प्राइवेट अस्पतालों पर लगाम लगा सकती है दिल्ली सरकार
|दिल्ली सरकार प्राइवेट अस्पतालों पर नकेल कसने की तैयारी में है। सीएम केजरीवाल ने कहा है कि सरकार लीगल फ्रेमबुक तैयार करेगी। इससे अस्पतालों में मरीजों के साथ ‘बिलों की लूटपाट’ पर लगाम लगाई जा सकेगी। यही नहीं, किसी भी तरह की क्रिमिनल नेग्लिजन्स (आपराधिक लापरवाही) को खत्म किया जा सकेगा। केजरीवाल ने कहा कि बीते दिनों में प्राइवेट अस्पतालों से जुड़ी कई घटनाएं सामने आई हैं। इन्हें देखते हुए सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि दखल दिया जाए।
सीएम, मौलाना आजाद इंस्टिट्यूट ऑफ डेंटल कॉलेज द्वारा आयोजित पांच दिन के डेंटल मेला की शुरुआत करते हुए बोल रहे थे। केजरीवाल ने कहा कि वह प्राइवेट अस्पताल की भूमिका पर सवाल नहीं उठा रहे। ये अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन जिस तरह एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है, उसी तरह प्राइवेट अस्पतालों में भी कुछ ऐसे हैं जो मरीजों को लूटने से परहेज नहीं करते।
उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले ही सुनने में आया था कि डेंगू के इलाज में एक प्राइवेट अस्पताल ने 15 लाख रुपये का बिल बनाया था। हाल ही में एक जिंदा नवजात को मरा बता दिया। सीएम ने कहा कि जो अस्पताल ऐसी क्रिमिनल नेग्लिजन्स करते हैं, उन पर नकेल कसने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार प्राइवेट अस्पतालों के कामकाज में दखल नहीं देना चाहती। लेकिन जनता को लूटने की कोशिश के दौरान सरकार की जिम्मेदारी है कि दखल दे। सीएम ने एजुकेशन सेक्टर का उदाहरण देते हुए बताया कि इसमें वह काफी हद तक सफल रहे हैं। अब प्राइवेट स्कूल अपनी मर्जी से फीस नहीं बढ़ा पाते हैं। इसी तरह हेल्थ सेक्टर में लीगल फ्रेमबुक की जरूरत है। सीएम ने बताया, सरकार चाहती है कि दिल्ली में पब्लिक हेल्थ और एजुकेशन का ऐसा मॉडल तैयार किया जाए, जिसकी दुनिया में पहचान बने।
ऐसे इंस्टिट्यूट पर होता है गर्व : जैन
कार्यक्रम में हेल्थ मिनिस्टर सत्येंद्र जैन ने कहा कि इस सेंटर में आकर गर्व होता है। दिल्ली सरकार के पास ऐसे इंस्टिट्यूट हैं जो देश में नंबर वन है। उन्होंने बताया कि मौलाना आजाद इंस्टिट्यूट ऑफ डेंटल साइंस (MAIDS) का एक और ब्लॉक तैयार हो रहा है। इससे इंस्टिट्यूट की क्षमता दोगुनी हो जाएगी। कार्यक्रम में नवनियुक्त चीफ सेक्रटरी अंशु प्रकाश ने कहा कि एक सरकारी संस्थान होने के बाद भी यह प्राइवेट से बेहतर है। इसे मेनटेन करने की जरूरत है। अस्पताल के डायरेक्टर महेश वर्मा ने कहा कि बीते साल मोबाइल डेंटल टीम ने स्लम इलाकों में 1.2 लाख रोगियों की जांच और 70 हजार लोगों का इलाज किया।
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