बंदी प्रत्यक्षीकरण: हवालात में राहत की एक किरण

  नई दिल्ली. गुजरात में पटेल आरक्षण की मांग के बीच हार्दिक पटेल के वकीलों द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाए जाने की चर्चा है। इस याचिका और उससे जुड़े अधिकारों के बारे में जानिए और भी कई बातें।   बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को कानूनी भाषा में हैबियस कॉपर्स कहा जाता है। इस याचिका का उपयोग हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति को अवैध रूप से कस्टडी में रखा जाए या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ऐसा कार्य किया जाना जो अपहरण के दायरे में आता हो। बहुत से ऐसे छोटे मामले होते हैं जिनके बारे में पुलिस कोई सुध नहीं लेती है। लेकिन यदि इनमें पीड़ित पक्ष द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगा दी जाए तो पुलिस न सिर्फ विभिन्न प्रयास करती है वरन वह उन तरीकों को अपनाती है जो सामान्य तौर पर अपनाए नहीं जाते।   आजादी में खलल से जुड़ी याचिका  भारतीय संविधान के तहत किसी भी व्यक्ति को आजाद रहने और कानूनी तौर पर जीवन व्यतीत करने का अधिकार है। इस दौरान अगर उस व्यक्ति के साथ किसी अन्य के द्वारा कोई ऐसा काम किया जाता है, जिससे उसकी आजादी में खलल…

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