बैंकिंग क्षेत्र के सामने 40 हजार करोड़ रुपये के एनपीए का जोखिम

नई दिल्ली
एनपीए की समस्या से जूझ रहे भारतीय बैंकिंग सेक्टर को एक और बड़ा झटका लग सकता है। एक्सिस बैंक के अन्य बैंकों के साथ मिल कर दिए गए कर्जों को रिजर्व बैंक ने गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की श्रेणी में डाल दिया है जिससे कुल एनपीए में 40 हजार करोड़ रुपये और जुड़ने का संकट मंडरा रहा है।

रिजर्व बैंक की 2016-17 से शुरू की गई सालाना जोखिम आधारित निगरानी (आरबीएस) व्यवस्था के तहत रिजर्व बैंक ने एक्सिस बैंक की मार्च 2017 तक की रिपोर्ट में कुछ संपत्तियों का पुनर्वगीकृत करने के निर्देश दिए हैं। इसमें एक्सिस बैंक को 9 को एनपीए श्रेणी में पुनवर्गीकृत करना होगा। बैंक ने पहले इन्हें सामान्य रूप से चल रहे ऋण खातों की श्रेणी में रखा था। इनमें इनमें से 8 लोन खाते ऐसे है जिन्में कई बैंकों के समूह द्वारा दिए गए कर्ज भी शामिल हैं।

एक्सिस बैंक ने हालिया तिमाही परिणाम में इसकी घोषणा की है। एक्सिस बैंक ने दावा किया था कि जून 2017 तक समूह में शामिल अधिकांश बैंकों ने इन खातों को मानक संपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया हुआ था। बैंक ने पूरे बकाया कर्ज की 6 प्रतिशत परिसंपत्तियों को ही एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया था। आकलन के अनुसार, संबंधित लोन खातों में जून 2017 के अंत तक करीब 42 हजार करोड़ रुपये बकाया थे। रिजर्व बैंक के इस निर्णय से कर्जदाता बैंकों के समूह के अन्य सदस्यों में भी हड़कंप है।

मैकक्वैरी कैपिटल सिक्यॉरिटीज के सुरेश गणपति ने कहा, इसका असर इन खातों में कर्ज देने वाले समूह के सभी बैंकों पर असर पड़ने वाला है। बैंकों को अभी या बाद में इन खातों को एनपीए की श्रेणी में वर्गीकृत करना ही होगा। अन्य बैंकों द्वारा पुनवर्गीकरण अगली दो तिमाहियों में संभव है। उन्होंने आगे कहा कि यदि इन्हें एनपीए माना जाता है तो बैंकों को उसके अनुसार प्रावधान भी करने होंगे जिससे उनका शुद्ध लाभ प्रभावित होगा।

उल्लेखनीय है कि बैंकों के ऊपर पहले से ही 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक के एनपीए का दबाव है। अभी संकटग्रस्त कर्ज के लगातार बढ़ने के जोखिम से राहत की भी कोई उम्मीद नहीं है क्योंकि कुछ बैंकों द्वारा दूसरी तिमाही के शुरुआती परिणाम उत्साहवर्धक नहीं रहे हैं। एनपीए संकट पैदा करने में मुख्य योगदान बिजली, इस्पात, सड़क और कपड़ा क्षेत्रों का है।

एक्सिस बैंक के उपरोक्त खातों में एक खाता इस्पात क्षेत्र का है जो 1,128 करोड़ रुपये का है। इसके अलावा बिजली क्षेत्र के तीन खातों में 1,685 करोड़ रुपये और अन्य क्षेत्रों के चार खातों में 911 करोड़ रुपये फंसे हैं।

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