पिछले वित्त वर्ष में 64 इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स को मिली 1 करोड़ से अधिक सैलरी

रीका भट्टाचार्य, मुंबई
देश में एक करोड़ से ज्यादा सैलरी पाने वाले इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की संख्या बढ़ रही है। बोर्ड की जवाबदेही बढ़ने के बाद कंपनियां इन्हें अधिक पैसा ऑफर कर रही हैं। मार्केट ट्रैकिंग फर्म प्राइमडेटाबेस के मुताबिक, 2015-16 में एक करोड़ से अधिक सैलरी पाने वाले बोर्ड मेंबर्स की संख्या 64 रही जो 2011-12 में 22 के मुकाबले लगभग तिगुनी है। 2014-15 में 56 इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स को 1 करोड़ से अधिक की सैलरी मिली थी।

पिछले फाइनैंशल इयर में 18 नए इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स एक करोड़ से अधिक सैलरी वाले क्लब से जुड़े हैं। इनमें इंडियाबुल्स हाउजिंग फाइनैंस के कमलेश चक्रबर्ती, जेएसडब्ल्यू स्टील, इन्फोसिस और हेक्सावेयर टेक्नॉलजीज के बोर्ड में शामिल पुनीता कुमार सिन्हा, इन्फोसिस के बोर्ड में शामिल रवि वेंकटेशन, आईसीआईसीआई बैंक और ल्यूपिन सहित 6 कंपनियों के बोर्ड मेंबर दिलीप चोकसी, डाबर, ग्रासिम और आइडिया के बोर्ड में शामिल आर सी भार्गव हैं। पिछले फाइनैंशल इयर में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की टेक होम सैलरी में सालाना 21 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है। इस बारे में क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इकरा के चेयरमैन और इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के तौर पर एक्सपीरियंस रखने वाले अरुण दुग्गल ने बताया, ‘इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है। कंपनियों को इसका अहसास है। वे काबिल इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स चाहती हैं और इसलिए वे उन्हें अधिक सैलरी ऑफर कर रही हैं।’

कॉर्नफेरी इंटरनैशनल के इंडिया चेयरमैन नवनीत सिंह ने बताया, ‘जवाबदेही बढ़ने और नए कंपनी कानून के तहत इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स के लिए सख्त गवर्नेंस स्टैंडर्ड्स की वजह से कंपनियां उन्हें अच्छी सैलरी ऑफर कर रही हैं।’ नैशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड 1,520 कंपनियों में से 1,442 के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स में अमन सोम मेहता, ओ पी भट्ट, नरेश चंद्रा, आदिल सिराज जैनुलभाई, विजय केलकर, ओंकार गोस्वामी, शैलेश हरिभक्ति, रघुनाथ अनंत माशेलकर, एम दामोदरन और एस के भार्गव को सबसे अधिक पैसा मिलता है।
नए कंपनी कानून में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स के अधिकार बढ़ाए गए हैं। इसके साथ उनकी जवाबदेही भी बढ़ी है। इसमें कहा गया है कि कंपनी अगर कोई बात छिपाती है या कुछ गलत करती है तो उसके लिए उन्हें भी जिम्मेदार माना जाएगा। कानून में कहा गया है कि इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स को 1 लाख रुपये तक की सीटिंग फी प्रति बोर्ड मीटिंग दी जा सकती है। कंपनियों को इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स को कमीशन के तौर पर अधिक रकम देने की छूट है। रूल में कहा गया है कि सभी इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स को कंपनी के प्रॉफिट के 1 पर्सेंट तक का कंपनसेशन दिया जा सकता है।

इस बारे में प्राइमडेटाबेस ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रणव हल्दिया ने बताया, ‘इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स के लिए सीटिंग फीस और कमीशन बढ़ाया गया है। इस वजह से उनकी सैलरी बढ़ी है। वहीं, अब उनकी जवाबदेही भी पहले से काफी बढ़ गई है। इसलिए कंपनियां इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स को अधिक पैसा देने से परहेज नहीं कर रही हैं।’ उन्होंने कहा कि सैलरी इस बात पर भी निर्भर करती है कि वे किस साइज की कंपनियों और कितनी कंपनियों के बोर्ड में रहते हैं।

दुग्गल का कहना है कि नए कंपनी कानून में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स को स्टॉक ऑप्शंस देने की मनाही है। कानून में कहा गया है कि एक इंसान अधिक से अधिक 10 कंपनियों के बोर्ड में हो सकता है। वहीं, सेबी ने इसे 7 लिस्टेड कंपनियों तक सीमित कर दिया है। होलटाइम डायरेक्टर के लिए यह संख्या 3 रखी गई है। इसका मतलब यह है कि कोई शख्स ज्यादा-से-ज्यादा तीन लिस्टेड कंपनियों में होलटाइम डायरेक्टर हो सकता है। इसका मतलब यह है कि एक शख्स 7 लिस्टेड कंपनियों और 3 अनलिस्टेड कंपनियों में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर हो सकता है।

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