पीएनबी घोटाला: रेग्युलेटर्स-ऑडिटर्स पर बरसे जेटली, उद्यमियों को नैतिकता का पाठ

नई दिल्ली
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 11,400 करोड़ रुपये के पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के लिए रेग्युलेटर्स-ऑडिटर्स की अपर्याप्त निगरानी और ढीले बैंक प्रबंधन को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि घोटालेबाजों को दंडित करने के लिए यदि जरूरत पड़ी तो नियमों को सख्त किया जाएगा। इस सप्ताह में घोटाले पर दूसरी बार बोलते हुए जेटली ने कुछ उद्यमी वर्ग में नैतिकता की कमी की आलोचना की।

यह भी पढ़ें: PNB फ्रॉड पर PM बोले- होगी बड़ी कार्रवाई

आरोपी नीरव मोदी या पीएनबी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि जब घोटाला हो रहा था तब किसी के द्वारा भी कहीं कोई आपत्ति नहीं जताया जाना चिंताजनक है। उन्होंने इकनॉमिक टाइम्स ग्लोबल बिजनस समिट में कहा कि बैंक में चल रही गतिविधियों से टॉप मैनेजमेंट की की अनभिज्ञता भी परेशान करने वाली बात है।

जेटली ने कहा, ‘प्रणाली में ऑडिटर् के कई स्तर हैं जो या तो इन्हें देखती ही नहीं हैं या लापरवाही से काम फौरी तौर पर काम करते हैं। आपकी निगरानी अपर्याप्त रही है।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि जिसने भी यह किया उसे जांच के दौरान पकड़ लिया जाएगा। प्रणाली में रेग्युलेटर्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। नियामक ही अंतत: नियम तय करते हैं और उन्हें तीसरी आंख हमेशा खुली रखनी होती है।’

यह भी पढ़ें: फ्रॉड के बाद बैंकों का निजीकरण? FM का जवाब

उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में हम राजनेता लोग जवाबदेह हैं पर नियामक नहीं।’ ये घोटाले बताते हैं कि नियमों में जहां कमी है उसे सख्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘घोटालेबाजों को पकड़ने और उनके खिलाफ कठोर कदम उठाने के लिए यदि आवश्यक हुआ तो नियमों को आने वाले समय में सख्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कर्जदाता-कर्जदार के बीच संबंधों में अनैतिक व्यवहार का खत्म होना जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘यदि जरूरत पड़ी तो संलिप्त व्यक्तियों को सजा देने के लिए नियमों को सख्त किया जाएगा।’

उन्होंने कहा, ‘मैं सोचता हूं कि जब मैं व्यवहार में नैतिकता की बात करता हूं, मुझे लगता है कि यह भारत में गंभीर समस्या है। कारोबार जगत को सरकार ने क्या किया यह पूछते रहने के बजाय अपने भीतर भी देखना चाहिए।’ गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) और संकटग्रस्त ऋण के बढ़ते दबाव के बारे में जेटली ने पूछा, इनमें से कितने कारोबार के असफल होने के कारण हैं और कितने कंपनियों के हेर-फेर के कारण?

उन्होंने कहा, ‘जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने के मामले कारोबार की असफलता से कहीं अधिक है।’ उन्होंने कहा कि उद्यमियों को नैतिक कारोबार की आदत डालने की जरूरत है क्योंकि इस तरह के घोटाले अर्थव्यवस्था पर धब्बा हैं और ये सुधारों और कारोबार सुगमता को पीछे धकेल देते हैं।

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।

Latest Business News in Hindi – बिज़नेस समाचार, व्यवसाय न्यूज हिंदी में | Navbharat Times