प्रिया दत्त का ईरानी रेस्टोरेंट ‘मॉमी जून’:ईरान से खाने का सामान मंगाया जाता है; रेस्टोरेंट की को-फाउंडर बोलीं- यहां की चाय हाजमा नहीं खराब करेगी

पूर्व लोकसभा सांसद और समाजसेवी प्रिया दत्त ने एक महिला ईरानी दोस्त के साथ मिलकर रेस्टोरेंट खोला है। इस रेस्टोरेंट की खासियत यह है कि यहां ऑथेंटिक ईरानी फूड मिलता है। यहां के फूड में जो सामग्री यूज होती है, वो ईरान से स्पेशली मंगाई जाती है। यहां के खानों में बहुत कम मसालों का यूज होता है। प्रिया ने इस रेस्टोरेंट को रिच लुक देने के लिए किताबों का एक पूरा जखीरा यहां रखा हुआ है, जो कि नरगिस और सुनील दत्त के स्पेशल कलेक्शंस से ली गई हैं। प्रिया ने दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में अपने इस रेस्टोरेंट की कुछ खूबियां बताईं। इसके अलावा उन्होंने पिता सुनील दत्त और मां नरगिस के खाने के शौक पर भी बात की। प्रिया ने कहा कि उनकी मां खाना बहुत अच्छा बनाती थीं। पिता सुनील दत्त को मेहमानों को घर पर बुलाकर खाना खिलाने का शौक था। प्रिया दत्त ने अपने रेस्टोरेंट के बारे में क्या कहा, यहां पढ़िए.. सवाल- सबसे पहले तो ‘मॉमी जून’ के बारे में बताइए और इसे शुरू करने की वजह क्या रही? जवाब- हम हमेशा से चाहते थे कि एक ऐसी जगह होनी चाहिए, जहां हम लोग शांति से बैठकर खाना खा सकें। माहौल को एन्जॉय कर सकें। यही सोचकर मैंने अपनी पार्टनर के साथ यह रेस्टोरेंट खोला है। मेरी पार्टनर सीमा का परिवार ईरान से यहां आकर बसा है। मैं जब भी सीमा के साथ होती तब उनका बनाया खाना खाती थी। मुझे उनका ईरानी फूड बहुत अच्छा लगता था। हमने सोचा कि इस रेस्टोरेंट में ईरानी खाना ही परोसा जाए। यहां मैंने बहुत सारी किताबें भी रखी हैं। मेरी मां नरगिस दत्त को किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। मेरे घर पर हजारों किताबें रखी हुई थीं। मैं वो सारी बुक्स यहां ले आई। सवाल- आपके रेस्टोरेंट का नाम मॉमी जून है, ऐसा नाम रखने के पीछे का क्या मतलब है? जवाब- दरअसल मेरे ईरानी दोस्त अपनी मां को प्यार से मॉमी जून कहते हैं। उन लोगों की मां खाना बहुत अच्छा बनाती हैं। रेस्टोरेंट में खाने से लेकर हर एक थीम पूरा पर्शियन रखना था, यही सोचकर मैंने और मेरे पार्टनर्स ने इसका नाम मॉमी जून कैफे रखा। सवाल- अपने इस रेस्टोरेंट के बारे में कुछ स्पेशल बात बताइए? जवाब- यहां आपको लाइट फूड मिलेगा। खाना ऐसा नहीं है कि जिससे कि आपका पाचन खराब हो। हम मसालों का कम से कम यूज करते हैं। यहां ऑलिव ऑयल में पका ऑथेंटिक ईरानी खाना सर्व किया जाता है। चाय और कॉफी के साथ मॉकटेल की भी काफी अच्छी व्यवस्था है। आपको डिफरेंट टाइप्स के सैंडविच, कबाब और रोल्स भी खाने को मिलेंगे। यहां आकर बुक्स भी पढ़ने को मिलेंगी। हमारे यहां दिव्यांग जनों के लिए व्हील चेयर की भी व्यवस्था है। हम अपने कस्टमर्स से यही कहते हैं कि अगर आपको सर्विस पसंद नहीं आई तो फीडबैक भी दे सकते हैं, इससे हम अपना काम और बेहतर कर सकते हैं। कुल मिलाकर हम गर्मजोशी से भरा घर जैसा