बिजली बिलों में फिक्स्ड चार्ज बढ़ाने को मुद्दा बनाएगा विपक्ष

विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
बुधवार से शुरू होने जा रहे दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान विपक्ष ने सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। बिजली के बिलों में फिक्स्ड चार्ज बढ़ने से किसानों की परेशानी से लेकर पानी संकट, स्कूलों में फीस बढ़ोतरी से पैरंट्स को होने वाली समस्याओं समेत कई मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगा जाएगा।

विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि किसानों का हितैषी होने का दम भरने वाली आम आदमी पार्टी सरकार ने बिजली के बिलों में बेतहाशा बढ़ोतरी कर किसानों की कमर तोड़ दी है। 1 अप्रैल को प्रति किलोवॉट की फिक्स्ड दरों के बढ़ने से पहले किसानों से 20 रुपये प्रति किलोवॉट की फिक्स्ड दर से चार्ज वसूला जाता था। सरकार ने इसे बढ़ाकर 125 रुपये प्रति किलोवॉट कर दिया। इसी अनुपात में बिलों पर सरचार्ज भी बढ़ गया। किसानों को साल में अधिक से अधिक पांच महीने खेती के लिए बिजली की आवश्यकता होती है, लेकिन उन्हें बढ़ा हुआ बिल 12 महीने देना पड़ रहा है।

विपक्ष के नेता ने किसानों से अपील की है कि जब तक सरकार खेती के लिए लगे मीटरों पर बिजली के बिल कम नहीं करती, तब तक वे बिजली के बिलों का भुगतान न करें। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि यदि सरकार वाकई में किसानों का भला चाहती है तो उसे खेती पर पहले की तरह 20 रुपये प्रति किलोवॉट की दर से चार्ज वसूलना चाहिए।

विपक्ष के नेता ने बताया कि सीएम ने पानी की कमी के लिए हरियाणा सरकार को दोषी ठहराया है और बिजली संकट के लिए रेलवे द्वारा कोयले की सप्लाइ और कमी को जिम्मेदार बताया है, लेकिन सच यह है कि सवा तीन साल में सरकार सवा तीन लीटर जल आपूर्ति बढ़ाने में विफल रही। घरों में सीवरयुक्त पानी की सप्लाइ दुरुस्त करने के लिए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है। निगमों को पैसा नहीं दिया जा रहा है। सरकार ने दो प्रमुख मेट्रो रूटों रिठाला-नरेला और तुगलकाबाद-ऐरोसिटी टर्मिनल-1 को मंजूरी नहीं दी है।

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