बैंकिंग तंत्र में फिर नकदी की किल्लत
|बैंकिंग तंत्र में तीन हफ्ते में पहली बार नकदी की किल्लत देखी गई। इसकी वजह से बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से बड़ी मात्रा में उधारी लेनी पड़ी है। बैंकिंग तंत्र में नकदी की अचानक कमी आने की मुख्य वजह तिमाही के अंत में अग्रिम कर भुगतान के लिए धनराशि की निकासी है। इसके अलावा विश्लेषकों का कहना है कि बैंकों से नकदी की निकासी और आरबीआई द्वारा विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप के कारण भी तरलता में कमी आई है।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार 16 दिसंबर तक केंद्रीय बैंक ने बैंकिंग तंत्र में 40,853 करोड़ रुपये डाले हैं। 24 नवंबर के बाद पहला मौका है, जब आरबीआई ने बैंकिंग तंत्र में नकदी डाली है। आंकड़ों के मुताबिक केंद्रीय बैंक ने 30 अक्टूबर के बाद सबसे ज्यादा नकदी 16 दिसंबर को डाली है। 17 दिसंबर को भी 24,220 करोड़ रुपये और 18 दिसंबर को 21,793 करोड़ रुपये की तरलता बढ़ाई गई है। आरबीआई द्वारा नकदी डाले जाने का मतलब है कि बैंकों के पास तरलता कम हुई है, जबकि बैंकिंग तंत्र से नकदी खींचने का अर्थ बैंकों के पास अधिशेष नकदी होना है। 16 दिसंबर से पहले आरबीआई हर दिन औसतन 1.5 लाख करोड़ रुपये की नकदी बैंकिंग तंत्र से खींच रहा था।
आईडीएफसी बैंक में अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा, ‘अग्रिम कर भुगतान के लिए निकासी और सरकारी खर्च की धीमी रफ्तार के कारण बैंकों के पास नकदी की किल्लत हुई है। सरकारी व्यय की धीमी रफ्तार का पता सरकार के पास मौजूद नकदी अधिशेष से भी चलता है, जो 2 दिसंबर को 1 लाख करोड़ रुपये था और 9 दिसंबर को बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।’
उन्होंने कहा, ‘जीएसटी भुगतान के लिए निकासी की वजह से 20 दिसंबर तक नकदी की कमी बनी रह सकती है। इस महीने के अंत तक सरकारी खर्च में भी तेजी आएगी, जिससे बैंकिंग तंत्र में नकदी की स्थिति में सुधार हो सकता है।’ विश्लेषकों के मुताबिक बैंकिंग तंत्र से नकदी की निकासी इस महीने बढ़ी है क्योंकि 9 दिसंबर तक नकदी परिचालन 26,900 करोड़ रुपये तक बढ़ गया था।
नकदी की तंग स्थिति का आरबीआई की मौद्रिक नीति के परिचालन लक्ष्य – भारित औसत कॉल मनी दर (डब्ल्यूएसीआर) पर भी असर पड़ा है। बीते सोमवार को डब्ल्यूएसीआर 6.50 फीसदी पर बंद हुई, जो ब्याज दर के मामले में सबसे ऊंची है। अल्पावधि में बैंकों के कोष की लागत तय करने वाली इंटरबैंक कॉल मनी दर दिन में बढ़कर 6.60 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। इस समय नकदी की किल्लत का सामना कर रहे बैंकों को नकदी की जरूरत के लिए एमएसएफ विंडो का सहारा लेना चाहिए।
आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि बैंकिंग तंत्र में नकदी तभी डाली जाएगी, जब बैंकों द्वारा उसके पास जमा कराई गई अधिशेष धनराशि में उल्लेखनीय कमी आएगी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि केंद्रीय बैंक दोतरफा तरलता परिचालन के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन बाजार के भागीदारों को अधिशेष तरलता से दूर रहना चाहिए। कर्ज की मांग करीब 10 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है और बैंकों के पास नकली की कमी हो रही है, जिससे उन पर जमा दरें बढ़ाने का भी दबाव है।
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