पहले गौशाला बनवाओ, फिर पकड़ेंगे गाय!

नई दिल्ली
राजधानी की सड़कों, बाजारों, कॉलोनियों आदि में विचरती गायों को पकड़ने का अभियान करीब एक साल से रुका पड़ा है। एमसीडी का कहना है कि गायों को रखने के लिए गौसदन खाली नहीं है, इसलिए मजबूरन इस अभियान को रोकना पड़ा। एमसीडी के अनुसार दिल्ली सरकार को गौसदन बनाने के लिए कई बार कहा जा चुका है। गायों को न पकड़ने के चलते आम जन, वाहन चालक और बच्चे चोटिल हो रहे हैं। गौसदनों के लिए दिल्ली सरकार को जमीन नहीं मिल रही है।

दिल्ली के लोग आरोप लगा रहे थे कि एमसीडी में बीजेपी के सत्तारूढ़ होने के नाते सड़कों पर विचरती गायों को जानबूझकर पकड़ा नहीं जा रहा है। लेकिन एमसीडी ने ऐसे आरोपों का खंडन किया है। उसका कहना है कि गायों को पकड़ने का अभियान 13 अप्रैल 2017 से स्थगित है। इस आशय की सूचना हमने एमसीडी नेताओं के अलावा हाई कोर्ट को भी दी है, जहां इस मसले को लेकर हमसे पूछा गया था। नॉर्थ एमसीडी के वैटिनरी विभाग के एक आला अधिकारी के अनुसार असल में दिल्ली के गौसदनों ने हमारे द्वारा पकड़ी गई गायों को लेने से इनकार कर दिया है इसलिए मजबूरी में हमें यह अभियान रोकना पड़ा है।

भरी पड़ी हैं पांचों गौशालाएं
वैटिनरी विभाग के अनुसार पूरी दिल्ली में पांच गौशालाएं हैं। दिल्ली सरकार ने इन्हें चलाने की जिम्मेदारी निजी संगठनों को दे रखी है। इन पांचों गौशालाओं के संचालकों ने हमें लिखकर दे दिया है कि इनमें रखी गई गायों की संख्या तय सीमा से अधिक है इसलिए वे अब किसी भी पकड़ी गई गाय को नहीं लेंगे। अधिकारी के अनुसार दो गौसदन एनडीएमसी इलाके में हैं। यहां रखी जाने वाली गायों की संख्या करीब 10 हजार है, लेकिन वहां करीब 12 हजार गायों को रखा जा रहा है। इसी तरह साउथ की दो व ईस्ट एमसीडी के गौसदन भी गायों से भर चुके हैं। उनका कहना है कि चूंकि यह मसला संवेदनशील है इसलिए हम इन गायों को दूसरे राज्यों में नहीं भेज सकते।

सरकार बनाएगी गौसदन, तभी पकड़ेंगे
सड़कों पर विचरती गायों को पकड़ने का मसला थोड़ा ‘अलग’ है। मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली सरकार गौसदन के लिए जमीन तलाश करती है और एनीमल हसबैंडरी विभाग गौशाला में सारी सुविधाएं, चिकित्सा आदि का ध्यान रखता है। लेकिन सालों से कोई नई गौशाला नहीं बनी है। एमसीडी का कहना है कि इस बाबत दिल्ली सरकार को नई गौशाला बनाने के लिए लिखा जा चुका है, जब तक वह गौशाला नहीं बनाती है, तब तक यह अभियान स्थगित रहेगा। उन्होंने कहा कि इस बाबत राजस्व विभाग से उन्हें यह जवाब मिला है कि गौशाला बनाने के लिए जमीन तलाश की जा रही है। जैसे ही जमीन मिल जाएगी, गौशाला बनाकर उसे शुरू कर दिया जाएगा।

एक गाय को रोजाना मिलते हैं ’40 रुपये’
सूत्र बताते हैं कि जो भी संगठन गौसदन चला रहे हैं, उन्हें सरकार और एमसीडी की ओर से गायों के भोजन के लिए धनराशि दी जाती है। इसके लिए 20 रुपये दिल्ली सरकार की ओर से दिए जाते हैं तो 20 रुपये एमसीडी की ओर से। सूत्र बताते हैं कि इस गौसदनों को दिल्ली सरकार की ओर से दो माह के उपरांत यह राशि दे दी जाती है, लेकिन एमसीडी की ओर से यह भोजन मनी रुकी पड़ी है। एमसीडी को करीब एक करोड़ रुपये इन गौसदनों को देने हैं, इसके लिए गौसदन संचालक बार बार गुहार लगा रहे हैं, लेकिन मामला अटका हुआ है।

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