माहौल ‘मॉमी जून’ में रखने की कोशिश करते हैं जो इसकी सबसे बड़ी खासियत है। सवाल- प्रिया, आपके रेस्टोरेंट में ऐसी क्या चीज है, जो आपकी पर्सनल फेवरेट है? जवाब- एक डिश है, जूजे कबाब, यह मुझे बहुत पसंद है। चिकन और चावल से बना एक डिश ताइची भी मुझे काफी पसंद है। इसमें बहुत कम मसाले का यूज होता है। सवाल- आप सोशल वर्क के साथ-साथ अब बिजनेस भी कर रही हैं। इस दौरान अपनी फिटनेस का ख्याल कैसे रखती हैं? जवाब- मैं हर सुबह योगा करती हूं। एक्सरसाइज भी करती हूं। पहले नहीं, लेकिन अब खाने-पीने का उचित ध्यान देती हूं इसलिए मैनेज हो जाता है। पहले मैं बहुत व्यस्त रहती थी, इसलिए अपने ऊपर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाती थी। अब मेरी लाइफ काफी ज्यादा ऑर्गेनाइज हो गई है। सवाल- आपकी मां नरगिस और पिता सुनील दत्त को मेहमानों को खिलाने-पिलाने का बहुत शौक था। नरगिस जी तो खाना भी बहुत अच्छा बनाती थीं। इस पर कुछ बताना चाहेंगी? जवाब- मेरे घर पर कभी भी खाना कम नहीं बनता था। हमेशा ज्यादा ही बनता था। पापा हमेशा से यही कहते थे कि खाना ज्यादा हो जाए चलेगा, लेकिन कम नहीं पड़ना चाहिए। पापा को लोगों को घर पर बुलाकर खाना खिलाने का बहुत शौक था। मम्मी रात के दो-दो बजे तक कुकिंग करती थीं। उनके गुजरने के बाद पापा ने वो जिम्मेदारी संभाली। पापा भी बहुत अच्छा खाना बनाते थे। ये रहा प्रिया दत्ता का इंटरव्यू, अब उनके रेस्टोरेंट मॉमी जून की को-फाउंडर सीमा से बात करते हैं.. सवाल- सीमा जी, इस रेस्टोरेंट के इंटीरियर से लेकर फूडिंग और कॉन्सेप्ट पर आपने ही काम किया है, थोड़ा इसके बारे में कुछ बताइए? जवाब- हम ईरानी लोग हमेशा से होटल बिजनेस में थे। खाना बनाना और खिलाना हमारे खून में है। प्रिया को हमारा बनाया खाना बहुत पसंद आता था। यही सोचकर हमने उनके साथ इस रेस्टोरेंट को खोलने का प्लान बनाया। हम ईरान के कल्चर को फूड के जरिए यहां मुंबई में इंट्रोड्यूज कराना चाहते थे। इसलिए फूड से लेकर हर चीज में आप ईरानी टच देखेंगे। मुंबई में इससे पहले एक भी ईरानियन रेस्टोरेंट नहीं था। सवाल- अपने रेस्टोरेंट के फूड के बारे में कुछ बताइए? जवाब- हम फूड में मसालों का कम से कम यूज करते हैं। सिर्फ नमक, केसर, हल्दी और काली मिर्च का प्रयोग करते हैं। मसाले भले नहीं दिखेंगे, लेकिन आपको फ्लेवर हमेशा मिलेगा। खाने में यूज होने वाली अधिकतर चीजें ईरान से मंगाई जाती हैं। हमारे यहां बनने वाले मीट को भी सिर्फ प्याज, काली मिर्च और नमक में फ्राई किया जाता है। ईरानियन फूड सिंपल जरूर होता है, लेकिन इसे बनाने के लिए बहुत धैर्य चाहिए। हमारे यहां नॉनवेज के अलावा वेज और वीगन लोगों के लिए भी खाने की व्यवस्था है। आपको यहां चाय और कॉफी की भी खूब वैराइटीज मिल जाएंगी। यहां की चाय पीकर आपको एसिडिटी नहीं होगी। हम लोग इसे कॉम्प्लिमेंट्री देते हैं। ईरान में चाय की बहुत प्रमुखता है। आप ईरान के हर घर में जाइए, वहां आपका स्वागत चाय से ही किया जाएगा।

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