पहले भी जासूसी का आरोप लगा चुकी है कांग्रेस
| मंजरी चतुर्वेदी, नई दिल्ली दिल्ली के सियासी हलकों में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बारे में दिल्ली पुलिस द्वारा की गई पूछताछ का मामला शनिवार को काफी गरमा गया। जिस तरह से राहुल गांधी के ऑफिस जाकर दिल्ली पुलिस ने उनके बारे में पूछताछ की, उस पर कांग्रेस ने बड़ी तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने राहुल गांधी की राजनैतिक जासूसी का आरोप लगाया है। यह कोई पहला मामला नहीं है, जब कांग्रेस ने सत्ता पक्ष पर राजनैतिक जासूसी का आरोप लगाया हो। इससे पहले साल 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जासूसी का मामला भी सामने आया था। मार्च 1991 में चंद्रशेखर सरकार के दौरान राजीव गांधी के घर दस जनपथ की पुलिस द्वारा जासूसी कराए जाने का मामला सामने आया था। इसका नतीजा हुआ कि चंद्रशेखर सरकार गिर गई, हालांकि तत्कालीन सरकार के गिरने में जासूसी एक अप्रत्यक्ष वजह बनी। राजीव गांधी के घर पर सादे कपड़ों में हरियाणा सीआईडी के दो कर्मियों प्रेम सिंह और राज सिंह को लगाया गया था। तब कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि चौटाला सरकार के गृहमंत्री संपत सिंह के निर्देश पर राजीव गांधी के घर पर नजर रखी जा रही थी। बताया जाता है कि इस जासूसी का मकसद जनता दल के उन असंतुष्ट नेताओं पर नजर रखना था, जो राजीव गांधी से मिल रहे थे। इनमें देवीलाल के छोटे बेटे रंजीत सिंह सहित दूसरे नेता शामिल थे। राजीव गांधी की जासूसी करते इन दोनों कर्मचारियों को दिल्ली पुलिस ने पकड़ा था। कांग्रेस द्वारा जब इस मामले को उछाला गया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने इस पूरे मामले की जांच कराने का प्रस्ताव रखा। कांग्रेस की मांग थी कि या तो जासूसी मामले को लेकर हरियाणा सरकार को बर्खास्त किया जाए या ओमप्रकाश चौटाला को जनता दल (एस) के महासचिव पद से हटाया जाए। इतना ही नहीं, कांग्रेस ने चेतावनी दी थी कि अगर सरकार इस मामले में उचित कदम नहीं उठाती तो कांग्रेस सांसद राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री के धन्यवाद ज्ञापन का बॉयकॉट करेंगे। राजीव गांधी के कड़े रुख को लेकर तब कांग्रेस दो धड़ों में बंट गई थी। एक तबके का मानना था कि इस मामले को ज्यादा ही तूल दिया जा रहा है, लेकिन दूसरे तबके ने इसे ठीक माना। खैर, कांग्रेस के विरोध के चलते चंद्रशेखर बुरी तरह घिर गए। मामला सरकार से समर्थन वापसी तक पहुंच गया, लेकिन इससे पहले कि कांग्रेस समर्थन वापस लेती, प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने इस्तीफा दे दिया।
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