पाकिस्तानी जेलों से भागने वाले पायलटों की कहानी
|रेहान फ़ज़ल बीबीसी संवाददाता, दिल्ली हाल ही में विंग कमांडर धीरेंद्र एस जाफ़ा की पुस्तक प्रकाशित हुई है 'डेथ वाज़ंट पेनफ़ुल' जिसमें उन्होंने 1971 के युद्ध के बाद भारतीय पायलटों की पाकिस्तानी युद्धबंदी कैंप से निकल भागने की अद्भुत कहानी बताई है। जब फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट दिलीप पारुलकर का एसयू-7 युद्धक विमान, 10 दिसंबर, 1971 को मार गिराया गया तो उन्होंने इस दुर्घटना को अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी मुहिम बना दिया। 13 अगस्त, 1972 को पारुलकर, मलविंदर सिंह गरेवाल और हरीश सिंह जी के साथ रावलपिंडी के युद्धबंदी कैंप से भाग निकले। इस पुस्तक में बताया गया है कि किस तरह अलग अलग रैंक के 12 भारतीय पायलटों ने एकांतवास, जेल जीवन की अनिश्चतताओं और कठिनाइयों का दिलेरी से सामना किया और इन तीनों पायलटों को जेल ने निकल भागने की दुस्साहसी योजना में मदद की। पढ़िये रेहान फ़ज़ल की विवेचना ‘रेड वन, यू आर ऑन फ़ायर ’… स्क्वाड्रन लीडर धीरेंद्र जाफ़ा के हेडफ़ोन में अपने साथी पायलट फ़र्डी की आवाज़ सुनाई दी। दूसरे पायलट मोहन भी चीख़े, ‘बेल आउट रेड वन बेल आउट.’ तीसरे पायलट…