पर्याप्त रोजगार पैदा नहीं होने से देश में बढ़ेगी आय असमानता: स्टडी
|सरकार द्वारा पर्याप्त नौकरियां सृजित करने में नाकाम रहने के कारण में देश में आय असामनता बढ़ सकती है। एक रिपोर्ट में इस संबंध में चेतावनी दी गई है। वित्तीय सेवा प्रदाता एमबिट कैपिटल ने अपने शोध में कहा कि बेरोजगारी और आय असामनता का मेल सामाजिक तनाव का कारण बन सकता है।
फ्रांसीसी अर्थशास्त्री के नवीनतम निष्कर्षों में बताया गया है कि वर्ष 1980 से आय असामनता चरणबद्ध तरीके से बढ़ रही है। इस ओर ध्यान दिलाते हुए एमबिट ने कहा कि देश की कुल आबादी के 50 प्रतिशत (निम्न आय स्तर वाले) की राष्ट्रीय आय में हिस्सेदारी केवल 11 प्रतिशत है, जबकि शीर्ष 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी 29 प्रतिशत है। इनकी प्रति व्यक्ति आय 1,850 डॉलर (1,20777 रुपये) है, जबकि निचले तबके के 66 करोड़ लोगों या देश की 50 प्रतिशत आबादी की प्रति व्यक्ति आय 400 डॉलर (26,114 रुपये) से कम है, जो कि हैरान करने वाला है।
यह आंकड़ा मेडागास्कर के नागरिकों के प्रति व्यक्ति आंकड़ों के समान है और यहां तक कि अफगानिस्तान के नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय से भी कम है, जो कि 561 डॉलर है। वहीं, दूसरी ओर देश के शीर्ष एक प्रतिशत आबादी (1.30 करोड़) की प्रतिव्यक्ति आय 53,700 डॉलर (35,05,804 रुपये) है जो कि डेनमार्क की प्रति व्यक्ति आय से तुलना योग्य और सिंगापुर की प्रति व्यक्ति आय 52,961 डॉलर से ज्यादा है।
रिपोर्ट में जोर देते हुए कहा गया कि सरकार के नौकरियां सृजित करने में असमर्थ रहने के कारण असमानता बढ़ सकती है। आगे कहा गया है कि मनरेगा योजना के तहत नौकरियों की बढ़ती मांग नौकरियों की संभावना बिगड़ने का संकेत है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि बेरोजगारी और असमानता के मेल के कारण अपराधों में तेजी जैसे सामाजिक तनाव में वृद्धि हो सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है,’हमारा अपना अनुभव है कि बिहार और उत्तर जैसे राज्यों में जहां प्रति व्यक्ति आय, राष्ट्रीय औसत की तुलना में कम है और असमानता अधिक है, वहां अन्य राज्यों की तुलना में अपराध की दर ज्यादा है।’
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