भारतीय IT कंपनियों ने 15% कम वीजा ऐप्लिकेशन दाखिल किए
|टेक्नॉलजी आउटसोर्सिंग कंपनियां अमेरिकी सरकार से अब कम वीजा की मांग कर रही हैं। अमेरिकी नागरिक और आव्रजन सेवाओं के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल इस संबंध में दाखिल आवेदनों की संख्या में गिरावट हुई है। अडमिनिस्ट्रेशन ने इन आवेदनों के जवाब में 59 प्रतिशत से भी कम एच-1बी वीजा ऐप्लिकेशन को मंजूरी दी गई।
दरअसल, टेक्नॉलजी आउटसोर्सिंग के सबसे बड़े मार्केट अमेरिका में फॉरन वर्कर्स के खिलाफ प्रतिकूल माहौल हो गया है। इस साल अमेरिकी सरकार को एच-1बी वीजा के लिए 3,36,000 आवेदन मिले, जिनमें एक्सटेंशन और नए ऐप्लिकेशन दोनों शामिल हैं। जून के आखिर तक इनमें में से 1,97,129 वीजा आवेदनों को मंजूरी मिली थी। भारत के एक आईटी आउटसोर्सिंग फर्म के एक एग्जिक्युटिव ने बताया, ‘वो सख्त हो गए हैं और कई अन्य दस्तावेजों की मांग कर रहे हैं।’ उनके अनुमान के मुताबिक, वीजा ऐप्लिकेशंस के फाइनल नंबर काफी कम नहीं भी हो सकते हैं, लेकिन उनका कहना था कि भारतीय आईटी कंपनियों ने पहले ही वीजा रिक्वेस्ट में कटौती करनी शुरू कर दी है।
समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में अमेरिकी आव्रजन विभाग के प्रवक्ता केटी टी ने बताया कि वक्त बीतने के साथ और मंजूरी मिल सकती है। इस साल के कई और ऐप्लिकेशंस अब भी पेंडिंग हैं। अमेरिका में पिछले साल 4 लाख ऐप्लिकेशंस मिले और सिर्फ 3.5 लाख आवेदकों को वीजा दिया गया।
भारतीय आईटी कंपनियां वर्क वीजा के लिए सबसे बड़े यूजर्स में से एक हैं। हालांकि, अमेरिका में कंज़रवेटिज्म का शोर बढ़ने के साथ ही इस तरह की कटौती की जा रही है। देश की प्रमुख आईटी कंपनी विप्रो ने तो अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को रिस्क फैक्टर तक बता चुकी है। आंकड़ों के मुताबिक, भारतीयों ने इस बार कम एच-1बी वीजा के लिए कम ऐप्लिकेशन डाले। इस साल ऐसे ऐप्लिकेशंस की संख्या 2,47,000 रही, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 3,00,000 से भी ज्यादा रहा था। 2007 से अब तक 21 लाख से भी ज्यादातर भारतीय नागरिक एच-1बी वीजा के लिए ऐप्लिकेशन दायर कर चुके हैं।
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