बुंदेलखंड में नद‍ियों की कोख उजाड़ रहे खनन माफ‍िया

बांदा
बुंदेलखंड में खनन माफिया जीवनदायिनी नदियों की कोख उजाड़ रहे हैं। नदियों में पलने वाले जीव-जंतुओं और पक्षियों का निर्ममतापूर्वक वध किया जा रहा है। नदियों के किनारे और आसपास रहने वाले कछुआ, पनीले सर्प, जल मुर्गियां, पनबुडकी, सारस, गालर, पड़की यहां तक कि मछलियां, शंखी झींगुर भी खनन माफिया की गरजती पोकलैंड, जेसीबी और लिफ्टर मशीनों का ग्रास बनती जा रही हैं।

बुंदेलखंड में अंधाधुंध बालू और मौरंग खनन से नदियों की जल धाराएं थमती जा रही है। दूसरी तरफ नदियों के किनारे बसे हजारों गांवो के कुआं, तालाब, पोखर, हैंडपंप, ट्यूबबेल के जल स्त्रोत सूखते जा रहे है। लिहाजा नदियों के तटीय गांवों में अप्रैल माह में ही पीने के पानी की मारा-मारी मचने लगी है।

धड़ल्‍ले से मशीनों का इस्‍तेमाल

हाईकोर्ट, सुप्रीमकोर्ट यहां तक एनजीटी ने नदियों से बालू खनन में जेसीबी, पोकलैंड और लिफ्टर मशीनों के इस्तेमाल पर पूरी तरह से पाबंदी लगा रखी है। सुप्रीम कोर्ट का भी मानना है कि मशीनों के इस्तेमाल से नदी में रहने वाले जीव-जंतु प्रभावित होते हैं, इसलिए खनन मानव श्रम से करवाया जाए। इसके बाद भी रात 8 बजे के बाद बालू खदानों मे भारी भरकम मशीनें गरजने लगती हैं। ऐसे में नदियों में निवास करने वाले हजारों पशु-पक्षी, सारस, पड़की, कछुआ, मछलियों जैसे जलचर बिना मौत मारे जा रहे है। बांदा की दुरेडी, राजघाट, रिसौरा, नसेनी, कोलावल रायपुर, खपटिहा, सिंधन, बदौसा बालू खदानों में शाम ढलते ही खनन होने लगती है। सुबह होते ही इन मशीनों को खेतों और जंगलों में छुपा दिया जाता है।

पूरे बुंदेलखंड में हो रहा अवैध खनन
झांसी, इंदौर, दिल्ली, भोपाल से बुंदेलखंड में आई खनन कंपनियों ने बुंदेलखंड की यमुना, बेतवा, केन, बागेन, उर्मिल, चंद्रावल, गुंता, बरदहा, पयस्विनी नदियों के बालू घाटों में धमाचौकड़ी मचा रखी है। बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, जालौन, ललितपुर जिलो में रात-दिन नदियों की कोख फाड़ी जा रही है। बालू निकालने के लिए हजारों किसानों के खेत रौंदा डाले गए। फसले उजाड़ दी गईं। अब नदियों और गांवों का पानी उजाड़ा जा रहा है।

प्रस्तावित है 43 नई खदानों का पट्टा

राज्य सरकार केन नदी में 43 नई खदानों का और पट्टा करने जा रही है। इन नई खदानों के आसपास करीब दो सौ से ज्यादा गांव है। अगर पट्टे स्वीकृत करके इन नई खदानों को चालू कर दिया गया तो इन 200 गांवों पेयजल की समस्या हो जाएगी

सर्वाधिक खनन केन व बागेन में
बांदा मे सर्वाधिक खनन केन और बागेन नदी में हो रहा है। खनिज विभाग से आवंटित की गई अब तक 24 खदानों मे 17 खदानें केन नदी की हैं। बाकी 7 खदानों में 5 खदानें बागेन नदी की है। बाहर से आए खनन माफिया स्थानीय बालू माफिया को साथ मे लेकर अंधाधुंध बालू खनन में जुट गए हैं। सूत्रों के अनुसार खनन माफिया 20 हेक्टेयर रकबे में खनन का पट्टा लेकर 200 हेक्टेयर में खनन करवा रहे हैं।

पूरे देश में मशहूर है केन और बागेन की बालू

बांदा की केन और बागेन नदी पहाड़ों से होकर बहती है। दोनों के उद्‌गम स्थल मध्य प्रदेश के पहाड़ हैं। कई पहाड़ों और जंगलों को पार करने वाली यह दोनों नदियों हर साल अरबों-खरबों का लाल सोना (बालू) बांदा जिले की धरती में उगल देती है।

बांदा के खनिज अधिकारी शैलेन्द्र कुमार का कहना है कि जहां भी शिकायत मिलती है जांच करवाकर कार्रवाई की जाती है। रिसौरा खदान में पट्टे के अतिरिक्त क्षेत्रफल में खनन की शिकायत पर संबंधित ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर करवाई गई है। इसी तरह सिंधनकलां और वंशी डेरा में अवैध खनन की शिकायत पर कार्रवाई की गई है। बदौसा खदान में भी अतिरिक्त रकबे के खनन पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। किसी को अवैध खनन नहीं करने दिया जाएगा।

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