बाबा रामदेव ने बताया पतंजलि की कामयाबी का राज

अतुल सेठी, नई दिल्ली
बाबा रामदेव ने योगगुरु से लेकर ऐक्टिविजम और बिजनस तक का लंबा सफर तय किया है। इन दिनों वह राजनीतिक बयानबाजी से दूरी बनाते नजर आ रहे हैं लेकिन पतंजलि और बिजनस को लेकर उनकी ढेरों योजनाएं हैं। पतंजलि की कामयाबी से वह काफी खुश भी हैं और इस सफलता की वजह बिजनस में पारदर्शिता और जिम्मेदारी को बताते हैं।

वह कहते हैं,’मल्टी नैशनल कंपनियां (MNCs)विज्ञापनों पर बहुत ज्यादा खर्च करती हैं। वे सिलेब्रिटीज को ब्रैंड ऐंबैस्डर बनाती हैं और इसके ऐवज में उन्हें करोड़ों रुपये देती हैं। मैं सिर्फ कैमरे के सामने खड़ा होता हूं ऐऔर अपने प्रॉडक्ट के बारे में बोलता हूं। लोगों को मालूम है कि प्रॉडक्ट्स की क्वालिटी को लेकर जिम्मेदार हूं। उन्होंने मुझे 20-25 साल से संघर्ष करते हुए देखा है। उन्हें मालूम है कि बाबा रामदेव जमीन पर सोते हैं और उन्हें अपने लिए कुछ नहीं चाहिए। क्या किसी एमएनसी का सीईओ कैमरे के सामने खड़े होकर अपने प्रॉडक्ट्स की जिम्मेदारी लेगा?’

रामदेव के मुताबिक लोग उनके ब्रैंड में भरोसा करते हैं। उन्होंने कहा,’हम अपने प्रतिस्पर्धियों से कमतर नहीं बल्कि बेहतर टेक्नॉलजी का ही इस्तेमाल करते हैं। इसीलिए पतंजलि देश में काम कर रही कंपनियों से कहीं ज्यादा बड़ी है। जल्द ही हम दुनिया भर में कामयाबी हासिल करेंगे। हमारा मकसद बिजनस से मिले प्रॉफिट को चैरिटी के लिए इस्तेमाल करना है, खासतौर पर शिक्षा के लिए। मैं चाहता हूं कि हमारे प्रॉफिट का 80% हिस्सा शिक्षा में जाए।’

उन्होंने बताया कि पतंजलि और बिजनस से सम्बन्धित सारे फैसले आचार्य बालकृष्ण ही लेते हैं। रामदेव का मानना है कि अगर फैसला लेने वाले लोगों की संख्या ज्यादा हो तो योजनाएं कभी ठीक से लागू नहीं हो पाएंगी। पतंजलि के उत्तराधिकारी के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा,’पतंजलि को कभी कोई परिवार नहीं चलाएगा। हमारे पास 500 से ज्यादा योगियों की टीम है। मेरे गुरु आचार्य प्रद्युम्न ने उन्हें उसी तरह प्रशिक्षित किया है जैसे उन्होंने मुझे किया था। हम कम से कम 5 हजार योगियों को ट्रेनिंग देंगे जो आगे चलकर पतंजलि का कामकाज संभाल सकें।’

अपनी दिनचर्या के बारे में बताते हुए बाबा रामदेव ने कहा,’मैं आम तौर पर सुबह चार बजे से पहले जग जाता हूं। साढ़े चार बजे तक मैं योग कर रहा होता हूं। दो घंटे तक योग और ध्यान करने के बाद मैं पतंजलि आयुर्वेद में बिताता हूं। इसके बाद चार-पांच घंटे लोगों से बातें करता हूं। मैं बहुत हल्का खाना खाता हूं। सुबह नाश्ते में अंजीर या जूस लेता हूं, लंच-डिनर में सब्जियां खाता हूं। 18 साल का वक्त मैंने सिर्फ दूध और फल के सहारे बिताया है। अब मैं दूसरी चीजें भी खाने लगा हूं।’

रामदेव को खाली वक्त बहुत कम ही मिलता है। खाली समय में वह कुछ देर के लिए न्यूज देखते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने कोई फिल्म नहीं देखी है। वह चाहते हैं कि लोग उन्हें एक कर्मयोगी संन्यासी के तौर पर याद करें।

Read this story in English: Baba Ramdev shares the secret of Patanjali success

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।

बिज़नस न्यूज़, व्यापार समाचार भारत, वित्तीय समाचार, News from Business