ब्याज दर में कटौती विनिर्माण क्षेत्र के लिए काफी नहींं

नई दिल्ली

भारतीय रिजर्व बैंक की मंगलवार आने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले फिक्की के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती से विनिर्माण क्षेत्र में निवेश बढ़ाने में मदद नहीं मिली है।

सर्वेक्षण में शामिल 69 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि रेपो दर में (जिस दर पर रिजर्व बैंक बैंकों को अल्पकालिक उधार देता है) कमी के वाबजूद वे अपने यहां किसी बडे निवेश की संभावना नहीं देख रही हैं।

आरबीआई ने जनवरी 2015 से अब तक मुख्य दरों में 0.50 प्रतिशत की कटौती की है लेकिन बैंकों ने अभी तक इसका फायदा उपभोक्ताओं को नहीं प्रदान किया है।

चार मार्च की ताजा कटौती के बाद आरबीआई 7.75 प्रतिशत से घटाकर 7.50 प्रतिशत कर दिया गया। मुख्य दरों में यह कटौती मुद्रास्फीति में नरमी और वित्त मंत्री अरण जेटली द्वारा आम बजट में राजकोषीय पुनर्गठन के प्रति प्रतिबद्धता की घोषणा के कुछ ही दिन बाद हुई।

सर्वेक्षण में पाया गया कि ब्याज दर या वित्तीय लागत लगातार समस्या बनी हुई है। विनिर्माताओं को 9.5 से 14.75 प्रतिशत ब्याज दर का भुगतान करना पडता है जबकि औसत ब्याज दर करीब 12.2 प्रतिशत सालाना है। सर्वे में 58 प्रतिशत ने कहा कि रिण औसतन 12 प्रतिशत से अधिक की दर पर मिल रहा है।
इस बीच बैंकों ने कहा है कि ब्याज दरों में कटौती से पहले सात अप्रैल को आरबीआई द्वारा मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा का इंतजार करेंगे। सर्वेक्षण में एक चिंताजनक संकेत दिया है कि जनवरी से मार्च 2015 की तिमही में विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन घटने के आसार हैं।

आने वाले महीनों में नियुक्ति का परिदृश्य भी उत्साहजनक नहीं है क्योंकि 80 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने अगले तीन महीनों में वे अतिरिक्त कर्मचारी की नियुक्ति नहीं करने की संभावना व्यक्ति की है।

सर्वे में शामिल कंपनियों ने कहा कि भूमि की उपलब्धता, नियामकीय मंजूरी में देरी, मांग में नरमी और रिण की उंची लागत के कारण विस्तार योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। पिछली तिमाहियों में विनिर्माण क्षेत्र में निवेश में नरमी रही। 73 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उनकी अगले छह महीने में क्षमता विस्तार की कोई योजना नहीं है।

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Navbharat Times

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