फीका पड़ने लगा क्रिकेट का बिजनस?

कोलकाता, नई दिल्ली

पिछले कई साल से क्रिकेट करोड़ों भारतीयों के दिलों पर राज करता आया है। लेकिन, अब इस खेल का जादू थोड़ा फीका पड़ने लगा है। मीडिया एजेंसी ग्रुपएम की एंटरटेनमेंट, स्पोर्ट्स और कंटेंट इकाई ग्रुपएम ईएसपी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 में फुटबॉल, टेनिस, हॉकी और यहां तक अनोखे भारतीय खेल कबड्डी की लोकप्रियता बढ़ी।

रिपोर्ट की मानें तो 2014 में क्रिकेट के लिए ग्राउंड स्पॉन्सरशिप की वैल्यू 2013 के 508.3 करोड़ रुपये से घटकर 464.7 करोड़ रुपये हो गई, जबकि टीम स्पॉन्सरशिप 2013 के 389.2 करोड़ से घटकर 2014 में 347.8 करोड़ रह गई। हालांकि, इस दौरान स्पोर्ट्स इंडस्ट्री की कुल ग्रोथ 10 फीसदी रही।

ग्राउंड स्पॉन्सरशिप के तहत किसी खेल में टूर्नामेंट के आयोजकों को पैसे दिए जाते हैं। टीम स्पॉन्सरशिप के तहत हर टीम अपने अपैरल पर मौजूद चीजों की बिक्री से पैसे कमाती है। इस रिपोर्ट में कैलेंडर ईयर की तुलना की गई है।

पिछले साल स्पोर्ट्स इंडस्ट्री में 10 फीसदी ग्रोथ कुछ नए टूर्नामेंट शुरू होने का नतीजा है। कैलेंडर इयर 2013 में जहां स्पोर्ट्स इंडस्ट्री 4,372.5 करोड़ रुपये पर थी, वहीं 2014 में यह बढ़कर 4,809 करोड़ पर पहुंच गई। नए टूर्नामेंट्स में फुटबॉल का इंडियन सुपर लीग, हॉकी और कबड्डी के लिए दो-दो टूर्नामेंट, इंटरनैशनल प्रीमियर टेनिस लीग शामिल हैं।

रेवेन्यू के लिहाज से स्पोर्ट्स इंडस्ट्री की साइज में कई कंपोनेंट्स शामिल होते हैं: ग्राउंड और टीम स्पॉन्सरशिप, फ्रेंचाइज फीस, इंडॉर्समेंट और विज्ञापनदाताओं से जुड़े एयर रेवेन्यू। ग्रुपएम ईएसपी में स्पोर्ट्स और लाइव इवेंट्स के नैशनल डायरेक्टर विनीत कार्तिक ने बताया, ‘क्रिकेट के लिए 2014 का आंकड़ा निराशाजनक इसलिए रहा, क्योंकि भारत ने इस दौरान अपेक्षाकृत कम इंटरनैशनल गेम्स की मेजबानी की। हालांकि, यह भी हकीकत है कि 2014 में टाइटल होल्डर्स से बीसीसीआई के भुगतान से जुड़े प्राइस में गिरावट आई।’

भारतीय क्रिकेट टीम का स्पॉन्सरशिप प्राइस 2014 में घटकर 2 करोड़ हो गया, जबकि एयरटेल 2013 में इसके लिए 3.33 करोड़ प्रति मैच का भुगतान कर रही थी। क्रिकेट की दिलचस्पी में गिरावट का संकेत इस बात से समझा जा सकता है कि पिछली बार सिर्फ दो कंपनियों-स्टार और माइक्रोमैक्स ने टाइटिल राइट्स हासिल करने में दिलचस्पी दिखाई, जबकि इससे पिछली बार बिडिंग साइकिल में 10 से ज्यादा कंपनियां रेस में थीं। बाकी स्पोर्ट्स में भी पैसा आने की शुरुआत हो चुकी है। मिसाल के तौर पर इंडियन सुपर लीग के मद्देनजर पिछले साल फुटबॉल की टीम स्पॉन्सरशिप की वैल्यू 227 फीसदी सालाना बढ़ोतरी के साथ 60.3 करोड़ पर पहुंच गई। 2013 में यह आंकड़ा 26.5 करोड़ था।

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Navbharat Times

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