बाजारों को मिलेंगे ‘अपने’ सफाई कर्मचारी

रामेश्वर दयाल, नई दिल्ली

साउथ व वेस्ट दिल्ली के बड़े बाजारों (मार्केट) में सफाई व्यवस्था चाक-चौबंद रखने के लिए साउथ एमसीडी एक नई पहल करने जा रही है। इस योजना के तहत मार्केट एसोसिसएशन सफाई व्यवस्था के लिए सफाई कर्मचारी रख सकेंगी। इन कर्मियों को दिए जाने वाले वेतन का बड़ा हिस्सा एमसीडी अदा करेगी और कुछ हिस्सा एसोसिएशनों को देना होगा। शुरुआती दौर में कुछ बड़ी मार्केट में यह योजना लागू होगी। सब कुछ ठीक रहा तो इसे दूसरी मार्केट में भी लागू कर दिया जाएगा।

बाजारों में सफाई सिस्टम को दुरुस्त रखना एमसीडी के लिए टेढ़ी खीर रहा है। जब मार्केट खुलती हैं तो सफाई कर्मी वहां काम करके जा चुके होते हैं। दुकानें खोलने पर दुकानदार कूड़ा निकालकर बाहर फेंक देते हैं। दिन में एमसीडी द्वारा वहां सफाई का प्रावधान नहीं है। जिस कारण मार्केट में कूड़े के ढेर लगे रहते हैं। मार्केट में रात को सफाई करने की योजना भी बनाई गई, लेकिन वह सिरे नहीं चढ़ पाई। अब इस समस्या से निपटने के लिए साउथ एमसीडी योजना लाने जा रही है, जिसमें उसका कुछ बजट को लगेगा, लेकिन मार्केट दिन-भर साफ सुथरी नजर आएगी।

इस योजना के तहत मार्केट एसोसिएशनों के पदाधिकारियों से बात की जा रही है। उन्हें कहा जाएगा कि वे मार्केट के क्षेत्रफल के हिसाब से खुद सफाई कर्मियों की नियुक्ति करें। इन कर्मियों के वेतन पर जितना खर्च होगा, उसकी बड़ी धनराशि साउथ एमसीडी अदा करेगी और कुछ राशि एसोसिएशन को देनी होगी। साउथ एमसीडी की स्थायी समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता के अनुसार शुरुआती दौर में इस योजना में जीके-वन, हौजखास, आरके पुरम जैसी बड़ी 20 मार्केट को शामिल किया जाएगा। हमारे अधिकारी भी इस बात की पड़ताल करेंगे कि मार्केट को कितने सफाई कर्मियों की जरूरत है। इनके वेतन की 70 प्रतिशत धनराशि साउथ एमसीडी अदा करेगी और 30 प्रतिशत धनराशि मार्केट एसोसिएशन को वहन करनी होगी। इसका बड़ा लाभ यह होगा कि जब तक मार्केट खुली रहेगी, तब तक वहां सफाई कर्मी मौजूद होगा, जिससे वहां लगातार सफाई होती रहेगी। उन्होंने कहा कि अगर यह योजना सफल हुई और मार्केट में सफाई सिस्टम चाक-चौबंद नजर आया तो इसे अन्य मार्केट में भी लागू कर दिया जाएगा। इसके लिए क्षेत्र के पार्षद से भी सलाह ली जाएगी।

गौरतलब है कि इस तरह की योजना को एमसीडी कॉलोनियों के पार्कों को साफ-सुथरा रखने के लिए लागू कर चुकी है। इसके तहत आरडब्ल्यूए को माली रखने का अधिकार दिया गया था। मालियों के वेतन का अधिकतर हिस्सा एमसीडी ही अदा करती है। यह राशि चेक से पेमेंट किए जाने का प्रावधान है।

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