ब्रिटेन गुरुवार लेगा बड़ा फैसला, दुनिया की थमी सांस

पैरिस
28 देशों वाला यूरोपीयन यूनियन ब्रिटेन के अलग होने की आशंका से पीड़ित है। ब्रिटेन की जनता इस मुद्दे पर गुरुवार को मतदान करने वाली है कि उन्हें ईयू में रहना है या नहीं। यदि ब्रिटेन अलग होता है तो यह यूरोपीयन यूनियन के इतिहास का पहला वाकया होगा। हालांकि इससे पहले ग्नीनलैंड अलग हो चुका है लेकिन वह नेशन-स्टेट नहीं था। ग्रीनलैंड डेनमार्क के भीतर एक स्वायत देश है।

ब्रिटिश पीएम डेविड कैमरन ने 2015 के चुनाव में वादा किया था कि वह फिर से जीतकर सत्ता में वापसी करते हैं तो यूरोपीयन यूनियन में ब्रिटेन के रहने पर जनमत संग्रह कराएंगे। कैमरन ने सत्ता में वापसी की और गुरुवार को वह अपना वादा निभाने जा रहे हैं। यूरोपीयन यूनियन में रहने को लेकर ब्रिटेन में व्यापक पैमाने पर विरोध है। ब्रिटेन की सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी के कई मंत्री भी चाहते हैं कि ब्रिटेन अब ईयू से अलग हो जाए।

ब्रिटेन की बहुसंख्यक जनता को भी लगता है कि ब्रिटेन ईयू में रहकर अपना नहीं बल्कि दूसरे देशों का भला कर रहा है। ब्रिटिश नागरिकों को लगता है कि ब्रिटेन ईयू के अन्य देशों की मदद के लिए भारी रकम प्रदान करता है। इसके साथ ही शरणार्थियों के मुद्दों पर ब्रिटिश नागरिकों में ईयू के रुख पर नाराजगी है। ब्रिटिश नागरिकों के बीच धारणा तेजी से पैठ रही है कि शरणार्थी उनके लिए खतरा बनते जा रहे हैं। इन्हीं कई मुद्दों पर ब्रिटेन में ईयू से अलग होने को लेकर मुहिम जोर पकड़ी और गुरुवार को इस पर फैसला होने जा रहा है।

यूरोपीयन यूनियन से ब्रिटेन के निकलने को लेकर बढ़ती आशंका के बीच ईयू के बाकी देशों ने कड़ी चेतावनी दी है। ब्रिटेन में ईयू को लेकर अविश्वास और घबराहट का माहौल है। ईयू के बाकी देशों ने ब्रिटेन के निकलने की आशंका के मद्देनजर कड़ा रुख अपनाया है। यदि गुरुवार को होने वाले जनमत संग्रह में ब्रिटिश नागरिक ईयू से अलग होने के पक्ष में मतदान करते हैं तो इससे यूरोप में भारी उठापटक की स्थिति सामने आएगी। यूरोपीयन अधिकारियों और विश्लेषकों का कहना है कि ब्रिटेन को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

ब्रिटेन के इस रुख को ईयू के अन्य देश भी अपना सकते हैं। ईयू के कई देश ग्रीक कर्ज, शरणार्थियों की समस्या और आतंकवाद पर स्पष्ट रुख अपनाना चाहते हैं। इसे लेकर ईयू के देश लंबे वक्त तक कन्फ्यूजन में नहीं रह सकते। जर्मनी के शक्तिशाली वित्त मंत्री वुल्फगांग साइबल ने ब्रिटेन में होने वाले जनमत संग्रह पर कहा, ‘मुझे उम्मीद और भरोसा है कि ब्रिटिश नागरिक ईयू में बने रहने के पक्ष में मतदान करेंगे। ईयू से ब्रिटेन का अलग होना यूरोप के लिए बड़ा नुकसान होगा।’

यूरोपीयन काउंसिल के प्रेजिडेंट डॉनल्ड टस्क ने कहा, ‘ब्रिटेन के अलग होने से ईयू के सभी देशों का नुकसान होगा। ब्रिटेन के निकलने के बाद किसी भी नतीजे पर पहुंचना आसान नहीं होगा। एक इतिहासकार के रूप में मैं डरा हुआ हूं कि ब्रिटेन अलग हुआ तो न केवल ईयू के पतन की शुरुआत होगी बल्कि पश्चिम की राजनीतिक सभ्यता को भी चोट पहुंचेगी।’

ब्रिटेन यदि ईयू के अलग होने का फैसला लेता है तो जर्मनी और फ्रांस दो बड़े देश इस गठजोड़ में बचेंगे। जाहिर है ब्रिटेन के जाने के बाद फ्रांस और जर्मनी पर बड़ी जिम्मेदारी आने वाली है। इन दोनों देशों को दिखाना होगा कि बिना ब्रिटेन के भी यूरोपीयन यूनियन मजबूती के साथ कायम रह सकता है।

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