पंजाब में बासमती का रकबा 30 प्रतिशत कम रहने की आशंका
|प्रीमियम गुणवत्ता वाला चावल का रकबा घटने का मतलब है कि सामान्य किस्मों तथा ग्रेड-ए किस्मों का रकबा उल्लेखनीय रूप से बढ़ेगा।
चावल निर्यातकों ने किसानों की खराब स्थिति तथा बासमती के अंतर्गत रकबे में कमी के लिये राज्य सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। यह स्थिति तब है जब राज्य सरकार फसल विविधीकरण कार्यक्रम के तहत बेहतर गुणवत्ता के चावल का रकबा बढ़ाने पर जोर दे रही है।
पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोटर्स एसोसिएशन के निदेशक अशोक सठी ने आज पीटीआई से कहा, हमारा मानना है कि पंजाब में बासमती फसल का रकबा इस मौसम में 25 से 30 प्रतिशत कम होगा।
पंजाब में मौजूदा खरीफ सत्र में बासमती का रकबा करीब पांच लाख हैक्टेयर रहने का अनुमान है जो पिछले साल के मुकाबले करीब 35 प्रतिशत कम है।
पंजाब कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य में बासमती के अंतर्गत रकबा 2015-16 में 7.63 लाख हैक्टेयर तथा 2014-15 में 8.62 लाख हैक्टेयर था।
मुख्य कृषि अधिकारी :अमृतसर: बीएस चीना ने कहा, उत्पादकों ने इस साल बासमती 1509 की जगह साधारण किस्मों को तरजीह दी है। इसका कारण पिछले साल बासमती चावल के उठान में आनी वाली समस्या है।
पिछले साल चावल बिक्रेताओं तथा निर्यातकों ने चावल के दाने टूटे होने का हवाला देते हुए पुसा बासमती 1509 किस्म नहीं लिया जिससे किसानों को परेशानी हुई। इससे कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे चली गयी।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।
बिज़नस न्यूज़, व्यापार समाचार भारत, वित्तीय समाचार, News from Business