बजट: टैक्स विवाद खत्म करने वाले यह प्रावधान विवाद बढ़ाएंगे
|वित्त मंत्री अरुण जेटली ने याचिकाओं में कमी करने और पारदर्शिता बढ़ाने के मकसद से नियमों में बदलाव संबन्धी प्रस्ताव बजट में रखे थे। लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन प्रावधानों का नकारात्मक असर पड़ेगा।
उनका मानना है कि अगर टैक्स की गणना को लेकर किसी कंपनी और टैक्स अधिकारी में मतभेद है तो अधिकारी यह सुनिश्चित कर सकता है कि कंपनी द्वारा दी गई टैक्स संबन्धी जानकारी दुर्भावनापूर्ण है या नहीं और इसके बाद वह यह तय कर सकता है कि कंपनी पर जुर्माना कितना लगाया जाए 50 फीसदी या 200 फीसदी? जबकि प्रस्तावित बदलाव जो सिस्टम में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के मकसद से लाए गए हैं, वे करदाताओं पर जुर्माने को कई गुना बढ़ा देते हैं, जिसका मतलब है और ज्यादा शिकायतें।
डिलॉयट हस्किन्स ऐंड सेल्स के राजेश एच. गांधी कहते हैं, ‘बजट प्रस्ताव के मुताबिक अगर टैक्सपेयर सारी जानकारी दे चुका है लेकिन टैक्स संबन्धी लाभ लेने के प्रयासों के दौरान अगर वह कोई गलती कर बैठता है तो टैक्स डिपार्टमेंट उस पर 50 फीसदी का जुर्माना लगा सकता है। यह वर्तमान में मौजूद प्रावधान से अलग है जहां जुर्माना केवल तभी लगाया जाता है जब टैक्सपेयर ने उसकी आय से जुड़ी कोई जानकारी छिपाई है।’
मिसाल के तौर पर अगर कोई कंपनी अपनी आय 250 रुपये घोषित करती है, लेकिन टैक्स 200 रुपये तक पर लगाने का प्रावधान है, तो बाकी 50 रुपये को इससे बाहर रखा जाएगा। हालांकि टैक्स ऑफिसर ये तय कर सकता है कि टैक्स पूरी राशि (250 रुपये) पर लगाए। ऐसे मामले में दोनों ही पक्ष कोर्ट का रुख करेंगे।
इसे दूसरे शब्दों में कहें तो टैक्स अधिकारी यह तय करेंगे कि कंपनी द्वारा 50 रुपये की अतिरिक्त राशि को टैक्स के दायरे में नहीं लाने के पीछे क्या मंशा थी? क्या वह टैक्स चोरी जैसी दुर्भावना थी? क्या यह दुर्भावनापूर्ण प्रयास जानबूझकर किया गया? इस आधार पर ही वह 50 फीसदी या 200 फीसदी का जुर्माना लगा सकता है। यही वह मसला है जहां विवाद पैदा हो सकता है।
नरेंद्र मोदी सरकार का दावा है कि वह टैक्स टेररिज़म के दौर को खत्म करना चाहती है ताकि इकनॉमिक ग्रोथ को बढ़ाने के लिए निवेशकों को आकर्षित किया जा सके। वर्तमान में जुर्माना मुश्किल से ही 100 फीसदी तक पहुंचता था, लेकिन नए प्रस्ताव के बाद यह आसानी से 200 गुना तक हो जाता है। यह करदाताओं के बीच बड़ा डर पैदा करता है।
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