पूर्व स्पिनर मुरलीधरन धोनी की कप्तानी के कायल, कहा- वे ऐसे कप्तान जो अच्छी गेंद पर छक्का पड़ने पर भी गेंदबाज के लिए ताली बजाएंगे और उसकी तारीफ करेंगे

श्रीलंका के पूर्व स्पिनर मुथैया मुरलीधरन महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी के कायल हैं। मुरलीधरन ने कहा कि उनकी कप्तानी की सबसे बड़ी खासियत गेंदबाज पर उनका विश्वास है। उन्होंने कहा कि धोनी ऐसे कप्तान हैं, जो अच्छी गेंद पर छक्का पड़ने पर भी गेंदबाज के लिए ताली बजाएंगे और उसकी तारीफ करेंगे। मुरलीधरन ने भारतीय स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के शो 'डीआएस विद एश' में यह बातें कहीं।

धोनी की कप्तानी में 2008 से 2011 तक सीएसके के लिए खेलने वाले मुरलीधरन ने कहा कि जब एमएस धोनी ने 2007 का टी-20 वर्ल्ड कप जीता था, तब वो युवा थे। लेकिन फिर भी उन्होंने शानदार कप्तानी की थी। कप्तान के तौर पर उनके फैसले बेहतरीन रहते हैं। वो गेंदबाज से खुद कहते हैं कि अपने हिसाब से फील्ड लगाकर गेंदबाजी करो। अगर वो प्लान काम नहीं करता है, तब वो खुद फील्ड लगाते हैं।

धोनी गेंदबाज को हमेशा अकेले में समझाते हैं: मुरलीधरन

उन्होंने कहा कि धोनी कभी किसी गेंदबाज को सबके सामने नहीं बोलते। वो अकेले में उसे समझाते हैं। अपनी इन्हीं खासियतों की वजह से आज वो इतने कामयाब कप्तान हैं। 'मैदान पर शांत रहने के कारण धोनी बेहतर फैसले लेते हैं'

श्रीलंका के इस पूर्व स्पिनर ने आगे कहा कि बतौर कप्तान धोनी की सफलता का राज उनका शांत रहना है। वे मैदान पर बहुत कम गुस्सा होते हैं। ऐसे में वे बेहतर फैसले ले पाते हैं। जब वे युवा थे, तब से ही सीनियर खिलाड़ियों की सलाह सुनते हैं। यह भी उनकी कप्तानी की बड़ी खूबियों में से एक है। वे लोगों को सुनते हैं और फिर फैसला लेते हैं। यही उनकी कप्तानी का तरीका है, जो उन्हें दूसरों से अलग करता है।

धोनी की कप्तानी में भारत ने दो वर्ल्ड कप जीते हैं
धोनी इकलौते ऐसे कप्तान हैं, जिसने टी-20, वनडे वर्ल़्ड कप का खिताब जीतने के साथ ही चैम्पियंस ट्रॉफी भी जीती है। उनकी कप्तानी में चेन्नई सुपर किंग्स ने तीन बार 2010, 2011 और 2018 में आईपीएल का खिताब जीता है। वे इस साल यूएई में 19 सितंबर से 10 नवंबर तक होने वाले आईपीएल से क्रिकेट मैदान पर वापसी करेंगे। धोनी पिछले साल वनडे वर्ल्ड कप के बाद से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेले हैं।

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मुथैया मुरलीधरन ने कहा- बतौर कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के सफल होने का राज, उनका शांत रहना है। वे मैदान पर बहुत कम गुस्सा होते हैं, इसलिए बेहतर फैसले ले पाते हैं। -फाइल

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