बीजेपी के वर्तमान पार्षदों को टिकट देने पर रस्साकसी
|बीजेपी के वर्तमान सभी पार्षदों को निगम चुनाव में दोबारा उम्मीदवार बनाया जाएगा या नहीं। इसको लेकर पार्टी में विचार-विमर्श शुरू हो चुका है। इस मसले को लेकर पार्टी में कई बिंदु उभरकर सामने आ रहे है, जिसको लेकर एक रणनीति बनाने की तैयारी चल रही है। माना जा रहा है कि इस रणनीति के बाद पार्टी में टिकट बांटने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
दिल्ली की तीनों एमसीडी में बीजेपी काबिज है। मिली जानकारी के अनुसार अभी तक का जो गणित है, उसके अनुसार नॉर्थ एमसीडी में पार्टी के पास कुल 104 में से 62 पार्षद हैं, तो साउथ एमसीडी में भी 104 में से 50 उसके पास है। ईस्ट एमसीडी की कुल 64 सीटों में 35 पर बीजेपी का कब्जा है। इससे पहले भी वर्ष 2007 के एकीकृत नगर निगम में बीजेपी का ही कब्जा था। इस मायने से बीजेपी के लिए यह चुनाव खासा महत्वपूर्ण हो गया है और पार्टी के सभी पार्षद इस बार भी दोबारा चुनाव लड़ने के लिए अपनी गोटियां फिट करने में जुटे हुए हैं। उसका कारण यह है कि केंद्र में मोदी की सरकार के कार्यकाल में देश में जहां भी स्थानीय निकायों के चुनाव हुए, उनमें बीजेपी का ही परचम लहराया।
सूत्र बताते हैं कि सभी वर्तमान पार्षदों को दोबारा टिकट मिले या नहीं, इस मसले को लेकर पार्टी में विचार विमर्श शुरू हो चुका है। प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी इस मसले को लेकर लगातार पार्टी हाईकमान के अलावा दिल्ली के पार्टी नेताओं के साथ इस बाबत मंथन कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इस मसले पर जो बिंदु उभरकर आ रहे हैं, उनमें वर्तमान पार्षदों को टिकट देने पर सहमति जताई जा रही है, क्योंकि कहा जा रहा है कि टिकट काटने पर पार्टी में भीतरघात का खतरा है। लेकिन बाते यह भी उभरकर आई है कि महिला या एससी वॉर्ड बनने से किसी पार्षद की सीट ही खत्म हो गई हो उसे कहीं और टिकट न दिया जाए। फिलहाल इस मामले में एकराय नहीं बन पाई है कि पार्षद के बजाय उसके किसी रिश्तेदार को प्रत्याशी बनाया जाए या नहीं।
वैसे इस विचार-विमर्श में इस बात पर पूर्ण सहमति बन चुकी है कि जो पार्षद अपने कार्यकाल के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहा या जिस पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे, न तो उसे और न ही उसके किसी रिश्तेदार को टिकट दिया जाए। पार्टी के एक प्रवक्ता के अनुसार इन सभी विचारों को प्रदेश अध्यक्ष एमसीडी चुनाव को लेकर बनने वाली इलेक्शन कमिटी के सामने रखेंगें और वह ही फैसला लेगी कि वर्तमान पार्षदों में किसका टिकट काटा जाए। वैसे इस मसले पर अध्यक्ष द्वारा रखे गए सुझावों को मान लिया जाता है। फिलहाल यूपी का चुनाव निपटने के बाद एमसीडी चुनाव में टिकट को लेकर कवायद शुरू कर दी जाएगी।
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