फिल्म रिव्यू- बेतुकी कोशिश ‘वाह ताज’ (1 स्टार)
|सही मुद्दे पर व्यंग्यात्मक फिल्म बनाने की कोशिश में लेखक-निर्देशक असफल रह जाते हैं। दृश्यों से संयोजन और चित्रण में बारीकी नहीं है। यूं लगता है कि सीमित बजट में सब कुछ समेटने की जल्दबाजी है।
सही मुद्दे पर व्यंग्यात्मक फिल्म बनाने की कोशिश में लेखक-निर्देशक असफल रह जाते हैं। दृश्यों से संयोजन और चित्रण में बारीकी नहीं है। यूं लगता है कि सीमित बजट में सब कुछ समेटने की जल्दबाजी है।