पीएनबी फ्रॉडः अधिकार था ₹25 लाख तक लोन देने का, ₹1-1 करोड़ से ज्यादा के 13501 लोन बांटे
|पंजाब नैशनल बैंक में 13,000 करोड़ रुपये के लोन फर्जीवाड़े की आंतरिक जांच में पता चला है कि बैंक सिस्टम में ऐसी गंभीर खामियां थीं, जिनपर यकीन करना मुश्किल है। जांच रिपोर्ट कहती है कि पीएनबी के मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस ब्रांच की गड़बड़ निगरानी एवं संदिग्ध संचालन व्यवस्था के कारण ही मैनेजर गोकुल शेट्टी ने अधिकृत सीमा से ज्यादा की रकम के 13,000 लोन पास किए। इसी शाखा से हीरा व्यापारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी को अवैध तरीके से लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) जारी किए गए थे।
पीएनबी अधिकारियों के चार सदस्यीय जांच दल ने पाया कि घोटाले का मुख्य आरोपी गोकुल शेट्टी नियमों को ताक पर रखकर शाखा चलाने का आरोप लगने के बावजूद रेडार से बाहर ही रहा। शेट्टी को कानूनी रूप से 10 लाख से 25 लाख रुपये तक का ही लोन पास करने का अधिकार था, हालांकि उसे असीमित अधिकार के इस्तेमाल की अवैध ‘अनुमति’ मिली हुई थी।
शेट्टी को सीनियरों की छत्रछायाः रिपोर्ट
शेट्टी ने पीएनबी के ब्रैडी हाउस ब्रांच में 7 वर्ष के अपने कार्यकाल के दौरान 1 करोड़ या इससे ज्यादा की रकम के 13,501 लोन पास किए। रिपोर्ट कहती है, ‘ऐसा पाया गया कि 2017 में वही एंट्रीज करता था और इसकी निगरानी भी रखता था।’ अगर उसके सहकर्मी दैनिक निगरानी व्यवस्था की रिपोर्ट देखा करते तो फर्जीवाड़ा पकड़ में आ सकता था।
जूनियर रैंक के अधिकारी को बैंक का सॉफ्टवेयर ऐक्सेस करने का पूरा अधिकार दे दिया गया। शेट्टी ही बड़ी रकम के लेनदेन को वेरिफाइ भी करता था जिससे वह कभी पकड़ में नहीं आ सका। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोई दूसरा अधिकारी ट्रांजैक्शंस क्लियर कर रहा होता या कोई सीनियर ऑफिसर की दखल होती तो अनधिकृत लेनदेन पकड़ में आ सकती थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, पीएनबी में कई संदेहास्पद गतिविधियों को नजरअंदाज किया गया। मसलन, शेट्टी ने पीएनबी के दिल्ली मुख्यालय के ट्रेजरी डिविजन को सामान्य कामकाजी वक्त से इतर रात 8 से 9.30 बजे कम-से-कम 35 ईमेल भेजे थे। इनमें कम-से-कम 22 ईमेल उसने अपनी पर्सनल आईडी से भेजे थे। रिपोर्ट कहती है, ‘ये सारे ईमेल नीरव मोदी ग्रुप की कंपनियों डायमंड आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट्स और स्टेलर एक्सपोर्ट्स को बड़ी रकम दी गई।’
चूंकि ब्रैडी हाउस पीएनबी का कॉर्पोरेट ब्रांच था, इसलिए यहां बड़े पैमाने पर लेनदेन हुआ करते थे और यहां विदेशी मुद्रा का आदान-प्रदान बड़े पैमाने पर होता था। साथ ही, फॉरेक्स डिपार्टमेंट में विभिन्न विभागों से जुड़े ट्रांजैक्शन वाउचर्स की जमा-निकासी भी शेट्टी की आईडी से हुई। कथित गड़बड़ियां यहीं खत्म नहीं हुईं। जांच में पता चला है कि जब शेट्टी छुट्टी पर था तब भी ब्रैडी हाउस ब्रांच द्वारा इंटरनैशनल बैंक ब्रांचेज में पेमेंट्स ऑथराइज करने के लिए स्विफ्ट पासवर्ड का इस्तेमाल किया गया, जो गैर-कानूनी था।
तीन बार ट्रांसफर, पर हिला तक नहीं शेट्टीः रिपोर्ट
रिपोर्ट यह भी कहती है कि शेट्टी को वरिष्ठ अधिकारियों की छत्रछाया भी प्राप्त थी क्योंकि ब्रैडी हाउस ब्रांच से उसका तीन बार ट्रांसफर हुआ, लेकिन उसे कभी रिलीव नहीं किया गया। नियम के मुताबिक ब्रैडी हाउस ब्रांच में तीन साल का कार्यकाल पूरा होने पर 1 अप्रैल 2013 को शेट्टी का ट्रांसफर ऑर्डर जारी हुआ, लेकिन वह वहीं पर जमा रहा।
1 जुलाई 2013 को उसे पीएनबी हाउस ब्रांच और पांच महीने बाद उसे फोरसोर रोड ब्रांच ट्रांसफर किया गया था, लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ। 1 जुलाई, 2015 को उसे मुंबई के ही ओपरा हाउस ब्रांच भेजने का आदेश जारी होने के दो दिन बाद ही उसे फिर से ब्रैडी हाउस ब्रांच में ही रहने का आदेश जारी हो गया। हर बार सर्कल ऑफिस ने उसका ट्रांसफर ऑर्डर जारी किया और बिना किसी औचित्य के वापस ले लिया।
संपर्क करने पर पीएनबी के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, ‘हमारी आंतिरक जांच में प्रक्रियागत खामियों का पता चला है जिन्हें सुधारा जा रहा है जबकि जांच एजेंसियां एवं अदालतें मामले को देख रही हैं।’ सीबीआई ने कहा कि मई 2017 में शेट्टी ने नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को 143 लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग जारी किए थे जो मोदी और चोकसी के 3,000 करोड़ रुपये के भुगतान की गारंटी की तरह थे। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में शेट्टी के साथ-साथ पीएनबी की पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर उषा अनंतसुब्रमण्यन एवं दो एग्जिक्युटिव डायरेक्टरों केवी ब्रह्माजी राव और संजीव शरण को आरोपी बनाया है।
(यह आर्टिकल पीएनबी की आंतरिक जांच रिपोर्ट पर आधारित तीन आर्टिकल्स की श्रृंखला का पहला हिस्सा है)
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