फिल्मों में आने पर मां बोलीं- हमारी इज्जत तुम्हारे हाथ:सलमान को पसंद नहीं करती थीं; सोनाली बेंद्रे को एक गाने ने बनाया सुपरस्टार
सोनाली बेंद्रे की मुस्कान आज भी उतनी ही ताजी और प्यारी है जितनी 90 के दशक में थी। एक मिडिल-क्लास महाराष्ट्रीयन घर से आने वाली बेटी ने अपने दिल में हमेशा फिल्मों में काम करने का एक ख्वाब संजोया था। उन्होंने अपने पिता से कहा था, ‘बस तीन साल का मौका दो, नहीं तो मैं पढ़ाई पूरी करके आईएएस की तैयारी करूंगी।’ वह तीन साल नहीं बल्कि अपनी पूरी जिंदगी इस सपने के लिए समर्पित कर गईं। बिना किसी गॉडफादर के, सिर्फ अपने आत्मविश्वास और मेहनत के सहारे सोनाली ने मॉडलिंग से शुरुआत की और फिर फिल्मों की दुनिया में अपनी जगह बनाई। सोनाली के लिए संघर्ष कभी आसान नहीं था। लुक के लिए मिले तानों या असफल फिल्मों ने उनके हौसले को कम नहीं किया। बल्कि हर चुनौती ने उनके इरादों को और मजबूत किया। ‘हम्मा हम्मा’ के आइटम डांस ने उन्हें रातोंरात मशहूर कर दिया, लेकिन वह हमेशा अपनी मेहनत और लगन से आगे बढ़ती रहीं। उन्होंने अपने सपनों को जिया और साबित किया कि किस्मत से ज्यादा आत्मविश्वास और मेहनत जरूरी है । फिल्मों के अलावा जब जिंदगी ने सबसे बड़ा संघर्ष कैंसर की बीमारी दिया, तब भी सोनाली ने हार नहीं मानी। मुश्किल दौर में भी उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी और अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी लड़ाई जीती। उनके साथ खड़े रहे सलमान खान जैसे दोस्त और परिवार ने उन्हें नई ताकत दी। आज की सक्सेस स्टोरी में मिलिए सोनाली बेंद्रे से और जानिए उनकी जिंदगी के वे दिलचस्प किस्से जो हिम्मत और उम्मीद की नई मिसाल बन गए। एक्टिंग में करियर बनाने के लिए सिर्फ तीन साल का समय मिला अपने करियर के शुरुआती दिनों को याद करते हुए सोनाली कहती हैं- मैं एक मिडिल‑क्लास महाराष्ट्रीयन परिवार से आती हूं। हमारे घर में कभी किसी ने नहीं सोचा था कि मैं फिल्मों में काम करूंगी। ये सब एक तरह से किस्मत की बात थी। जब पीछे मुड़कर देखती हूं, तो खुद को भी यकीन नहीं होता कि ये सब कैसे हुआ? मैंने अपने पापा से कहा था कि मुझे बस तीन साल का समय दो, अगर कुछ नहीं हुआ तो मैं पढ़ाई पूरी करके आईएएस की परीक्षा दूंगी। उन्होंने मुझे इजाजत दी और जब मैंने शुरुआत की, तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब इतने साल बीत चुके हैं, लगता है जैसे वो वक्त किसी और दुनिया का था। लोग भूल गए तो समझो पहचान खत्म सोनाली बेंद्रे ने मुंबई के रामनारायण लोहिया कॉलेज से अपनी पढ़ाई की है। कॉलेज के दिनों में वे पढ़ाई में अच्छी थीं और हमेशा एक्टिविटी में हिस्सा लेती थीं। आत्मविश्वास ने ही उन्हें मॉडलिंग की ओर बढ़ाया। बिना किसी गॉडफादर के उन्होंने विज्ञापनों से शुरुआत की। उनका ‘निरमा’ का विज्ञापन खूब लोकप्रिय हुआ। आज भी लोगों की जुबान पर वह विज्ञापन है। सोनाली कहती हैं- वह कॉमर्शियल मेरे