बच्चों की बर्थ ‘छीनकर’ 525 करोड़ रुपये कमाएगा रेलवे
|बच्चों के लिए किराया नियम में मामूली बदलाव ने सीट उपलब्धता की समस्या से जूझ रहे रेलवे को बड़ी राहत दी है। माना जा रहा है कि नए नियम से हर साल 2 करोड़ ज्यादा कन्फर्म्ड बर्थ या सीटें उपलब्ध होंगी। बड़ी बात तो यह है कि इसके लिए रेलवे को कुछ अतिरिक्त खर्च नहीं करना होगा बल्कि उल्टा उसे 525 करोड़ रुपये की और आमदनी ही होगी।
ऐसा 5 से 12 साल के वैसे बच्चों से पूरा किराया वसूलकर संभव हो सकेगा जिनके लिए अलग सीट की मांग की जाएगी। अब तक इस एज ग्रुप के बच्चों को आधे किराये पर ही अलग बर्थ या सीट दे दी जाती थी। हालांकि, आधे किराये का नियम अब भी उपलब्ध है, लेकिन इसमें बच्चे को अलग बर्थ अथवा सीट नहीं दी जाएगी। ऐसे में बच्चे के माता-पिता या उनके साथ के अभिभावक को अपनी बर्थ बच्चे के साथ शेयर करनी होगी। वहीं, पांच साल से कम उम्र के बच्चे से कोई किराया नहीं वसूला जाएगा। नया नियम 22 अप्रैल से लागू होगा।
रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि इस कदम से परिवारों के यात्रा बजट पर असर होगा, लेकिन इससे 2 करोड़ दूसरे यात्रियों को कन्फर्म्ड बर्थ मिल जाएगी जिनमें सीनियर सिटिजंस और महिलाएं भी शामिल हैं। रेलवे के मुताबिक, 2 करोड़ अतिरिक्त कन्फर्म्ड बर्थ उपलब्ध कराना सालाना 20,000 नई ट्रेनें चलाने के बराबर है यानी हर दिन 54 नई ट्रेनों का संचालन। अधिकारी ने बताया, ‘इस कदम से रेलवे को साल भर में 525 करोड़ रुपये का अतिरिक्त रेवेन्यू भी मिलेगा। साथ ही ट्रेनों में उपलब्ध जगहों का पूरा-पूरा इस्तेमाल भी सुनिश्चित हो सकेगा।’
आंकड़े के मुताबिक, साल 2014-15 में 5 से 12 साल के बच्चों को हाफ टिकट पर करीब 2.11 करोड़ बर्थ दी गई थी। इस कदम को सही ठहराते हुए एक अधिकारी ने कहा, ‘जब तक अतिरिक्त ट्रैक निर्माण के लिए मंजूर हुए काम पूरे नहीं हो जाते तब तक के लिए पैसेंजर क्षमता बढ़ाने के नजरिए से यह सही फैसला है।’
बच्चों के लिए अनारक्षित टिकट के नियम में कोई बदलाव नहीं आया है। यानी, 5 से 12 साल के बच्चों के लिए अनरिजर्व्ड टिकट पर आधे पैसे ही लगेंगे। रेलवे अधिकारी ने बताया कि 2014-15 में 6.20 करोड़ बच्चों ने अनारक्षित श्रेणी में यात्रा की थी। रेलवे रिजर्वेशन फॉर्म में जरूरी बदलाव करने जा रहा है ताकि पैसेंजर यह बता सकें कि वह बच्चे के लिए अलग से बर्थ या सीट लेना चाहते हैं या नहीं।
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