पेड़ों की कटाईः आप का आरोप, आवासीय ही नहीं कमर्शल काम भी होने थे
|हजारों पेड़ों को काटे जाने के मसले पर आम आदमी पार्टी (आप) ने बुधवार को भी कुछ नए खुलासे किए। पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह सिर्फ एक रेजिडेंशल प्रॉजेक्ट नहीं, बल्कि इसके एक बड़े हिस्से में कमर्शल एक्टिविटीज भी होंगी। उन्होंने दस्तावेजों के जरिए यह भी बताया कि किस तरह इस प्रॉजेक्ट के पर्यावरण पर पड़ने वाले असर की गहराई से जांच-पड़ताल किए बिना और उस पर पब्लिक हियरिंग करके जनता की राय लिए बिना ही पर्यावरण मंत्रालय ने इसे मंजूरी दे दी।
सौरभ भारद्वाज ने बुधवार को भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि दो हफ्तों से इस प्रॉजेक्ट की काफी चर्चा हो रही है, लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार की तरफ से अभी तक यह नहीं कहा गया कि वह इस प्रॉजेक्ट पर पुनर्विचार करेंगे और कोशिश करेंगे कि ज्यादा पेड़ ना काटने पड़ें। यानी केंद्र सरकार और उसके मंत्री इस प्रॉजेक्ट पर अडिग हैं। सौरभ ने कहा कि जब हमने जब इस प्रॉजेक्ट के बारे में और जानकारी निकाली, तो पता चला कि इसका एक बड़ा हिस्सा कमर्शल एक्टिविटी के लिए बनने वाला है। यहां वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, कॉन्फ्रेंस हॉल, कमर्शल कॉम्प्लेक्स और दुकानें भी बनेंगी और उन्हें प्राइवेट लोगों को बेचा जाएगा। साथ ही यहां 86 हजार गाड़ियों की पार्किंग भी बनेगी। सवाल उठता है कि इसके लिए एनवायरनमेंट क्लियरेंस किसने दी?
सौरभ ने कहा कि इसकी मंजूरी दिल्ली सरकार के मंत्री इमरान हुसैन ने नहीं, बल्कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षर्वधन ने दी, जो टीवी पर यह कहकर जनता को गुमराह कर रहे हैं कि उनका और उनके मंत्रालय का इस प्रॉजेक्ट से कोई लेना-देना नहीं। जबकि सच यह है कि उन्हीं के मंत्रालय ने इसी साल 12 जून को इस प्रॉजेक्ट के लिए बनाई गई एनवायरनमेंट इंपैक्ट असेसमेंट रिपोर्ट को मंजूरी दी, जिसमें साफ-साफ दर्ज है कि इसके लिए 11 हजार से ज्यादा पेड़ काटे जाएंगे। जबकि रिपोर्ट में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि इसका पर्यावरण पर क्या असर पड़ेगा।
200 पेज की इस रिपोर्ट में प्रदूषण का जिक्र नहीं
सेंट्रल ग्राउंड वॉटर अथॉरिटी ने भी कहा है कि यहां ग्राउंडवॉटर लेवल पहले ही बहुत कम है। ऐसे में अगर 17 हजार पेड़ और काटे तो ग्राउंडवॉटर लेवल और नीचे चला जाएगा। रिपोर्ट में यह भी नहीं बताया गया है कि यहां कमर्शल सेंटर बनने के बाद रोज जो हजारों लाखों नई गाड़ियां आएंगी, उससे जो कंजेशन और प्रदूषण बढ़ेगा, उसे कैसे रोका जाएगा।
सौरभ ने कहा कि 200 पेज की इस रिपोर्ट में यह कहीं नहीं लिखा है कि जब 17 हजार पेड़ काटे जाएंगे तो प्रदूषण का स्तर और कितना बढ़ेगा। सौरभ ने कहा कि भारत सरकार का कानून है कि जब भी कोई इतना बड़ा प्रॉजेक्ट बनाया जाए, तो उसमें पहले पब्लिक हियरिंग हो। ताकि लोगों की समस्याएं और सुझाव भी सामने आ सकें, लेकिन इस प्रोजेक्ट को लेकर डॉ. हर्षवर्धन के मंत्रालय ने कोई पब्लिक हियरिंग की ही नहीं। उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार यह बताए कि वह क्या छिपाना चाह रही है।
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