करियर का टर्निंग पॉइंट था। एक एक्टर के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि लोग उसे याद रखें। अगर दर्शक आपको भूल जाएं तो फिर सब खत्म हो जाता है। हम कैमरे के सामने इसलिए काम करते हैं ताकि फैंस हमें पहचानें। जब तक हम लोगों के दिलों में जिंदा रहते हैं, तभी तक हमारी जिंदगी एक एक्टर के रूप में मायने रखती है। अगर लोग हमें भूल जाएं, तो समझो कि हमारी पहचान खत्म हो गई। लुक पर ताने, मेहनत से बदली तकदीर सोनाली को पहली फिल्म सोहेल खान के प्रोडक्शन में ‘राम’ ऑफर हुई थी, लेकिन किन्हीं कारणों से ये फिल्म बन नहीं पाई। इसके बाद साल 1994 में सोनाली ने फिल्म ‘आग’ से डेब्यू किया। इस फिल्म में उनके साथ गोविंदा नजर आए थे। यह फिल्म नहीं चली। उस दौरान कई प्रोड्यूसर्स ने उनके लुक के कारण ताने भी दिए, लेकिन सोनाली ने उस स्थिति को बहुत हार्ड वर्क और आत्मविश्वास के साथ संभाला। उन्होंने अपने आप पर भरोसा बनाए रखा और अपने टैलेंट से प्रूव किया कि सिर्फ लुक से ही लोगों का आकलन सही नहीं होता। उन्होंने यह समझा कि संघर्ष हर करियर का हिस्सा होता है, इसलिए उन्होंने निराश होकर पीछे हटने के बजाय अपनी काबिलियत पर फोकस किया, जिससे वह सफल हो सकीं। ‘आग’ के बाद सोनाली, मिथुन चक्रवर्ती के साथ ‘नाराज’, ‘द डॉन’, और सुनील शेट्टी के साथ ‘गद्दार’ और ‘टक्कर’ जैसी फिल्मों में नजर आईं। हालांकि ये फिल्में कुछ खास सफल नहीं रहीं, लेकिन फिल्म ‘टक्कर’ का गाना ‘आंखों में बसे हो तुम’ को लोगों ने खूब पसंद किया। जब यह फिल्म रिलीज हुई थी तब दर्शक थिएटर में इस गाने में सोनाली को देखने के लिए जाते थे और गाना खत्म होते ही थिएटर से बाहर आ जाते थे। सोनाली कहती हैं- काश, मुझे तब पता होता कि लोग मुझे इतना पसंद करते हैं, तो मैं अपना रेट बढ़ा देती। आइटम डांस हम्मा-हम्मा से हुईं मशहूर सोनाली 1995 में मणिरत्नम की फिल्म ‘बॉम्बे के गाने ‘हम्मा हम्मा’ में नजर आईं थीं। इस गाने को ए. आर रहमान ने गाया था। इस गाने में अपने डांस मूव्स के कारण सोनाली चर्चा में आ गईं, दर्शक उनके दीवाने हो गए। सोनाली के करियर के लिए यह गाना स्पेशल साबित हुआ। सोनाली कहती हैं- मैं बहुत डरी हुई थी, क्योंकि मैं प्रोफेशनल डांसर नहीं हूं। मेरे साथ प्रभु देवा के भाई थे और प्रभु देवा खुद कोरियोग्राफ कर रहे थे। उनके पिता भी सेट पर मौजूद थे, तो दबाव ज्यादा था। गाना एक टेक में शूट हुआ था, इसलिए मुश्किल था, लेकिन अंत में बहुत अच्छा बना। ‘हम्मा हम्मा’ गाने से मशहूर होने के बाद सोनाली 1996 में फिल्म ‘दिलजले’ में नजर आईं। इस फिल्म में सोनाली के साथ अजय देवगन थे। फिल्म में सोनाली के अभिनय को खूब पसंद किया गया। सोनाली की फिल्मों में एक ताजगी और खुशी दिखती थी। उनके लुक, स्माइल और गानों को खूब पसंद किया गया। सोनाली कहती हैं- ‘यह सब किस्मत थी। मैं बहुत खुशकिस्मत रही कि मुझे अच्छे गाने और रोल मिले। मुझे अपने गाने बहुत अच्छे लगे।’ सोनाली ने महेश भट्ट की फिल्म ‘जख्म’ में अजय देवगन की पत्नी सोनिया माहेश्वरी देसाई का किरदार निभाया था। सोनाली कहती हैं- ‘आज भी मुझे ‘जख्म’ का गाना ‘हम यहां, तुम यहां’ बहुत प्यारा लगता है।’ माइकल जैक्सन को तिलक लगाकर आरती उतारी सोनाली बेंद्रे सिर्फ अपने फिल्म करियर की वजह से ही चर्चा में नहीं रहीं, वह माइकल जैक्सन को तिलक लगाने के लिए भी जानी जाती हैं। साल 1996 की बात है, पॉप स्टार माइकल जैक्सन मुंबई आए, सोनाली ने उनका एयरपोर्ट पर स्वागत किया। माइकल की आरती उतारी और उनके माथे पर तिलक लगा दिया। यह तस्वीरें उस समय के हर अखबार, मैगजीन में छपीं। खास बात यह रही कि सोनाली ने माइकल जैक्सन का स्वागत मराठी साड़ी पहनकर किया था। सोनाली को मिला तीनों खान का साथ सोनाली बेंद्रे ने बॉलीवुड के तीनों खान,सलमान खान, आमिर खान और शाहरुख खान के साथ काम किया है। उन्होंने शाहरुख खान के साथ फिल्म ‘डुप्लीकेट’, सलमान खान के साथ ‘हम साथ साथ हैं’ और आमिर खान के साथ ‘सरफरोश’ में अभिनय किया । सोनाली ने हिंदी फिल्मों के अलावा मराठी और दक्षिण भारतीय फिल्मों में भी काम किया है। सोनाली कहती हैं- ‘सभी के साथ काम करने का बहुत अच्छा अनुभव रहा। तीनों खान के अलावा मैंने अनिल कपूर, सनी देओल, अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी, जुगल हंसराज जैसे कई एक्टर्स के साथ काम किया है। साउथ में भी चिरंजीवी, नागार्जुन और महेश बाबू के साथ फिल्में की हैं। सबके साथ काम करना शानदार रहा।’ दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम करके सोनाली ने उस दौर में भाषाई दीवारें तोड़ कर सफलता हासिल की। साउथ की फिल्मों में अपने काम करने के अनुभव को साझा करते हुए सोनाली कहती हैं- तब ऐसा नहीं सोचते थे, बस अच्छी कहानियां मिलती गईं तो काम करते गए। एक तमिल फिल्म की थी ‘कादला दिनम’, उसका म्यूजिक ए.आर. रहमान ने दिया था और आज भी वो मेरा पसंदीदा है। फिल्म की कहानी थी कि एक लड़का और लड़की इंटरनेट कैफे में एक-दूसरे से बात करते-करते प्यार करने लगते हैं, जबकि वे कभी मिले भी नहीं थे। मां ने सिखाया था कि खाली मत बैठो फिल्मों, टीवी और ओटीटी पर लोगों का प्यार पाने वाली सोनाली का कहना है कि उन्होंने कभी अपनी करियर जर्नी के लिए कोई बड़ा प्लान नहीं बनाया। वह मुस्कराते हुए कहती हैं- जो काम अच्छा लगा, वो करती गई। बचपन से काम करने की आदत है, इसलिए काम करते रहना जरूरी लगता है। मां हमेशा कहती थीं कि खाली मत बैठो, कुछ न कुछ करती रहो। बस वही करती रही, इसलिए आज तक इस सफर से जुड़ी रही। मां ने कहा- हमारी इज्जत तुम्हारे हाथ में है सोनाली कहती हैं- मेरी मां ने मुझे हमेशा इंडिपेंडेंस दी। वो कभी मेरे साथ सेट पर नहीं आईं। उनका साफ कहना था कि अगर तुम ऑफिस जाती तो क्या तुम्हारे बगल में आकर बैठती? वैसे ही तुम्हारे सेट पर भी नहीं आऊंगी। उन्हें मुझ पर पूरा भरोसा था। वो हमेशा कहती थीं- ‘हमारी इज्जत तुम्हारे हाथ में है।’ उनका यही भरोसा और आजादी ने मुझे जिम्मेदार बनाया। मां की उसी सोच ने मेरे अंदर अनुशासन और आत्मविश्वास पैदा किया, जो आज तक मेरे काम और जीवन दोनों में झलकता है। इंडस्ट्री में शुरुआत का सबसे बड़ा चैलेंज था इंडस्ट्री में अपनी खूबसूरत और प्रेरणादायक जर्नी के बारे में बात करते हुए सोनाली बेंद्रे कहती हैं- अपने करियर की शुरुआत करना हर कलाकार के लिए एक बड़ा चैलेंज होता है और ऐसा ही मेरे लिए भी था। जब मैंने पहली बार इस दुनिया में कदम रखा, तो मुझे कुछ भी पता नहीं था। यह नया माहौल, नए लोग और काम करने का तरीका, सब कुछ मेरे लिए अनजाना था। ऐसे मुश्किल वक्त में खुद को ढूंढना और समझना वाकई चुनौतीपूर्ण था। लेकिन आज जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं, तो पता चलता है कि वही मुश्किल दौर मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। इन कठिनाइयों ने मुझे न केवल संभाला, बल्कि आगे बढ़ने की ताकत भी दी। इसलिए शुरुआत के संघर्षों को अगर मैं एक प्रेरणा का रूप देना चाहूं, तो कहूंगी कि वही चुनौती मेरी खूबसूरत और प्रेरणादायक जर्नी का आधार बनी। सलमान खान को पसंद नहीं करती थीं सोनाली बेंद्रे की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उन्होंने साल 2002 में अपने अच्छे दोस्त गोल्डी बहल से शादी की। साल 2005 में उनके बेटे का जन्म हुआ। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन 2018 में सोनाली को कैंसर होने का पता चला। इस बीमारी ने उनकी जिंदगी बदल दी, पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। लंबे इलाज और संघर्ष के बाद, 2021 में सोनाली कैंसर से पूरी तरह ठीक हो गईं। उन्होंने दिखा दिया कि वह असली जिंदगी की फाइटर हैं। उस दौरान सलमान खान ने उनकी बहुत मदद की थी। जबकि एक समय ऐसा था कि सोनाली सलमान को नहीं पसंद करती थीं। सोनाली बेंद्रे ने बताया कि 1999 में ‘हम साथ-साथ हैं’ की शूटिंग के दौरान उन्हें सलमान खान का मजाकिया व्यवहार पसंद नहीं था और वो उनसे बात भी नहीं करना चाहती थीं। लेकिन बाद में समझ आया कि सलमान दिल के बहुत अच्छे और बच्चों जैसे हैं। जब सोनाली कैंसर के इलाज के लिए न्यूयॉर्क गई थीं, तब सलमान ने उनकी और उनके पति की बहुत मदद की, डॉक्टरों के बारे में जानकारी भी दी और उनकी देखभाल की। _____________________________________________________ पिछले हफ्ते की सक्सेस स्टोरी पढ़िए… खराब एक्टिंग के कारण फिल्म से निकाले गए इमरान हाशमी:‘सीरियल किसर’ के टैग से परेशान हुए, एक्टर की सक्सेस का कनेक्शन पाकिस्तान से इमरान हाशमी बॉलीवुड के उन अभिनेताओं में से एक हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और अलग अंदाज से इंडस्ट्री में अपनी खास पहचान बनाई है। इमरान ने ‘2001 में ‘ये जिंदगी का सफर’ फिल्म से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा, लेकिन खराब व्यवहार और एक्टिंग के कारण उन्हें फिल्म से निकाल दिया गया।पूरी खबर पढ़ें…
