बजट से सभी आयकरदाताओं को मिली राहत: अरुण जेटली
|वित्त मंत्री अरुण जेटली का मानना है कि टैक्स का दबाव कम करना लोगों को अधिक खर्च करने और बचत करने के लिए प्रेरित करता है। वित्त मंत्री ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से विशेष बातचीत की।
आयकर में केवल लोअर स्लैब में टैक्स छूट देने के पीछे क्या तर्क है ?
टैक्स चोरी करने वालों का भार ईमानदारी से टैक्स देने वालों पर पड़ता है। नोटबंदी के बाद कई टैक्स चोर टैक्स के दायरे में आ जाएंगे। ईमानदारी से टैक्स देने वालों के सबसे निचले तबके को मदद की जरूरत थी। मैंने इसके लिए दो क्षेत्रों की पहचान की। पहला लघु व मध्यम उद्योग जगत के लोग थे, जहां हमने 50 करोड़ रुपये तक का टर्नओवर करने वालों को राहत दी है। दूसरे छोटे करदाता थे। महंगाई के कारण जीवनयापन की लागत में बढ़ोतरी हुई है। इनमें से कई छोटे वर्किंग क्लास या सर्विस सेक्टर में काम करते हैं। हमने विचार किया कि उन्हें 10 के स्थान पर 5 प्रतिशत कर देना चाहिए। थोड़ी बहुत बचत के बाद 5 लाख रुपये साल तक कमाने वालों को बहुत कम टैक्स देना पड़ेगा। उच्च करदाताओं को भी कुल 12500 रुपये का फायदा होगा। मेरा लक्ष्य कर न देने वालों को करदाताओं की सूची में शामिल करना है। कुल मिलाकर सभी आयकरदाताओं को राहत मिली है और उसके पास खर्च करने के लिए अब अधिक धन होगा।
क्या इससे बाजार में खपत बढ़ेगी?
यही मेरा लक्ष्य है- यह (आयकर में छूट) इस दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है।
आप जानते हैं कि अधिकतर करदाता वेतनभोगी हैं, ऐसे में 50 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच की तनख्वाह पर सरचार्ज क्यों लगाया गया?
ये वेतनभोगी लोग नहीं है। ये बहुत कमाने वाले प्रफेशनल हैं। 1 करोड़ रुपये सालाना से अधिक कमाने वालों को भी सरचार्ज देना पड़ता है। इस कैटिगरी में कम सरचार्ज की आवश्यकता थी। यह रेवेन्यू पैदा करने का तरीका है। यह एक अच्छा तरीका है कि कम कमाने वालों की तुलना में अधिक कमाई करने वाले अधिक कर भुगतान करें।
नोटबंदी के दौरान जमा बैंकों में जमा हुई रकम पर आपका क्या आकलन है?
यह काफी ज्यादा थी। काफी रकम बैंकिंग सिस्टम का हिस्सा बन गई है। उम्मीद है कि आगे का लेनदेन नकद में नहीं होगा। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर में इजाफा होगा। सीबीडीटी ने 18 लाख ऐसे खातों की पहचान की है जिनमें काफी अधिक रकम जमा कराई गई है। हमें उन लोगों के कर बकाया से भी काफी रकम मिलने की उम्मीद है। यह छानबीन का पहला चरण है।
क्या चुनावों के चलते रेल का किराया न बढ़ाने और अन्य कुछ फैसले नहीं लिए गए?
हमने एक व्यवस्था बनाई है और रेलवे को सही मायनों में बजट में बनाए गए पैटर्न पर चलना होगा।
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