‘बजट में फंड कटौती से महिलाओं और बच्चों के विकास पर बुरा असर’
| आम बजट 2015 के बजट को भले ही प्रधानमंत्री बैलेंस बता कर वित्त मंत्री अरुण जेटली की पीठ थपथपा रहे हों, लेकिन इस बजट पर अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं। बजट में बच्चों और महिलाओं के कल्याण फंड में कटौती को देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस कटौती से महिलाओं एवं बच्चों के विकास एवं कल्याण पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ेगा। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, अग्रणी गैर सरकारी संगठनों ने मंगलवार को सरकार से मांग की कि 2015-16 के आम बजट में बच्चों के फंड में जो भारी कटौती की गई है, उसे वापस लिया जाए। संगठनों का कहना है कि इससे उनके उत्थान के लिए स्वास्थ्य एवं शिक्षा कार्यक्रम को चलाने में दिक्कतों को सामना करना पड़ेगा। केंद्र ने बजट में बच्चों के फंड में 29 फीसदी की कटौती की है, जिससे उनके लिए योजित व्यय (प्लांड एक्सपेंडिचर) का सिर्फ 3 फीसदी फंड ही उपलब्ध होगा। एनजीओ का कहना है कि पिछले कुछ सालों में बच्चों के फंड में यह भारी कटौती है। 10 सिविल सोसायटी संगठनों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘भारतीय बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। बजट में कटौती कुछ इस प्रकार से की गई है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के फंड में 17 फीसदी, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के विभाग में 51 फीसदी और परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय के फंड में 13 फीसदी कटौती की गई है। बाल अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा जारी किए गए एक बयान में उल्लेख किया गया है कि शराब एवं अन्य नशीली सामग्री की रोकथाम के कार्यक्रम के फंड में 67 फीसदी कटौती की गई है। राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग की पूर्व सदस्य डॉ.वंदना प्रसाद ने बताया, ‘बजट में कटौती से भारत में कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में बाधा पैदा होगी।’ गौरतलब है कि भारत में बच्चों की आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कुपोषण का शिकार है।
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