भारत-अमेरिका के रक्षा संबंधों में गजब की तेजी

वॉशिंगटन
हिंद महासागर में चलने वाली पनडुब्बियों का पता लगाने में भारत और अमेरिका द्वारा एक दूसरे की मदद किए जाने की बातचीत से जुड़ी खबरों के बीच अमेरिका के एक शीर्ष नौसैन्य एडमिरल ने कहा है कि भारत और अमेरिका के रक्षा संबंध एक ‘शानदार’ रफ्तार के साथ आगे बढ़ रहे हैं और इनका एक ‘नौवहन आयाम’ है। नौसैन्य अभियानों के प्रमुख एडमिरल जॉन एम रिचर्डसन से जब इन खबरों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कैमरों की गैरमौजूदगी में संवाददाताओं को बताया, ‘उस तरह के अभियानों की जानकारी पर हम यहां टिप्पणी नहीं कर सकते।’

हालांकि रिचर्डसन ने कहा कि ‘तेजी से बढ़ते’ भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधों का एक ‘नौवहन आयाम’ है। रिचर्डसन हाल में विशाखापत्तनम में हुए समुद्री अभ्यास के दौरान समीक्षा के लिए भारत गए थे। इस अभ्यास में 60 देशों के 100 पोतों ने हिस्सा लिया था। उन्होंने कहा, ‘आप वाकई महसूस कर सकते हैं कि उस क्षेत्र में चीजों में बदलाव जारी होने से क्षेत्र में बहुत सी साझेदारियां उभरकर आ रही हैं। इसलिए यह एक बेहद गतिशील स्थिति है। हमें बस उसका करीब से निरीक्षण करना है। हम अपने सहयोगियों के साथ उस स्तर तक सहयोग करेंगे कि यह हम दोनों के हितों की पूर्ति करे।’

रिचर्डसन ने आम तौर पर कहा कि इसमें बहुत से उभरते अवसर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका, जापान और भारत के बीच हुआ पिछला मालाबार अभ्यास उच्च स्तर का था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी भी हिंद महासागर में पनडुब्बियों पर अमेरिका और भारत के सहयोग पर टिप्पणी करने से बचते रहे।

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