं होना चाहिए। करजई ने कहा, ‘अगर यह मामला सुलझ जाता है तो पाकिस्‍तान के साथ हमारे रिश्‍ते तेजी से सुधरेंगे।’

करजई ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्‍तान को निशाने पर लिया और कहा कि पाकिस्‍तान आतंकवादियों का सुरक्षित पनाहगाह है। उन्‍होंने कहा, ‘आतंकवाद और चरमपंथ वैसे खतरे हैं जिन्‍होंने ना सिर्फ अफगानिस्‍तान और पाकिस्‍तान की आवाम को प्रभावित किया है बल्कि अफगानिस्‍तान के लोगों का यह मानना है कि पाकिस्‍तान उनका सुरक्षित पनाहगाह है और उन्‍हें वहां से मदद भी मिलती है।

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