प्राइवेट स्कूलों ने दिल्ली सरकार को दिए फी बढ़ाने के प्रपोजल
|सेशन 2017-18 में भी सरकारी जमीन पर बने प्राइवेट स्कूलों को फी बढ़ोतरी से पहले दिल्ली सरकार से मंजूरी लेनी होगी। शिक्षा विभाग ने अप्रैल में प्राइवेट स्कूलों से फी बढ़ोतरी को लेकर प्रपोजल मांगे थे और अभी तक 125 स्कूलों ने फी बढ़ोतरी की मांग करते हुए अपनी बात सरकार के सामने रखी है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि स्कूलों के प्रपोजल की जांच होगी और उसके बाद स्कूलों के अकाउंट्स को भी जांचा जाएगा। अकाउंट्स के वेरिफिकेशन के बाद ही यह फैसला लिया जाएगा कि स्कूलों में फीस बढ़ोतरी की जरूरत है या नहीं।
दिल्ली सरकार ने पिछले साल भी स्कूलों से प्रपोजल मांगे थे। सरकार से सस्ती दरों पर जमीन पाने वाले स्कूलों की संख्या करीब 410 है। इनमें से 300 से ज्यादा ऐसे स्कूल हैं जिन्हें फी बढ़ाने से पहले सरकार की मंजूरी लेनी जरूरी है। पिछले साल दिल्ली सरकार ने कड़ा रूख अपनाते हुए यह साफ कर दिया था कि कोई भी स्कूल बिना मंजूरी के फी नहीं बढ़ा सकता। सेशन 2016-17 में 168 स्कूलों ने फी बढ़ाने के लिए प्रपोजल दिया था और इनमें से 29 ने अपना प्रपोजल वापस ले लिया था। बचे हुए स्कूलों के अकाउंट्स की जांच हुई और 5 स्कूलों को ही फी बढ़ाने की इजाजत दी गई।
सरकार के सूत्रों का कहना है कि स्कूल के पास कितना फंड मौजूद है और मौजूदा फी स्ट्रक्चर से कितना पैसा आ रहा है, इन सबकी जांच होगी। उसके बाद ही स्कूल की ऐप्लिकेशन पर फैसला लिया जाएगा। वहीं स्कूलों का कहना है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाना है और इसके लिए फी में बढ़ोतरी करनी होगी। स्कूलों ने अपना पक्ष सरकार के सामने रख दिया है। स्कूलों में सातवें वेतन आयोग को लागू करने के लिए गाइडलाइंस अभी तैयार हो रही हैं और उसके बाद तय होगा कि स्कूल में वेतन आयोग की सिफारिशें कैसे लागू होंगी।
वहीं सरकार के एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि पिछले साल स्कूलों के अकाउंट्स को देखने के बाद सामने आया था कि कुछ स्कूलों के पास काफी फंड है और वहां पर फी बढ़ाने की जरूरत नहीं है। दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों में फी बढ़ोतरी का मसला काफी अहम है और हर साल फी को लेकर काफी शिकायतें भी मिलती हैं।
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